Business Idea found during studies in UK, starts from 50 thousand, now earn 3 million a year by supplying copper utensils | UK में पढ़ाई के दौरान आया बिजनेस आइडिया, दो साल पहले 50 हजार रु से शुरुआत की, तांबे के बर्तन बेचकर कमाते हैं सालाना 30 लाख

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अलीगढ़14 मिनट पहलेलेखक: रवि श्रीवास्तव

अलीगढ़ के अदनान ताबें का बिजनेस करते हैं। आज देश के सात राज्यों में अदनान बिजनेस है।

  • अलीगढ़ के अदनान अली खान का टर्नओवर 75 से 80 लाख रु का है, हाल ही में 4 शहरों से ही 18 लाख रु का आर्डर भी मिल चुका है
  • देश के 7 राज्यों में बिजनेस है, 4 से 5 देशों में सामान सप्लाई होता है, सिर्फ अलीगढ़ में 20 लोगों को रोजगार दे रखा है

अलीगढ़ के अदनान अली खान तांबे के बर्तन का बिजनेस करते हैं। दो साल पहले ही उन्होंने 50 हजार रुपए से इसकी शुरुआत की थी। उनका सालाना प्रॉफिट 30 से 35 लाख रुपए का है। जबकि टर्नओवर 75 से 80 लाख रुपए का है। हाल ही में 4 शहरों से ही 18 लाख रुपए का आर्डर भी मिल चुका है।

वे कहते हैं, ‘मेरी परवरिश लोअर मिडिल क्लास फैमिली में हुई है। परवरिश में कोई दिक्कत तो नहीं हुई, लेकिन छोटी-छोटी चीजों के लिए पिता को, परिवार को संघर्ष करते हुए देखा है। छठवीं क्लास में ही मैंने ठान लिया था कि बिजनेस करूंगा। मुझे इसमें इंटरेस्ट भी था।

अदनान की कंपनी मुरादाबाद से छोटे-छोटे कारीगरों को जोड़कर एक बड़ी टेबल वेयर रेंज बनवाती है और उन प्रोडक्ट्स को आगे सप्लाई करती है, जिससे छोटे-छोटे कारीगरों को काम में बढ़ावा मिलता है।

अदनान की कंपनी मुरादाबाद से छोटे-छोटे कारीगरों को जोड़कर एक बड़ी टेबल वेयर रेंज बनवाती है और उन प्रोडक्ट्स को आगे सप्लाई करती है, जिससे छोटे-छोटे कारीगरों को काम में बढ़ावा मिलता है।

अदनान बताते हैं कि अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद UK में रहने वाले एक मित्र ने मुझे एमबीए करने का सुझाव दिया। चूंकि मेरे नंबर्स अच्छे थे तो मेरी फीस भी लगभग 40% कम हो गई। जहां 10-12 लाख लगने थे वहां पांच से छह लाख में काम हो गया। इस तरह 2017 में UK पढ़ाई करने चला गया। शुरुआती दिनों में कुछ दोस्तों के साथ रहा फिर अपने डिपार्टमेंट हेड को अपनी प्रॉब्लम बताई तो उन्होंने एक जगह इंटर्नशिप पर लगवा दिया। इससे जो पैसे मिलते थे, जिससे मेरा रहने और खाने का खर्च निकल जाता था। फिर मैंने वहां एक वेयर हाउस में काम किया। इसके बाद अमेजन में भी जॉब की।

वहां के होटल्स से बिजनेस आइडिया आया

अदनान बताते हैं कि वहां मै अपने दोस्तों के साथ रेस्टोरेंट और होटल जाया करता था। जब वहां खाना परोसा जाता तो बर्तन शानदार हुआ करते थे। ग्राहकों पर इम्प्रेशन डालते थे। कई होटल्स में पता किया तो पता चला इंडिया से ही वह तांबा और पीतल के बर्तन मंगाते हैं। खासकर क्राफ्ट वाले बर्तन। तब मैंने सोचा कि क्यों न भारत में इसकी शुरुआत की जाए। हालांकि, कोर्स कंप्लीट होने के बाद मुझे वहां जॉब मिल रही थी, लेकिन मैं घर लौट गया।

आज देश के सात राज्यों में अदनान बिजनेस है। सिर्फ अलीगढ़ में 20 लोगों को रोजगार दे रखा है।

आज देश के सात राज्यों में अदनान बिजनेस है। सिर्फ अलीगढ़ में 20 लोगों को रोजगार दे रखा है।

बिजनेस शुरू करने से पहले 6 महीने रिसर्च किया

वो बताते हैं,’ जब घर लौटा तो अपने बिजनेस के बारे में परिवार में बात की। बहुत ज्यादा पूंजी नहीं थी। पिता अलग डर रहे थे कि अगर सफल न हुए तो जिंदगी भर की कमाई भी डूब जाएगी। किसी तरह उन्हें मनाया और फिर रिसर्च शुरू की। मुरादाबाद पीतल और तांबे के बर्तन का गढ़ है इसलिए मैंने वहां अपने कुछ रिश्तेदारों को फोन किया। फिर उन्होंने बारीकियां समझने के लिए मेरी वहां के कुछ ठठेरों से बात कराई। बातचीत में पता चला कि जिन बर्तनों की वजह से मुरादाबाद मशहूर है उन ठठेरों के पास दो जून की रोटी के भी लाले पड़े हुए हैं।

मैंने उनसे समझना शुरू किया तो पता चला अब ज्यादातर लोग मशीनों से बर्तन पर नक्काशी और कलाकारी करते हैं, लेकिन सामान शुद्ध नहीं होता है। जबकि ठठेरे शुद्ध काम करके देते थे। उनसे मैंने बहुत सारी बारीकियां सीखीं और पिता से 50 हजार मांगे।

50 हजार में 10 शहर में 50 होटलों में गया एक जगह से मिला आर्डर

अदनान कहते हैं, ‘पहले मैं मुरादाबाद गया, वहां ठठेरों के फोटो-विडियो, उनके बर्तनों के फोटो-विडियो वगैरह बनाए। एक कैटलॉग बनाया और पर्यटकों से भरे शहरों की तरफ निकल गया। मैंने शुरुआत से ही बड़े होटलों को अप्रोच किया। उन्हें अपना काम और अपने बर्तनों की क्वालिटी के बारे में बताया। चूंकि होटल पहले जहां से बर्तन लेते थे वहां से मेरा बर्तन कुछ महंगा ही था फिर भी मैंने उन्हें कन्विन्स किया। 10 शहरों में लगभग 50 होटलों में गया तो मुझे पहली बार एक जगह से 50 हजार का आर्डर मिला। नेक्स्ट विजिट में एक जगह से 50, एक जगह से 45, एक जगह से 25 हजार का आर्डर मिला। आर्डर मिलने पर मैं उनका माल खुद उनके पास तय समय से पहले लेकर पहुंचा जिससे रिश्ते मजबूत हुए और आर्डर मिलने शुरू हो गए।

अदनान का टर्नओवर 75 से 80 लाख रुपए का है। हाल ही में चार शहरों से ही 18 लाख रुपए का आर्डर भी मिल चुका है।

अदनान का टर्नओवर 75 से 80 लाख रुपए का है। हाल ही में चार शहरों से ही 18 लाख रुपए का आर्डर भी मिल चुका है।

अदनान कहते हैं कि कंट्री क्राफ्ट नाम की कंपनी तो बना दी लेकिन, इसके बारे में लोग जाने उसके लिए खूब मेहनत की। मैंने दोस्तों के साथ मिलकर रात में अलग-अलग शहरों में जाकर खुद दीवारों पर कंपनी के प्रचार प्रसार के लिए पोस्टर चस्पा किए। पैसे के कम थे इसलिए ज्यादातर काम खुद ही करना होता था। इतना ही नहीं कभी पैसे कम होने की वजह से कभी स्टेशन तो कभी बस स्टैंड पर सोना पड़ता था।

इंटरनेशनल मार्केट में कदम रखा

अदनान बताते है कि यहां बिजनेस जम गया तो मैंने इंटरनेशनल मार्किट में हाथ पैर मारने की सोची क्योंकि, मुरादाबाद का बर्तन बहुत दूर-दूर जाता है। सबसे पहले मैंने वेबसाइट डेवलप की और अपने लिंक से जकार्ता और श्रीलंका में सामान सप्लाई करना शुरू कर दिया। जिसका फायदा भी मिला। अब चार से पांच देशों में मेरा सामान सप्लाई होता है।

आज देश के सात राज्यों में अदनान बिजनेस है। सिर्फ अलीगढ़ में 20 लोगों को रोजगार दे रखा है। वे कहते हैं, ‘जब कोरोना की वजह से लॉकडाउन हुआ तो थोड़ा डर लगा, लेकिन मैंने सोचा था कैसे भी हो अपने साथियों को नौकरी से नहीं निकालूंगा। इसलिए मैंने उस दौरान जहां अपने पास से गरीबों की मदद की वहीं अपने साथियों के लिए सैनिटाइजर और मास्क भी सप्लाई किया। वे बताते हैं कि फायदा नहीं हुआ, लेकिन किसी की नौकरी भी नहीं गई।

मुरादाबाद पीतल हस्तशिल्प के निर्यात के लिए प्रसिद्ध है। यहीं से पीतल के सामान विदेशों में जाते हैं।

मुरादाबाद पीतल हस्तशिल्प के निर्यात के लिए प्रसिद्ध है। यहीं से पीतल के सामान विदेशों में जाते हैं।

क्या करती है कंट्री क्राफ्ट कंपनी

कंट्री क्राफ्ट फाइव स्टार, थ्री स्टार होटल्स और रेस्टोरेंट को टेबल वेयर सप्लाई करती है। कंट्री क्राफ्ट मुरादाबाद से छोटे-छोटे कारीगरों को जोड़कर एक बड़ी टेबल वेयर रेंज बनवाती है और उन प्रोडक्ट्स को आगे सप्लाई करती है जिससे छोटे छोटे कारीगरों को काम में बढ़ावा मिलता है। अभी यह देश के 500 से ज्यादा होटल्स और रेस्टोरेंट में सप्लाई देती है।

मुरादाबाद है इस का बड़ा केंद्र

आधुनिक दौर में हाथ से बने बर्तनों को भी अब मशीनों का सहारा लेना पड़ रहा है। जैसे-जैसे समय बीता जा रहा है मुरादाबाद के कारीगर अब मशीनें पर ज्यादा निर्भर होते जा रहे है। जिससे बड़े ऑर्डर पूरे करने में समय की बचत और जल्दी काम पूरा होता है। मुरादाबाद पीतल हस्तशिल्प के निर्यात के लिए प्रसिद्ध है।

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