बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर आयोजित एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार।
– फोटो : PTI
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लेकिन, ऐसा लगता है कि शायद उनका यह संदेश बिहार के लोगों तक नहीं पहुंचा है। बिहार में विधानसभा चुनावों में पहले चरण की वोटिंग 28 अक्तूबर को होने वाली है। चुनाव प्रचार के लिए बिहार में बड़ी-बड़ी राजनीतिक रैलियां हो रही हैं और इन रैलियों में लोगों की भारी भीड़ भी उमड़ रही है।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) समेत चुनावी अखाड़े में उतर रही रही सभी पार्टियों ने प्रचार अभियान तेज कर दिया है। कुछ रैलियों की वीडियो फुटेज से दिखाई दे रहा है कि लोगों में नेताओं की एक झलक पाने के लिए भगदड़ जैसे हालात बन रहे हैं। इन रैलियों में शामिल हो रही भीड़ में शायद ही कोई मास्क पहनता दिख रहा है।
वायरोलॉजिस्ट और डॉक्टरों ने चुनावी रैलियों में जुट रही इस भारी भीड़ को ‘संवेदनहीन’ करार दिया है और कहा है कि इस तरह की लापरवाही के भयानक दुष्परिणाम हो सकते हैं। उनका कहना है इससे कोरोना वायरस कहीं ज्यादा तेजी से लोगों में फैल सकता है।
भारत में अब तक कोरोना संक्रमण के 70 लाख से अधिक मामले दर्ज किए जो चुके हैं, लेकिन हाल के दिनों में रोजाना संक्रमितों की संख्या में गिरावट आ रही है। जहां कुछ लोगों का कहना है कि महामारी का सबसे बुरा दौर खत्म हो चुका है, वहीं कई जानकार चेतावनी दे रहे हैं कि इतनी जल्दी कोरोना के खत्म होने का जश्न मनाना सही नहीं होगा।
चुनाव आयोग ने कोविड-19 के लिए बताए गए नियमों का उल्लंघन करने वाले नेताओं को चेतावनी दी है। लेकिन, ऐसा लग रहा है कि इसका शायद ही कोई असर हुआ हो क्योंकि रैलियों में भीड़ लगातार इकट्ठी हो रही है।
कोरोना सेफ्टी नियमों का उल्लंघन
वायरोलॉजिस्ट डॉ. शाहिद जमील का कहना है कि राजनीतिक पार्टियों को और अधिक जिम्मेदार होने की जरूरत है और उन्हें अपने कार्यकर्ताओं को भी जागरूक बनाना होगा। उन्होंने बताया, ‘हमें इन रैलियों में हजारों लोग जुटते दिखाई दे रहे हैं और शायद ही कोई व्यक्ति मास्क पहन रहा हो। राजनीतिक पार्टियों की जिम्मेदारी बनती है कि वो अपने फॉलोअर्स को कोरोना से बचाव के लिए बनाए गए नियमों का पालन करने के लिए कहें।’
बिहार में पहले चरण का मतदान 28 अक्तूबर को होना है। इसके बाद 3 नवंबर और फिर 7 नवंबर को मतदान होना है। चुनावों के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे। यहां बीजेपी के अगुवाई वाला गठबंधन एक बार फिर सत्ता में आने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस और वामदलों का गठबंधन है। इसके अलावा कुछ क्षेत्रीय पार्टियां भी चुनाव मैदान में हैं।
इन चुनावों में सभी पार्टियों के लिए बहुत कुछ दांव पर लगा है। चुनाव में शुरुआती कैंपेन वर्चुअल रहा, लेकिन अब प्रचार पूरी तरह से ऑफलाइन हो चुका है। शुक्रवार को यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन रैलियां थीं। वहीं कांग्रेस के राहुल गांधी भी रैलियों में शामिल हो रहे हैं।
राज्य के एक वरिष्ठ पत्रकार ने बीबीसी को बताया कि प्रचार के मुद्दे के तौर पर कोई भी यहां कोरोना के बारे में बात नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा लग रहा है कि जैसे राज्य से कोरोना एकदम गायब हो चुका है। लोग लापरवाह हो गए हैं और नेता लोगों को सतर्क करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं।’