India was in the top 10 in the list of most positive countries about the teachers, ranked 6th in the global survey of 35 countries | टीचर्स के लिए मोस्ट पॉजिटिव देशों की लिस्ट में टॉप 10 में रहा भारत, 35 देशों के ग्लोबल सर्वे में हासिल किया 6वां पायदान

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24 मिनट पहले

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हाल ही में जारी हुई 35 देशों के ग्लोबल सर्वे पर आधारित एक रिपोर्ट में यह सामने आया कि टीचिंग वर्कफोर्स का मूल्यांकन करने पर भारत दुनिया के 35 देशों में छठे नंबर पर है। ब्रिटेन स्थित वार्के फाउंडेशन की जारी ‘रीडिंग बिटवीन द लाइंस: वॉट द वर्ल्ड रियली थिंक्स ऑफ टीचर्स रिपोर्ट में भारत टॉप 10 में रहा। इस रिपोर्ट में पता चला कि देश में शिक्षकों की स्थिति पर लोगों के इम्प्लिसिट,कॉन्शियस और ऑटोमेटिक व्यूज के मामले में भारत छठवें पायदान पर है।

लोगों की स्वत: धारणा के आधार पर तय की रैंक

इम्प्लिसिट टीचर स्टेटस एनालिसिस में देशों का क्रम टीचर्स को लेकर वहां के लोगों की स्वत: धारणा पर तय किया जाता है। एनालिसिस के दौरान इसमें शामिल हुए प्रतिभागियों से बिना सोचे फटाफट कुछ सवालों के जवाब पूछे गए, जैसे कि शिक्षक विश्वसनीय है या नहीं, प्रेरणा देने वाला है या नहीं, ध्यान रखने वाला है या नहीं, मेधावी है या नहीं। इन सवालों के जवाब के आधार पर चीन, घाना, सिंगापुर, कनाडा और मलेशिया के शिक्षक भारत से आगे रहे।

GTSI के आंकड़ों के आधार पर बनी रिपोर्ट

यह रिपोर्ट ग्लोबल टीचर स्टेटस इंडेक्स (GTSI) 2018 से मिले आंकड़ों के आधार पर बनाई गई, जिसमें शिक्षकों की स्थिति और छात्रों के फायदे के बीच संबंध की पुष्टि की गई है। GTSI के तहत सर्वे में शामिल 35 देशों में से हर एक देश के 1000 प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया था। इस रिपोर्ट में पहली बार यह बताने की कोशिश की गई कि अलग- अलग देशों के इम्प्लिसिट टीचर स्टेटस में अंतर क्यों है?

इसमें यह भी पता चला कि अमीर देशों में शिक्षकों की स्थिति कहीं बेहतर है, जहां ज्यादा सार्वजनिक धन को शिक्षा के क्षेत्र में खर्च किया जाता है। उदाहरण के लिए भारत में शिक्षा पर सरकारी खर्च 14 फीसदी है। जबकि इस सर्वेक्षण में 24वें स्थान पर रहे इटली में यह प्रतिशत 8.1 है। वहीं, दूसरे स्थान पर आए घाना में 22.1 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च होता है।

एकेडमिक रिजल्ट्स के लिए जरूरी शिक्षकों का सम्मान

वार्के फाउंडेशन और ग्लोबल टीचर प्राइज के फाउंडर सन्नी वार्के के मुताबिक, यह रिपोर्ट साबित करती है कि शिक्षकों का सम्मान न सिर्फ महत्वपूर्ण नैतिक जिम्मेदारी है, बल्कि यह देश के एकेडमिक रिजल्ट्स के लिए भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि, कोरोना महामारी के कारण बने हालातों के बाद स्कूल-कॉलेज बंद होने से करीब 1.5 अरब स्टूडेंट्स प्रभावित हुए हैं। ऐसे इस समय यह बहुत जरूरी हैं कि हम अच्छे शिक्षकों की पहुंच छात्रों तक सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कोशिश करें।

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