State Bank Lends Rs 1200 Crore To Patanjali To Buy Ruchi Soya, Despite Zero Recovery And Rs 746 Crore Write Off – घाटे का सौदा: डूबती कंपनी के लिए पतंजलि को Sbi ने दिया 1200 करोड़ रुपये का कर्ज

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Updated Fri, 17 Jul 2020 12:59 AM IST

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बैंक किस तरह खुद ही अपनी बैलेंस शीट को खराब करते हैं इसका एक उदाहरण भारतीय स्टेट बैंक की ओर से पतंजलि कंपनी को दिए गए कर्ज से समझा जा सकता है। बैंक ने एक ऐसी कंपनी को खरीदने के लिए कर्ज दिया है जो पहले से ही घाटे में जा रही है और जिसके भविष्य में लाभ में जाने की कोई संभावना नहीं है।

दरअसल, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक शेयरधारक को प्रतिक्रिया देते हुए अनायास ही अपने घाटे के सौदे को उजागर कर दिया। इसका ताजा उदाहरण है रुचि सोया उद्योग, जिसके शेयर नीचे गिरते जा रहे हैं, फिर भी बैंक को वह निवेश के लिए सही लगती है। ऐसे मामलों के लिए यह एक प्रमुख उदाहरण है।

जानकारी के अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 में एसबीआई ने रुचि सोया इंडस्ट्रीज के खाते में की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के कॉलम में 746 करोड़ रुपये की राशि लिखी थी और कंपनी से एक भी रुपया नहीं वसूला था।

जबकि दिवाला और दिवालियापन संहिता (इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, आईबीसी) के तहत मंजूर की गई योजना में कहा गया था कि एसबीआई अपने 1,816 करोड़ रुपये के वसूली के मूल दावे  के बजाय 883 करोड़ रुपये वसूलेगा। इसके बावजूद बैंक ने बाबा रामदेव से जुड़ी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को रुचि सोया के अधिग्रहण में मदद करने के लिए 1,200 करोड़ रुपये का नया कर्ज दिया है।

बैंक किस तरह खुद ही अपनी बैलेंस शीट को खराब करते हैं इसका एक उदाहरण भारतीय स्टेट बैंक की ओर से पतंजलि कंपनी को दिए गए कर्ज से समझा जा सकता है। बैंक ने एक ऐसी कंपनी को खरीदने के लिए कर्ज दिया है जो पहले से ही घाटे में जा रही है और जिसके भविष्य में लाभ में जाने की कोई संभावना नहीं है।

दरअसल, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक शेयरधारक को प्रतिक्रिया देते हुए अनायास ही अपने घाटे के सौदे को उजागर कर दिया। इसका ताजा उदाहरण है रुचि सोया उद्योग, जिसके शेयर नीचे गिरते जा रहे हैं, फिर भी बैंक को वह निवेश के लिए सही लगती है। ऐसे मामलों के लिए यह एक प्रमुख उदाहरण है।

जानकारी के अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 में एसबीआई ने रुचि सोया इंडस्ट्रीज के खाते में की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के कॉलम में 746 करोड़ रुपये की राशि लिखी थी और कंपनी से एक भी रुपया नहीं वसूला था।

जबकि दिवाला और दिवालियापन संहिता (इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, आईबीसी) के तहत मंजूर की गई योजना में कहा गया था कि एसबीआई अपने 1,816 करोड़ रुपये के वसूली के मूल दावे  के बजाय 883 करोड़ रुपये वसूलेगा। इसके बावजूद बैंक ने बाबा रामदेव से जुड़ी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को रुचि सोया के अधिग्रहण में मदद करने के लिए 1,200 करोड़ रुपये का नया कर्ज दिया है।

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