income tax ; tax ; FD ; saving account ; RD ; Tax is levied on interest received on bank FD, RD and savings account, understand the full math here | बैंक एफडी, आरडी और सेविंग अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज पर लगता है टैक्स, यहां समझें इसका पूरा गणित

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नई दिल्ली10 घंटे पहले

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अगर आपने बैंक में PAN नहीं दिया है तो आपको ज्यादा टैक्स का भुगतान करना होगा

  • सेविंग्स अकाउंट के मामले में 10 हजार रुपए सालाना तक की ब्याज आय टैक्स फ्री है
  • एक वित्त वर्ष में बैंक RD और FD पर मिलने वाला ब्याज 40 हजार से ज्यादा है तो इस पर टैक्स देना होता है

सेविंग अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और रिकरिंग डिपॉजिट (RD) पर मिलने वाले ब्याज पर भी इनकम टैक्स देना होता है। इनकम टैक्स एक्ट के तहत इन सेविंग्स स्कीम्स से ब्याज को ‘अन्य सोर्स से इनकम’ माना जाता है। आज हम आपको बता रहे है कि इन तीनों निवेशों पर ब्याज से होने वाली ब्याज आय पर टैक्स कितना लगता है।

सेविंग्स अकाउंट
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80TTA के तहत बैंक/को-ऑपरेटिव सोसायटी/पोस्ट ऑफिस के सेविंग्स अकाउंट के मामले में ब्याज से सालाना 10 हजार रुपए तक की ब्याज से आय टैक्स फ्री है। इसका लाभ 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति या HUF (संयुक्त हिन्दू परिवार) को मिलता है। वहीं सीनियर सिटीजन के लिए ये छूट 50 हजार रुपए है। इससे ज्यादा आय होने पर TDS काटा जाता है।

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD)
अगर एक वित्त वर्ष में बैंक FD पर मिलने वाला ब्याज 40 हजार रुपए से कम है तो इस पर कोई टैक्स नहीं देना होता। यह लिमिट 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए है। वहीं 60 साल से ज्यादा उम्र यानी सीनियर सिटीजन की FD से 50 हजार रुपए तक की आय टैक्स फ्री होता है। इससे ज्यादा आय होने पर 10% TDS काटा जाता है।

RD से ब्याज पर टैक्स
रिकरिंग डिपॉजिट (RD) से होने वाली ब्याज आय अगर 40000 रुपए (सीनियर सिटीजन के मामले में 50000 रुपए) तक है तो इस पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होता। इससे ज्यादा आय होने पर 10% TDS काटा जाता है।

PAN न होने पर लगता है ज्यादा टैक्स
तय छूट लिमिट से ज्यादा ब्याज आय होने पर बैंक द्वारा 10% TDS काटा जाता है। लेकिन अगर आपने PAN नहीं दिया है तो TDS की दर 20% हो जाती है।

अगर आपकी कुल आय टैक्स के दायरे में न आती हो तो क्या करें?
अगर आपकी सेविंग अकाउंट, FD या RD से सालाना ब्याज आय तो क्रमशः 10000, 40000 और 50000 रु से अधिक है लेकिन कुल सालाना आय (ब्याज आय मिलाकर) उस सीमा तक नहीं है, जहां उस पर टैक्स लगे तो बैंक TDS नहीं काटा जाता है। इसके लिए सीनियर सिटीजन को बैंक में फॉर्म 15H और अन्य लोगों को फॉर्म 15G जमा करना होता है। फॉर्म 15G या फॉर्म 15H खुद से की गई घोषणा वाला फॉर्म हैं। इसमें आप यह बताते हैं कि आपकी आय टैक्स की सीमा से बाहर है। जो इस फॉर्म को भरता है उसे टैक्स की सीमा से बाहर रखा जाएगा।

क्या होता है टीडीएस?

अगर किसी की कोई आय होती है तो उस आय से टैक्स काटकर अगर व्यक्ति को बाकी रकम दी जाए तो टैक्स के रूप में काटी गई रकम को टीडीएस कहते हैं। सरकार टीडीएस के जरिएटैक्स जुटाती है। यह अलग-अलग तरह के आय स्रोतों पर काटा जाता है जैसे सैलरी, किसी निवेश पर मिले ब्याज या कमीशन आदि पर। कोई भी संस्थान (जो टीडीएस के दायरे में आता है) जोभुगतान कर रहा है, वह एक निश्चित रकम टीडीएस के रूप में काटता है।

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