मुंबई19 मिनट पहले
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सरकार ने इस साल फरवरी में पेश हुए बजट में अनुमान लगाया था कि 2020-21 में फिस्कल डेफिसिट 7.96 लाख करोड़ रुपए रह सकता है या जीडीपी का 3.5 पर्सेंट रह सकता है। जबकि रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स का अनुमान है कि फिस्कल डेफिसिट GDP की तुलना में 9 पर्सेंट रह सकता है
- कोरोना के कारण लॉकडाउन से रेवेन्यू में भारी गिरावट आई पर खर्च बढ़ गया
- एक साल पहले सितंबर छमाही में बजट की तुलना में फिस्कल डेफिसिट 92.6 पर्सेंट था
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सरकार का फिस्कल डेफिसिट बढ़कर 9.14 लाख करोड़ रुपए हो गया है। यह सालाना बजट की तुलना में 114.8 पर्सेंट है। इसमें इतना ज्यादा बढ़त इसलिए आई क्योंकि सरकार को कम रेवेन्यू मिला है। रेवेन्यू कम इसलिए मिला क्योंकि कोरोना की वजह से देश भर में मार्च के अंतिम हफ्ते से लॉकडाउन लागू था।
जारी किया गया आंकड़ा
कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट (CGA) ने इस आंकड़े को जारी किया है। आंकड़ों में बताया कि फिस्कल डेफिसिट 9 लाख 13 हजार 993 करोड़ रुपए रहा है। एक साल पहले समान छमाही में सालाना बजट की तुलना में फिस्कल डेफिसिट 92.6 पर्सेंट था। सरकार के रेवेन्यू में इस दौरान 32.5 पर्सेंट की गिरावट आई है। फिस्कल डेफिसिट मूलरूप से खर्च और रेवेन्यू के बीच के अंतर को कहा जाता है। यानी सरकार का रेवेन्यू कम हुआ और खर्च ज्यादा हुआ।
रेवेन्यू की तुलना में खर्च 114 पर्सेंट ज्यादा
सरकार के रेवेन्यू की तुलना में खर्च 114 पर्सेंट पर रहा है। हालांकि इस साल जुलाई में भी यह अंतर काफी ज्यादा था। सरकार को 2020-21 के कुल अनुमान की तुलना में सितंबर तक केवल 25.18 पर्सेंट रेवेन्यू मिला है जो 5 लाख 65 हजार 417 करोड़ रुपए रहा है। एक साल पहले के लक्ष्य की तुलना में यह 40.2 पर्सेंट है। कुल प्राप्त रेवेन्यू में 4 लाख 58 हजार 508 करोड़ रुपए टैक्स के जरिए मिला है। जबकि 92 हजार 274 करोड़ रुपए नॉन टैक्स के रूप में मिला है।
14,635 करोड़ नॉन डेट कैपिटल से मिला
14 हजार 635 करोड़ रुपए नॉन डेट कैपिटल के रूप में सरकार को मिला है। नॉन डेट कैपिटल मूल रूप से लोन की रिकवरी और सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने से जो आय होती है, उसे कहते हैं। सरकार को 8,854 करोड़ रुपए लोन के रूप में और कंपनियों की हिस्सेदारी बेचकर 5,781 करोड़ रुपए मिले हैं। इसी तरह सरकार ने 2 लाख 59 हजार 941 करोड़ रुपए राज्य सरकारों को ट्रांसफर किया है। यह राज्य सरकारों को टैक्स में हिस्सेदारी के रूप में दिया गया है। पिछले साल की तुलना में यह 51 हजार 277 करोड़ रुपए कम है।
खर्च 14 लाख 79 हजार 410 करोड़ रुपए रहा
सरकारी बयान के मुताबिक, कुल खर्च 14 लाख 79 हजार 410 करोड़ रुपए रहा है। इसमें से 13 लाख 13 हजार 572 करोड़ रुपए रेवेन्यू अकाउंट और एक लाख 65 हजार 836 करोड़ रुपए कैपिटल अकाउंट का रहा है। कुल रेवेन्यू खर्च में से 3 लाख 5 हजार 652 करोड़ रुपए इंटरेस्ट पेमेंट और एक लाख 56 हजार 210 करोड़ रुपए सब्सिडी के रूप में खर्च हुआ है।
सरकार के अनुमान से ज्यादा हुआ घाटा
सरकार ने इस साल फरवरी में पेश हुए बजट में अनुमान लगाया था कि 2020-21 में फिस्कल डेफिसिट 7.96 लाख करोड़ रुपए रह सकता है या जीडीपी का 3.5 पर्सेंट रह सकता है। जबकि रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स का अनुमान है कि फिस्कल डेफिसिट GDP की तुलना में 9 पर्सेंट रह सकता है। हालांकि बाद में कोरोना की वजह से इसमें बदलाव भी किया गया था। फिस्कल डेफिसिट सात सालों के उच्च स्तर पर पहुंच गया था। यह 2019-20 में GDP का 4.6 पर्सेंट हो गया था।
आंकड़ों के मुताबिक ग्रॉस टैक्स कलेक्शन 7.2 लाख करोड़ रुपए सितंबर तक रहा है। इसमें 2 लाख करोड़ रुपए या 30 पर्सेंट की गिरावट आई है। एक साल पहले यह 9.2 लाख करोड़ रुपए इसी अवधि में था।