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नई दिल्ली5 घंटे पहले
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CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि फ्यूचर रिटेल के अधिग्रहण को लेकर अमेजन की ओर से किए जा रहे प्रयास सरकार और कॉरपोरेट दोनों के लिए खतरे की घंटी है।
- व्यापारियों के संगठन ने कहा- भारतीय कंपनियों का अधिग्रहण करना चाहती है अमेजन
- FDI नीति के उल्लंघन पर भारत में जांच का सामना कर रही है अमेजन: खंडेलवाल
रिटेल कारोबार को लेकर फ्यूचर ग्रुप और अमेरिका की दिग्गज कंपनी अमेजन के बीच जंग चल रही है। अब रिटेल कारोबारियों का संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) भी इस जंग में कूद गया है। CAIT ने फ्यूचर रिटेल का समर्थन करते हुए अमेजन की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी से कर दी है। CAIT का कहना है कि जिस प्रकार ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय राज्यों को एक-एक करके अधिग्रहित किया और भारतीय व्यापार पर एकाधिकार कर लिया था, उसी प्रकार अमेजन भारतीय कंपनियों का अधिग्रहण करना चाहती है।
अमेजन की वजह से लिक्विडेशन में जाने के लिए मजबूर है फ्यूचर ग्रुप
हाल ही में फ्यूचर रिटेल ने बयान दिया था कि यदि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के साथ उसका सौदा पूरा नहीं हो पाता है तो उसे लिक्विडेशन में जाना पड़ेगा। इस बयान पर टिप्पणी करते हुए CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि अमेजन के साथ अधिग्रहण की लड़ाई के कारण भारतीय मूल के फ्यूचर रिटेल समूह को लिक्विडेशन में जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। यह बयान हमें औपनिवेशिक युग की याद दिलाता है, जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय राज्यों को एक-एक करके हथियाकर भारतीय व्यापार के इकोसिस्टम को खत्म करने की प्रक्रिया शुरू की थी।
यह कॉरपोरेट के लिए खतरे की घंटी: खंडेलवाल
खंडेलवाल ने कहा कि फ्यूचर रिटेल के अधिग्रहण को लेकर अमेजन की ओर से किए जा रहे प्रयास सरकार और कॉरपोरेट दोनों के लिए खतरे की घंटी है। इन प्रयासों ने विदेशी फंड वाली मल्टीनेशनल कंपनियों की भारत के रिटेल कारोबार को नियंत्रित करने की कुटिल मंशा को उजागर किया है। उन्होंने आगे कहा कि अमेजन खुद सरकार की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीति के घोर उल्लंघन के विभिन्न आरोपों पर भारत में जांच का सामना कर रही है।
CAIT ने फ्यूचर रिटेल का किया समर्थन
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने कहा कि ऐसे समय में जब एक भारतीय कंपनी का अस्तित्व दांव पर है, CAIT फ्यूचर रिटेल के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है। इसका कारण यह है कि फ्यूचर रिटेल एक भारतीय कंपनी है। हालांकि, भरतिया ने फिक्की और सीआईआई जैसे उद्योग संगठनों की चुप्पी पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि यह संगठन हमेशा भारत में उद्योग और वाणिज्य के पैरोकार होने का दावा करते हैं। खंडेलवाल और भरतिया ने किसी भी परेशानी से बचने के लिए किशोर बियानी से आग्रह किया कि वे डिस्ट्रीब्यूटर्स बिरादरी और फ्यूचर रिटेल के आपूर्तिकर्ताओं को जल्द से जल्द भुगतान कर दें।
क्या है फ्यूचर ग्रुप-अमेजन की लड़ाई?
रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के बीच अगस्त में 24713 करोड़ रुपए का सौदा हुआ था। इसके तहत फ्यूचर ग्रुप का रिटेल, होलसेल और लॉजिस्टिक्स कारोबार रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड को बेचा जाएगा। अब अमेजन इस सौदे का विरोध कर रहा है। अमेजन का कहना है कि फ्यूचर रिटेल अगस्त 2019 में हुए समझौते का पालन नहीं कर रहा है। अमेजन के मुताबिक, इस समझौते में एक शर्त यह भी थी कि फ्यूचर ग्रुप मुकेश अंबानी के रिलायंस ग्रुप की किसी भी कंपनी को अपने रिटेल असेट्स नहीं बेचेगा।