तारा पार्कर पोपेएक घंटा पहले
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कोरोनावायरस की वजह से पूरी दुनिया सामूहिक तौर पर तनाव का सामना कर रही है। तनाव के साथ एंग्जाइटी होने से डिप्रेशन की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। लोग सोशल मीडिया पर मानसिक तनाव की स्टोरी शेयर कर रहे हैं। कोरोनावायरस के रोकथाम के लिए पूरी दुनिया बस वैक्सीन का इंतजार कर रही है। लेकिन, खुद की केयर करके हम इसके मानसिक साइडइफेक्ट से बच सकते हैं।
साइकोलॉजिस्ट क्योडो विलियम्स के मुताबिक खुद को विपरीत परिस्थितियों में ढाल कर एंग्जाइटी से बचा जा सकता है। एंग्जाइटी से बचने के लिए मेडिकल उपाय तो जरूर मौजूद हैं, लेकिन खुद की केयर करने से ज्यादा कारगर तरीका दूसरा कोई नहीं है।
इन 10 तरीकों को अपना कर एंग्जाइटी से बचा जा सकता है
1- खुद को डिस्टर्ब करें
- जब आपको यह लगे की आपकी एंग्जाइटी लेवल ज्यादा तेजी से बढ़ रही है तो आप खुद को डिस्टर्ब करें। यानी जो कुछ भी आप सोच रहे हैं उससे ध्यान हटाएं। खुद को कहीं व्यस्त करें जिससे आप की चिंता कम हो सके। खुश रहने का प्रयास करें।
- क्योडो विलियम्स कहती हैं कि जिस बात से आपको चिंता हो रही है या जिसमें असुरक्षा का भाव आ रहा है उसे न सोचें। किसी और काम पर फोकस करें। हो सके तो दोस्तों को फोन करें और बाहर घूमने जाएं।
2- पैरों पर फोकस करें
- एंग्जाइटी बढ़ने पर आप कुछ क्विक एक्सरसाइज भी कर सकते हैं। कुछ समय तक खड़े होकर या बैठ कर अपने पैरों पर फोकस करें। उनके बारे में सोचें, जैसे – क्या पैर गर्म हैं या ठंडे, वे कैसे काम करते हैं, पैरों के जॉइंट्स कैसे बने हैं?
- इस तरह की एक्सरसाइज से आप किसी ऐसी चीज पर फोकस कर सकते हैं, जिसमें किसी चिंता या तनाव की कोई गुंजाइश ही न हो। कुछ देर तक खुद को इस तरह से डाइवर्ट करने से आपको आराम मिलेगा।
3- वॉक करें
- जब भी एंग्जाइटी बढ़ने लग जाए और आप बहुत परेशान होने लगें तो आप कम से कम 3 मिनट तक बिना रुके चलें। चलने के दौरान आप अपनी चाल पर फोकस करें, चलने की स्पीड को कम ज्यादा करें, जहां आप चल रहे हैं उस जगह के बारे में सोचें, आस-पास पेड़-पौधे या जो कुछ भी है उसे देखें। इस एक्सरसाइज से भी आप खुद को किसी ऐसी चीज से जोड़ लेंगे जिसमें एंग्जाइटी और तनाव जैसी कोई बात हो ही नहीं सकती।
4- घर के काम में लगें
- खुद को घर के किसी काम में एंगेज करके भी एंग्जाइटी को कम किया जा सकता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक एंग्जाइटी होने की एक ही वजह है कि लोग किसी एक चीज को लेकर बहुत देर तक सोचते रहते हैं। जिसके चलते उनके अंदर असुरक्षा और तनाव का भाव आता है जो एंग्जाइटी को बढ़ावा देता है।
- घर के काम में लगने से आप खुद को किसी एक चीज के बारे में सोचने से रोक सकते हैं। घर के काम में थोड़ा वक्त लगता है। दिमाग और मेहनत भी लगती है इसलिए यह एक लॉन्ग एक्सरसाइज साबित हो सकती है। ऐसा करने से आप कम से कम 10 घंटे तक एंग्जाइटी से दूर रहेंगे।
5- “5 फिंगर ब्रीदिंग” करें
5 फिंगर ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से दिमाग शांत होता है। इससे सुकून भी महसूस होगा और साथ ही आप रिफ्रेश महसूस करेंगे। नीचे दिए गए तरीकों को अपनाकर आप इसे आसानी से कर सकते हैं।
स्टेप 1. अपने दाहिने हाथ को अपने सामने लाएं, और उंगलियों को जितना हो सके फैला लें।
स्टेप 2. दूसरे हाथ की चौथी उंगली को दाहिने हाथ की पांचों उंगलियों के बाहरी किनारे पर फेरें। अंगूठे से शुरू करके छोटी उंगली तक इस प्रक्रिया को जारी रखें।
स्टेप 3. जब आप शुरू करें तो सांस अंदर लें, जब उंगलियों के सबसे ऊपरी हिस्से में पहुंचे तो होल्ड करें और नीचे की तरफ जाते हुए सांस छोड़ें।
स्टेप 4. इस क्रम को पांचों उंगलियों तक जारी रखें और जब आप इसे पूरा कर लें तो आप वहीं से दोबारा इस प्रक्रिया को दोहराएं। ऐसा दो से तीन बार करें।
6- प्रकृति से जुड़ें
- एंग्जाइटी को कम करने का सबसे कारगर तरीका है कि आप खुद को नेचर यानी प्रकृति से जोड़ें। नदी, तालाब, पार्क या किसी भी नेचुरल साइट पर जाकर खुद को आराम दें। इस दौरान फोन से दूर रहें, खुद से कुछ गुनगुनाएं, खुद से ही बातें करें। यह एक तरह का मेडिटेशन है जो आपको शांत रखेगा। एक्सपर्ट्स के मुताबिक एंग्जाइटी का लेवल चाहे जितना भी हो लेकिन यह तरीका बहुत कारगर और असरदार है।
7- खुद को “री-डिस्कवर” करें
- एंग्जाइटी के दौरान हम एक दूसरी दुनिया में होते हैं, जहां हम खुद पर से भरोसा और खुद की आशा खो देते हैं। इसी वजह से हम खुद के करियर, परिवार, पढ़ाई और जॉब को लेकर बहुत नेगेटिव सोचने लगते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक ऐसी स्थित में खुद को री-डिस्कवर करना बहुत कारगर साबित हो सकता है। खुद को री-डिस्कवर करना मतलब खुद के बारे में सोचना, जैसे- आप कौन हैं, आपकी काबिलियत क्या है, आप क्यों जरूरी हैं। ऐसा करने से कॉन्फिडेंस वापस आता है और एंग्जाइटी लेवल कम हो जाता है।
8- डिस्ट्रैक्शन को एन्जॉय करें
- तनाव और एंग्जाइटी के दौरान कभी-कभी हम डिस्ट्रैक्ट यानी विचलित भी होते हैं। यानी किसी बात को सोचते-सोचते कुछ और सोचने लगते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक एंग्जाइटी में डिस्ट्रैक्ट होना अच्छा होता है। इससे हम किसी एक बात को लेकर काफी गहरी सोच में जाने से बच सकते हैं। इसलिए डिस्ट्रैक्शन को रोकने के बजाय उसे एन्जॉय करें।
9- सुगंध लें
- एंग्जाइटी कभी-कभी इस हद तक होने लगती है कि लोगों की हार्ट बीट और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता जाता है। एक जगह पर बैठना और काम में फोकस करना मुश्किल हो जाता है। इसे मेडिकल टर्म में एंग्जाइटी अटैक कहते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक एंग्जाइटी अटैक के दौरान हम सुगंध ले सकते हैं। सुगंध की वजह से ब्रेन में फ्लक्चुएशन कम हो जाता है और बहुत कम समय में एंग्जाइटी का असर कम होने लगता है।
10- मौजूदा हालात को स्वीकार करें
- एंग्जाइटी होने की सबसे बड़ी वजह यह है कि हम हालातों को स्वीकार करें नहीं करते। हम विपरीत परिस्थितियों से लड़ने के बजाय उससे दूर भागने लगते हैं। इसके चलते हमारी शरीर और हमारा दिमाग खुद को उस परिस्थिति के हिसाब से ढाल नहीं पाता और हमें एंग्जाइटी होने लगती है। इसके उलट जब हम हालातों को स्वीकार कर लेते हैं तो हम उसमें जीना सीख जाते हैं जिससे हमारी आशाएं बनी रहती हैं। इसलिए विपरीत परिस्थिति में एंग्जाइटी से बचने के लिए मौजूदा हालात को स्वीकार करें।