न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Thu, 05 Nov 2020 08:49 PM IST
बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्री कृष्णा सिंह
– फोटो : Social Media
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वोट मांगने नहीं जाते थे श्री बाबू
बिहार में विधानसभा चुनाव के इस दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक अपने प्रत्याशियों के लिए चुनावी मैदान में जाकर वोट मांग रहे हैं। लेकिन बिहार केसरी श्री बाबू चुनाव के दौरान श्री बाबू प्रत्याशियों के लिए तो क्या अपने लिए भी वोट मांगने नहीं जाते थे। दरअसल, श्री बाबू 1946 में बिहार के सीएम बने थे और 1961 तक इसी पद पर रहे। उनसे जुड़ा यह किस्सा साल 1957 का है, उस वक्त वह शेखपुरा जिले के बरबीघा से चुनाव लड़ रहे थे। उस दौरान उन्होंने अपने सहयोगियों से साफ कह दिया था कि इस चुनाव में वह जनता से वोट मांगने नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा था कि अगर मैंने काम किया होगा या जनता मुझे इस लायक समझेगी, तो वोट देगी। अगर मुझे लायक नहीं समझेगी तो वोट नहीं देगी।
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बिहार से खत्म की थी जमींदारी
जानकार बताते हैं कि श्री बाबू अपने उसूलों से कभी कोई समझौता नहीं करते थे। इसके अलावा बिहार में जमींदारी प्रथा खत्म करने का श्रेय भी उन्हें ही दिया जाता है।
सुरक्षाकर्मियों को छोड़ देते थे बाहर
बिहार के बुजुर्ग लोग बताते हैं कि श्री बाबू जब सीएम थे तो कई बार अपने गांव भी जाते थे। उस वक्त वह अपने सुरक्षाकर्मियों को गांव के बाहर ही छोड़ देते थे। वह कहते थे कि यह मेरा गांव है। यहां मुझे कोई खतरा नहीं। बिहार के लोग आज भी कहते हैं कि श्री बाबू कभी अपने क्षेत्र में वोट मांगने नहीं आते थे। वह हमेशा लोगों के लिए सुलभ रहते थे।
नवादा में हुआ था जन्म
जानकारी के मुताबिक, श्री बाबू का जन्म बिहार में नवादा जिले के खनवां गांव में हुआ था। वह 1946 से 1961 तक लगातार बिहार के मुख्यमंत्री रहे।