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लैत्सेह (मेघालय)11 मिनट पहले
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पहले गोल्डन बेबी लीग में खेलते बच्चे।
मेघालय के एक गांव लैत्सेह में हुई पहली गोल्डन बेबी लीग में 350 से ज्यादा बच्चों ने हिस्सा लिया। खास बात यह है कि इनमें से कई बच्चे मेघालय के पर्वतीय इलाकों से 70 किलोमीटर का सफर तय करके यहां पहुंचे थे। ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) ने इस लीग के संचालक गिल्बर्ट जैक्सन के हवाले से कहा कि इस लीग में भाग लेने के लिए कई बच्चे सुबह से ही घर से निकल जाते हैं। कई बच्चे तो अपनी-अपनी टीम के साथ मैच खेलने के लिए कई मील दूर इलाकों से यहां पहुंचते हैं।
क्या है गोल्डन बेबी लीग
गोल्डन बेबी लीग को शुरू करने का मकसद लड़के और लड़कियों की नई पीढ़ी को कम उम्र से ही खेलों के लिए प्रेरित करना है। AIFF ने 2018 में 6 से 12 साल तक के बच्चों के लिए इस लीग को शुरू किया था। इसका मकसद बच्चों को लिंग, धर्म और आर्थिक स्थिति के भेदभाव के बिना फुटबॉल की सुविधाएं प्रदान करना है।
कई समुदाय के बच्चे लीग में लेते हैं हिस्सा
गिल्बर्ट जैक्सन ने कहा कि इस लीग में विभिन्न समुदाय के बच्चे हिस्सा लेते हैं। जिनमें से कई बच्चे सुबह 6 बजे उठते हैं और 70 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। यह देखकर खुशी होती है कि बच्चे और उनके पैरेंट्स खेल को लेकर इतने जागरूक हैं। हमारे लिए इस तरह के आयोजन करना एक प्रेरणा है। टूर्नामेंट के आयोजकों के मुताबिक, मैच में सभी आयु-समूहों में अच्छी उपस्थिति दर दर्ज की गई।
सभी टीमें मैच खेलने पहुंचीं
गिल्बर्ट ने कहा कि सभी बच्चे लीग को लेकर बेहद उत्साहित थे, क्योंकि यह एक देशव्यापी पहल है। यह मैदान बहुत दूर है, लेकिन फिर भी खिलाड़ियों को यहां आकर घर जैसा महसूस होता है। यह गोल्डन बेबी लीग का पहला संस्करण था, लेकिन फिर भी सभी टीमें मैच खेलने पहुंची। कोई भी मैच ऐसा नहीं हुआ, जो प्लेयर की अनुपस्थिति की वजह से नहीं खेला गया हो।
लड़कियों के लिए अलग लीग बनाएंगे
गिल्बर्ट ने कहा कि वह लड़कियों के लिए भी एक अलग से लीग बनाने की योजना बना रहे हैं। यह लोगों को प्रोत्साहित करेगा। इससे पैरेंट्स अधिक से अधिक संख्या में अपनी बेटियों को फुटबॉल खेलने के लिए भेज सकेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य जमीनी स्तर पर फुटबॉल को लेकर लोगों के दिल में जगह बनाना है। साथ ही इस तरह की पहल के साथ, हम अधिक क्लबों को लुभा सकेंगे।