Bihar Assembly Elections Result And Some Important Possibilities Related To It – बिहार विधानसभा चुनाव और एक नजर उससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण संभावनाओं पर

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना

Updated Mon, 09 Nov 2020 10:20 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव 2020
– फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स

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कोरोना काल में हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान पूरा हो चुका है। मंगलवार दस तारीख को चुनाव के परिणाम भी आ जाएंगे, लेकिन आम लोगों के बीच अटकलों का बाजार गर्म है और हर चौक-चौराहे पर यह बहस जारी है कि राज्य में आखिर सरकार किसकी बनेगी। 

कोई एग्जिट पोल की दुहाई दे रहा है तो किसी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चेहरे पर विश्वास है। इन तमाम चर्चाओं के बीच यह भी जान लेना रोचक होगा कि मंगलवार को परिणाम आने के बाद कौन-कौन सी संभावनाओं से राज्य के लोगों को रूबरू होना पड़ सकता है।

 

  • पहली और सीधी-साधी संभावना यह है कि दोनों गठबंधनों (महागठबंधन और एनडीए) में से किसी एक की सरकार बन सकती है। बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली राजद (राष्ट्रीय जनता दल) सबसे बड़ी पार्टी और भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है।
  • दूसरी संभावना है त्रिशंकु जनादेश (हंग मैंडेट) की। विधानसभा गठन के लिए तिथि 29 नवंबर तय की गई है। राज्य के दोनों बड़े गठबंधनों को विधानसभा गठन के लिए 19 दिनों का मिलेगा। जोड़-तोड़ की संभावना बढ़ सकती है। ऐसे में राज्यपाल की भूमिका अति महत्वपूर्ण हो जाएगी। 
  • तीसरी संभावना यह है कि अगर बहुत छोटे अंतर से सरकार एनडीए की बनती है और लोजपा प्रमुख चिराग पासवान की पार्टी का संख्या बल डबल डिजिट के आसपास रहता है तब चिराग पासवान की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी। नीतीश कुमार को केंद्र सरकार के साथ जाने का सर्वसम्मति से प्रस्ताव मिल सकता है। केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने भी रविवार को इस संबंध में इशारा करते हुए कहा था कि नीतीश कुमार केंद्र की राजनीति में कहीं भी फिट हो सकते हैं।
  • चौथी संभावना नीतीश कुमार के फिर से मुख्यमंत्री बनने से जुड़ी है। कमजोर नीतीश कुमार भाजपा को सूट करेंगे। उम्मीद है कि साल 2015 के महागठबंधन सरकार की परिस्थिति फिर से न आ जाए जहां मुख्यमंत्री का फैसला ही अंतिम फैसला नहीं होगा।
  • पांचवी संभावना महागठबंधन के सरकार गठन से जुड़ी है। मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व में राजद की सरकार और पार्टी मजबूत स्थिति में रहेगी। कांग्रेस अपने लगभग 20 विधायकों के साथ सरकार की यस मिनिस्टर की भूमिका में रहेगी। 
  • वहीं, वामदलों में सीपीआई-माले सबसे बड़ी पार्टी रहेगी जो सरकार में शामिल नहीं होगी, लेकिन उसका समर्थन राजद नेतृत्व वाली सरकार को रहेगा। जाहिर है वामदलों के सभी घटक दलों को अपने जनाधार बढाने का बेहतरीन अवसर मिलेगा और वो इसका बखूबी इस्तेमाल करेंगे।
  • राज्य में महागठबंधन की सरकार बनने के कुछ महीनों के बाद संभावना है कि चिराग पासवान को केंद्रीय मंत्री बनाया जाए और नीतीश कुमार की पार्टी जदयू प्रदेश में अपना वजूद खो सकती है।
कोरोना काल में हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान पूरा हो चुका है। मंगलवार दस तारीख को चुनाव के परिणाम भी आ जाएंगे, लेकिन आम लोगों के बीच अटकलों का बाजार गर्म है और हर चौक-चौराहे पर यह बहस जारी है कि राज्य में आखिर सरकार किसकी बनेगी। 

कोई एग्जिट पोल की दुहाई दे रहा है तो किसी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चेहरे पर विश्वास है। इन तमाम चर्चाओं के बीच यह भी जान लेना रोचक होगा कि मंगलवार को परिणाम आने के बाद कौन-कौन सी संभावनाओं से राज्य के लोगों को रूबरू होना पड़ सकता है।

 

  • पहली और सीधी-साधी संभावना यह है कि दोनों गठबंधनों (महागठबंधन और एनडीए) में से किसी एक की सरकार बन सकती है। बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली राजद (राष्ट्रीय जनता दल) सबसे बड़ी पार्टी और भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है।
  • दूसरी संभावना है त्रिशंकु जनादेश (हंग मैंडेट) की। विधानसभा गठन के लिए तिथि 29 नवंबर तय की गई है। राज्य के दोनों बड़े गठबंधनों को विधानसभा गठन के लिए 19 दिनों का मिलेगा। जोड़-तोड़ की संभावना बढ़ सकती है। ऐसे में राज्यपाल की भूमिका अति महत्वपूर्ण हो जाएगी। 
  • तीसरी संभावना यह है कि अगर बहुत छोटे अंतर से सरकार एनडीए की बनती है और लोजपा प्रमुख चिराग पासवान की पार्टी का संख्या बल डबल डिजिट के आसपास रहता है तब चिराग पासवान की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी। नीतीश कुमार को केंद्र सरकार के साथ जाने का सर्वसम्मति से प्रस्ताव मिल सकता है। केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने भी रविवार को इस संबंध में इशारा करते हुए कहा था कि नीतीश कुमार केंद्र की राजनीति में कहीं भी फिट हो सकते हैं।
  • चौथी संभावना नीतीश कुमार के फिर से मुख्यमंत्री बनने से जुड़ी है। कमजोर नीतीश कुमार भाजपा को सूट करेंगे। उम्मीद है कि साल 2015 के महागठबंधन सरकार की परिस्थिति फिर से न आ जाए जहां मुख्यमंत्री का फैसला ही अंतिम फैसला नहीं होगा।
  • पांचवी संभावना महागठबंधन के सरकार गठन से जुड़ी है। मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व में राजद की सरकार और पार्टी मजबूत स्थिति में रहेगी। कांग्रेस अपने लगभग 20 विधायकों के साथ सरकार की यस मिनिस्टर की भूमिका में रहेगी। 
  • वहीं, वामदलों में सीपीआई-माले सबसे बड़ी पार्टी रहेगी जो सरकार में शामिल नहीं होगी, लेकिन उसका समर्थन राजद नेतृत्व वाली सरकार को रहेगा। जाहिर है वामदलों के सभी घटक दलों को अपने जनाधार बढाने का बेहतरीन अवसर मिलेगा और वो इसका बखूबी इस्तेमाल करेंगे।
  • राज्य में महागठबंधन की सरकार बनने के कुछ महीनों के बाद संभावना है कि चिराग पासवान को केंद्रीय मंत्री बनाया जाए और नीतीश कुमार की पार्टी जदयू प्रदेश में अपना वजूद खो सकती है।

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