जश्न-ए-बिहार
– फोटो : अमर उजाला (फाइल)
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बिहार विधानसभा की हिलसा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल के शक्ति सिंह यादव चुनाव लड़ रहे थेे। वे अब पराजित उम्मीदवार हैं क्योंकि इस सीट पर जदयू के कृष्णमुरारीशरण ने केवल 12 वोटों के अंतर से चुनावी जीत हासिल कर लिया है। राजद नेताओं ने आरोप लगाया है कि शक्ति सिंह यादव को पहले 547 वोटों से विजयी बता दिया गया था, लेकिन उन्हें विजयी होने का प्रमाण पत्र देने के लिए कुछ देर बाद आने के लिए कहा गया। आरोप है कि जब शक्ति सिंह यादव के समर्थक जीत का प्रमाण पत्र लेने आए, तब चुनाव अधिकारी ने उन्हें 12 वोटों के अंतर से हारा हुआ करार दे दिया।
ध्यान देने की बात है कि शक्ति सिंह यादव को पोस्टल बैलेट में 233 वोट और जदयू उम्मीदवार को 232 वोट मिले हैं। लोकजनशक्ति पार्टी के एक अन्य पराजित हुए उम्मीदवार को पोस्टल बैलेट में 36 वोट मिले हैं। आरजेडी नेताओं का आरोप है कि असली ‘खेल’ इसी पोस्टल बैलेट के माध्यम से किया गया है। यह क्षेत्र नीतीश कुमार का गढ़ भी माना जाता है।
शक्ति सिंह यादव अकेले उम्मीदवार नहीं हैं जो बेहद कम वोटों के अंतर से जीत का स्वाद चखने से वंचित रह गए हैं। छपरा की परिहार विधानसभा सीट पर राजद उम्मीदवार रितु जायसवाल का भी दावा है कि वोटों की गिनती के बाद उन्हें विजयी करार दे दिया गया था। बाद में जब जीत का प्रमाण पत्र लेने के लिए वे पहुंचीं तो उन्हें मात्र 17 वोटों से पराजित करार दे दिया गया। इस सीट पर भाजपा की गायत्री देवी जीत हासिल करने में कामयाब रहीं। आरजेडी उम्मीदवार अब चुनाव आयोग से गुहार लगा रही हैं।
कोर्ट जा सकती है आरजेडी
राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता डॉक्टर नवल किशोर ने अमर उजाला को बताया कि उनके एक दर्जन से अधिक उम्मीदवारों की हार दस-बीस या सौ-दो सौ वोटों से हुई है। जिन सीटों पर एनडीए उम्मीदवार पुनर्मतगणना की मांग कर रहे थे, उन्हें स्वीकार कर लिया गया, लेकिन जिन सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार बहुत कम वोटों से हार रहे थे और पुनर्मतगणना की मांग कर रहे थे, उनकी मांग को अनसुना कर दिया गया।
पटना में राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं तेजस्वी यादव, तेजप्रताप यादव, जगदानंद सिंह, मनोज कुमार झा की जीते-हारे उम्मीदवारों के साथ बैठक के बाद इस पर निर्णय लिया जा सकता है। संभावना है कि राष्ट्रीय जनता दल चुनाव आयोग के पास दोबारा अपील करे और अगर यहां भी बात नहीं बनती है तो वह कोर्ट का रुख भी कर सकती है। इस पर अंतिम निर्णय पार्टी के वरिष्ठ नेता करेंगे।
क्या कहती है एनडीए
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रेम शुक्ला कहते हैं कि चुनाव परिणामों पर शिकायत करना किसी भी पार्टी का लोकतांत्रिक अधिकार है और आरजेडी नेता इसका खुलकर उपयोग कर सकते हैं। लेकिन इसी के साथ आरजेडी की यह सोच बताती है कि उनकी लोकतंत्र की शक्तियों पर विश्वास नहीं है। यह उनके राजनीतिक रूप से अपरिपक्व होने की निशानी है।
प्रेम शुक्ला ने कहा कि इसी चुनाव में दर्जनों ऐसी सीटें हैं जहां भाजपा-जेडीयू उम्मीदवारों ने बेहद कम मार्जिन से हार का सामना किया है। लेकिन हमने कहीं भी चुनाव आयोग पर सवाल नहीं उठाए हैं। विपक्ष को भी इसी प्रकार की परिपक्वता दिखानी चाहिए।
भाजपा के मीडिया प्रमुख संजय मयूख का कहना है कि अब तेजस्वी यादव बचपना दिखा रहे हैं। उनको समझना चाहिए कि राजनीति बच्चों का खेल नहीं है जहां हार-जीत जनता के मन से तय होती है। कोई पिता अपनी राजनीतिक विरासत किसी को सौंप सकता है, लेकिन लोकतंत्र में जीत-हार तो जनता के मन से ही तय होती है और उसी को स्वीकार करना श्रेयस्कर होता है।
बिहार भाजपा नेता सुमित श्रीवास्तव ने कहा कि वर्ष 2020 का चुनाव इस बात का गवाह है कि पूरे चुनाव में कहीं भी हिंसा नहीं होने पाई है। कहीं भी हिंसा, चुनावी धांधली की कोई खबर नहीं आई। अब चुनाव हारने के बाद अगर तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी कहती है कि चुनाव में धांधली हुई है तो उनकी बात को कोई स्वीकार नहीं करेगा। तेजस्वी यादव को परिपक्वता दिखाते हुए सरकार का सहयोग कर जनता के लिए अच्छे कार्य करने की कोशिश करनी चाहिए।
जदयू प्रवक्ता सत्यप्रकाश मिश्रा ने कहा कि नीतीश कुमार सुशासन के पर्याय बन चुके हैं। यह उनके नेतृत्व का ही परिणाम है कि पूरे चुनाव में कहीं भी धांधली होने की बात सामने नहीं आई। ऐसे में आरजेडी के शीर्ष नेताओं को तेजस्वी यादव को हार स्वीकार करने की सीख भी देनी चाहिए। वे विपक्ष के नेता बनने जा रहे हैं और उन्हें अपने मन की न होने के बाद भी सरकार के साथ सहकार से चलने की समझ विकसित होना लोकतंत्र के लिए ज्यादा बेहतर होगा।
सार
राष्ट्रीय जनता दल प्रवक्ता का कहना है, उनके एक दर्जन से अधिक उम्मीदवारों की हार दस-बीस या सौ-दो सौ वोटों से हुई है। जिन सीटों पर एनडीए उम्मीदवार पुनर्मतगणना की मांग कर रहे थे, उन्हें स्वीकार कर लिया गया, हमारी मांगों को अनसुना कर दिया गया…
विस्तार
बिहार विधानसभा की हिलसा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल के शक्ति सिंह यादव चुनाव लड़ रहे थेे। वे अब पराजित उम्मीदवार हैं क्योंकि इस सीट पर जदयू के कृष्णमुरारीशरण ने केवल 12 वोटों के अंतर से चुनावी जीत हासिल कर लिया है। राजद नेताओं ने आरोप लगाया है कि शक्ति सिंह यादव को पहले 547 वोटों से विजयी बता दिया गया था, लेकिन उन्हें विजयी होने का प्रमाण पत्र देने के लिए कुछ देर बाद आने के लिए कहा गया। आरोप है कि जब शक्ति सिंह यादव के समर्थक जीत का प्रमाण पत्र लेने आए, तब चुनाव अधिकारी ने उन्हें 12 वोटों के अंतर से हारा हुआ करार दे दिया।
ध्यान देने की बात है कि शक्ति सिंह यादव को पोस्टल बैलेट में 233 वोट और जदयू उम्मीदवार को 232 वोट मिले हैं। लोकजनशक्ति पार्टी के एक अन्य पराजित हुए उम्मीदवार को पोस्टल बैलेट में 36 वोट मिले हैं। आरजेडी नेताओं का आरोप है कि असली ‘खेल’ इसी पोस्टल बैलेट के माध्यम से किया गया है। यह क्षेत्र नीतीश कुमार का गढ़ भी माना जाता है।
शक्ति सिंह यादव अकेले उम्मीदवार नहीं हैं जो बेहद कम वोटों के अंतर से जीत का स्वाद चखने से वंचित रह गए हैं। छपरा की परिहार विधानसभा सीट पर राजद उम्मीदवार रितु जायसवाल का भी दावा है कि वोटों की गिनती के बाद उन्हें विजयी करार दे दिया गया था। बाद में जब जीत का प्रमाण पत्र लेने के लिए वे पहुंचीं तो उन्हें मात्र 17 वोटों से पराजित करार दे दिया गया। इस सीट पर भाजपा की गायत्री देवी जीत हासिल करने में कामयाब रहीं। आरजेडी उम्मीदवार अब चुनाव आयोग से गुहार लगा रही हैं।
कोर्ट जा सकती है आरजेडी
राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता डॉक्टर नवल किशोर ने अमर उजाला को बताया कि उनके एक दर्जन से अधिक उम्मीदवारों की हार दस-बीस या सौ-दो सौ वोटों से हुई है। जिन सीटों पर एनडीए उम्मीदवार पुनर्मतगणना की मांग कर रहे थे, उन्हें स्वीकार कर लिया गया, लेकिन जिन सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार बहुत कम वोटों से हार रहे थे और पुनर्मतगणना की मांग कर रहे थे, उनकी मांग को अनसुना कर दिया गया।
पटना में राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं तेजस्वी यादव, तेजप्रताप यादव, जगदानंद सिंह, मनोज कुमार झा की जीते-हारे उम्मीदवारों के साथ बैठक के बाद इस पर निर्णय लिया जा सकता है। संभावना है कि राष्ट्रीय जनता दल चुनाव आयोग के पास दोबारा अपील करे और अगर यहां भी बात नहीं बनती है तो वह कोर्ट का रुख भी कर सकती है। इस पर अंतिम निर्णय पार्टी के वरिष्ठ नेता करेंगे।
क्या कहती है एनडीए
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रेम शुक्ला कहते हैं कि चुनाव परिणामों पर शिकायत करना किसी भी पार्टी का लोकतांत्रिक अधिकार है और आरजेडी नेता इसका खुलकर उपयोग कर सकते हैं। लेकिन इसी के साथ आरजेडी की यह सोच बताती है कि उनकी लोकतंत्र की शक्तियों पर विश्वास नहीं है। यह उनके राजनीतिक रूप से अपरिपक्व होने की निशानी है।
प्रेम शुक्ला ने कहा कि इसी चुनाव में दर्जनों ऐसी सीटें हैं जहां भाजपा-जेडीयू उम्मीदवारों ने बेहद कम मार्जिन से हार का सामना किया है। लेकिन हमने कहीं भी चुनाव आयोग पर सवाल नहीं उठाए हैं। विपक्ष को भी इसी प्रकार की परिपक्वता दिखानी चाहिए।
भाजपा के मीडिया प्रमुख संजय मयूख का कहना है कि अब तेजस्वी यादव बचपना दिखा रहे हैं। उनको समझना चाहिए कि राजनीति बच्चों का खेल नहीं है जहां हार-जीत जनता के मन से तय होती है। कोई पिता अपनी राजनीतिक विरासत किसी को सौंप सकता है, लेकिन लोकतंत्र में जीत-हार तो जनता के मन से ही तय होती है और उसी को स्वीकार करना श्रेयस्कर होता है।
बिहार भाजपा नेता सुमित श्रीवास्तव ने कहा कि वर्ष 2020 का चुनाव इस बात का गवाह है कि पूरे चुनाव में कहीं भी हिंसा नहीं होने पाई है। कहीं भी हिंसा, चुनावी धांधली की कोई खबर नहीं आई। अब चुनाव हारने के बाद अगर तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी कहती है कि चुनाव में धांधली हुई है तो उनकी बात को कोई स्वीकार नहीं करेगा। तेजस्वी यादव को परिपक्वता दिखाते हुए सरकार का सहयोग कर जनता के लिए अच्छे कार्य करने की कोशिश करनी चाहिए।
जदयू प्रवक्ता सत्यप्रकाश मिश्रा ने कहा कि नीतीश कुमार सुशासन के पर्याय बन चुके हैं। यह उनके नेतृत्व का ही परिणाम है कि पूरे चुनाव में कहीं भी धांधली होने की बात सामने नहीं आई। ऐसे में आरजेडी के शीर्ष नेताओं को तेजस्वी यादव को हार स्वीकार करने की सीख भी देनी चाहिए। वे विपक्ष के नेता बनने जा रहे हैं और उन्हें अपने मन की न होने के बाद भी सरकार के साथ सहकार से चलने की समझ विकसित होना लोकतंत्र के लिए ज्यादा बेहतर होगा।
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