अबुजा। नाइजीरिया के लोगों को एक बार फिर आतंकवादी संगठन बोको हरम के कहर का सामना करना पड़ रहा है। इस कट्टरवादी संगठन ने बड़ी घटना को अंजाम देते हुए 110 नाइजीरियाई नागरिकों का कत्लेआम कर दिया है। और इनकी औरतों को उठकर अपने साथ ले गए हैं। आतंकियों ने यहां एक गांव पर हमला बोला। यहां खेतों में काम कर रहे किसानों और मजदूरों को आंतकियों ने निशाना बनाया। उन्हें पकड़कर पहले उनके हाथ-पांव बांध दिए और फिर सबका गला रेत दिया। यूनाइटेड नेशंस (UN) ने इस घटना की निंदा करते हुए हालात पर चिंता जताई है। जिहादी विरोधी मिलिशिया ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन मजदूरों को पहले रस्सियों से बांधा गया और फिर क्रूर तरीके से इनके गले को काट दिया गया।
पहले 43 लोगों के शव बरामद हुए थे
घटना शनिवार की है। यहां नॉर्थ ईस्ट नाइजीरिया के मैदुगुरी शहर के पास के एक गांव बोको हरम के आतंकियों ने हमला किया था। घटना के बाद मौके से 43 शव बरामद हुए थे। बाद में ये आंकड़ा बढ़कर 110 से ज्यादा हो गया। UN ने भी कहा कि यहां मरने वालों की संख्या 110 से ज्यादा है।
कई साल से यहां आतंकी हमला हो रहा
जिहादी गतिविधियों का विरोध करने वाली मिलिशिया के नेता बाबाकुरा कोलो ने घटना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन मजदूरों को पहले रस्सियों से बांधा गया और फिर इनके गले काटे गए। बाबाकुरा ने बताया कि इस इलाके में बोको हरम आतंकी संगठन एक्टिव है। कई सालों से वह मजदूरों को निशाना बना रहा है।
राष्ट्रपति बोले- पूरा देश घायल हुआ
जानकारी के अनुसार नाइजीरिया के राष्ट्रपति मोहम्मदू बुहारी ने इस हमले की निंदा की है। उन्होंने कहा है कि इन हत्याओं से पूरा देश घायल हुआ है। एक और मिलिशिया इब्राहिम लिमन ने बताया कि इस घटनाक्रम में मारे गए मजदूर उत्तर पश्चिम नाइजीरिया के सोकोतो राज्य के थे। ये सभी लोग काम की तलाश में इस इलाके में आए थे। लिमन ने बताया कि 60 मजदूरों को धान के खेत में काम करने का जिम्मा सौंपा गया था।
अब तक 20 लाख लोग हो चुके हैं विस्थापित
पिछले महीने, बोको हराम के लड़ाकों ने दो अलग-अलग घटनाओं में मैदुगुरी के पास सिंचाई के खेतों में काम कर रहे 22 किसानों की हत्या कर दी। बोको हराम ने अपने हिंसक अभियान में किसानों, मजदूरों, चरवाहों और मछुआरों को तेजी से निशाना बनाया है। बोको हरम इन लोगों पर जासूसी करने और सेना और स्थानीय मिलिशिया से लड़ने की जानकारी देने का आरोप लगाता रहा है। साल 2009 के बाद से करीब 36 हजार लोगों की जिहादी विवाद में जान जा चुकी है और 20 लाख से ज्यादा विस्थापित हो चुके हैं।
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