To tackle the problem of waste caused by sanitary napkins, two students of a government school in Telangana made ‘Zero West’ sanitary napkins from organic materials | सैनिटरी नैपकिन से होने वाले कचरे की समस्या से निपटने के लिए तेलंगाना के सरकारी स्कूल की दो स्टूडेंट ने बनाया ‘जीरो वेस्ट’ सैनिटरी नैपकिन

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5 घंटे पहले

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तेलंगाना के यादाद्री भुवनगिरि जिले के एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स ने सैनिटरी नैपकिन से होने वाले कचरे को खत्म करने के मकसद से स्त्री रक्षा पैड्‌स नामक जीरो वेस्ट सैनिटरी नैपकिन बनाया है। जिला परिषद हाई स्कूल मुल्कलपल्ली के स्टूडेंट्स ने इन ऑर्गेनिक सैनिटरी पैड को जलकुंभी, मेथी, हल्दी, नीम और साब्जा के बीज का इस्तेमाल कर बनाया है।

ऑर्गेनिक सामान से बनाया सैनिटरी पैड

इसे बनाने वाली छात्रा स्वाति ने न्यूज एजेंसी को बताया कि बाजार में मिलने वाले पैड आसानी से खत्म नहीं होते, ऐसे में इस समस्या को हल करने के लिए, हमने यह नैपकिन ऑर्गेनिक सामान से बनाया है। साथ ही आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले सैनिटरी पैड में कई पेट्रोलियम पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके कई साइड इफेक्ट्स होने के साथ ही कई पर्यावरणीय समस्याएं भी होती हैं।

ऐसे तैयार होता है ऑर्गेनिक सैनिटरी नैपकिन

इस ऑर्गेनिक सैनिटरी पैड की प्रोसेस के बारे में स्वाति ने बताया कि नीम के पत्तों, मेथी और हल्दी के साथ जलकुंभी के पेस्ट को ठोस बोर्ड बनने तक सुखाया जाता है। इसके बाद एक कॉमन पैड के आकार में इसे काटकर मधुमक्खी के गोंद की मदद से मेथी और साब्जा के बीज को बोर्ड पर एक साथ जोड़कर कपास की पट्टियों के बीच रखा जाता है और फिर सील कर दिया जाता है।

लोगों के बीच जागरुकता लाना जरूरी

इसी स्कूल की 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली एक अन्य छात्रा अनीता ने कहा कि, “लोगों और खुद के बीच मासिक धर्म के बारे में बात कर जागरूकता पैदा करना जरूरी है। ऐसे में जागरूकता पैदा करने और ऑर्गेनिक सैनिटरी पैड के उपयोग में अपनी भागीदारी देने के मकसद से हमने यह सैनिटरी पैड बनाने का फैसला किया। ये पैड न सिर्फ महिलाओं को उनके मासिक धर्म के दौरान मदद करते हैं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी हैं। ”

आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर है जलकुंभी

स्वाति ने बताया कि यह जानने के बाद कि जलकुंभी में आयुर्वेदिक सार होने के साथ पुराने समय में महिलाएं इसे कपड़े में बांधकर गाय के गोबर के साथ सैनिटरी पैड के रूप में इस्तेमाल करती थीं, हमने भी इसकी मदद से सैनिटरी पैड बनाने का फैसला किया। इन पैड्स को बनाने में स्टूडेंट्स का मार्गदर्शन करने वाली शिक्षिका कल्याणी कहती हैं कि स्त्री रक्षा पैड्‌स बनाने पर उन्हें अपने स्टूडेंट्स पर गर्व है।

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