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कोटा-बूंदी7 मिनट पहले
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नगर निकाय चुनाव 2021 के तहत आज बूंदी नगर परिषद सभापति सहित पांच नगर पालिकाओं कापरेन, लाखेरी, इंदरगढ़, नैनवा व केपाटन के पालिकाध्यक्षों के चुनाव होंगे। सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक मतदान होगा। मतदान समाप्ति के तुरंत बाद मतगणना होगी। उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव 8 फरवरी को होगा।
बूंदी में नगर परिषद सभापति पद के लिए जोड़ तोड़ के बाद भी कांग्रेस-बीजेपी को क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है। संभावना जताई जा रही कि दोनों दलों के पार्षद बाड़ेबंदी में मतदान करने पहुंचेंगे। 60 पार्षदों वाली नगरपरिषद में बहुमत के जादुई आंकड़े के लिए 31 पार्षदों की जरूरत है। कांग्रेस के पास अपने 28 व बीजेपी के पास अपने 24 पार्षद है।

कांग्रेस की ओर से सभापति पद के लिए मधु नुवाल मैदान में है
कांग्रेस
कांग्रेस की ओर से सभापति पद के लिए मधु नुवाल मैदान में है। मधु ने पहली बार पार्षद का चुनाव लड़ा ओर जीती। पति भगवान नुवाल बिजनेसमैन है वो तालेड़ा प्रधान भी रह चुके। उनकी कांग्रेस राजनीति में अच्छी पकड़ है। हाडौती के दो मंत्रियों के करीबी है। मधु नुवाल की दावेदारी को लेकर अंदरखाने कुछ स्थानीय नेता असन्तोष जाहिर कर चुके है। हालांकि अब हाईकमान के निर्देश के बाद कांग्रेस एकजुट नजर आ रही है। फिर पार्टी नेताओं को क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है। ऐसा इसलिए भी कि 2015 के सभापित चुनाव में कांग्रेस के कुछ पार्षदों ने बीजेपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी। बहुमत नहीं होने के बाद भी नगर परिषद में बीजेपी का सभापति बना था। हालांकि इस बार नगर परिषद सभापति चुनाव में कांग्रेस बेहतर स्थिति में है। कांग्रेस 32 से 35 वोट का गणित लेकर चल रही है।

बीजेपी की ओर से सभापति पद के लिए सरोज अग्रवाल चुनावी मैदान में है
बीजेपी
बीजेपी की ओर से सभापति पद के लिए सरोज अग्रवाल चुनावी मैदान में है। सरोज ने भी पहली बार पार्षद का चुनाव लड़ा ओर जीती। पति सुरेश अग्रवाल बिजनेसमैन है। वो बीजेपी शहर अध्यक्ष रह चुके, वर्तमान में जिला महामंत्री है। विधायक अशोक डोगरा के करीबी है।बूंदी में बीजेपी के अलग अलग धड़े है जो एक दूसरे को पटखनी देने का मौका नहीं चूकते। हाल ही में जिला प्रमुख के चुनाव में बीजेपी की गुटबाजी खुलकर सामने आई थी। बहुमत के बाद भी बीजेपी अपना जिला प्रमुख नहीं बना पाई थी। बीजेपी के एकगुट ने बगावत की ओर कांग्रेस के समर्थन से जिला प्रमुख की सीट हासिल की। नगर परिषद चुनाव में भी भीतरीघात के कारण बीजेपी 24 सीट पर ही सिमट गई। जीते हुए पार्षदों में कुछ पार्षद अलग गुट के है। ऐसे में बीजेपी बैकफुट पर नजर आ रही है। उन्हें क्रॉस वोटिंग डर सता रहा है। लेकिन उम्मीद भी है कांग्रेस के असंतुष्ट पार्षद उनके पक्ष में मतदान कर सकते है।
कुल मिलाकर दोनों दल फिलहाल आश्वस्त नहीं है। दोनों दलों को अंदरखाने क्रॉस वोटिंग का डर भी सता रहा है। निर्दलीयों के साथ साथ कांग्रेस-बीजेपी के असंतुष्ट भी किंगमेकर की भूमिका में है।