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उदयपुर5 घंटे पहलेलेखक: गौरव द्विवेदी
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दृष्टिहीन मदन गोपाल मेनारिया
ये हैं उदयपुर जिले के खरसान (वल्लभनगर) निवासी 53 साल के दृष्टिहीन मदन गोपाल मेनारिया। लाेग इन्हें प्यार से हरिओम बुलाते हैं। पढ़ाई में होशियार थे, लेकिन 1980 में टाइफाइड हो गया। तब न ताे चिकित्सा के क्षेत्र में ज्यादा विकास हुआ था, न ही शिक्षा के क्षेत्र में। हरिओम ठीक तो हो गए, लेकिन आंखों की रोशनी चली गई।
तब वे नौवीं कक्षा के छात्र थे। बड़े हुए तो भीख मांगने को मजबूर होना पड़ा। पढ़ने की इच्छा अधूरी रहने का मलाल था, इसलिए ठान लिया कि अपने क्षेत्र के किसी बच्चे को सुविधा के अभाव में पढ़ाई से वंचित नहीं होने देंगे। मंदिरों से जुटाया गया पैसा शिक्षा के मंदिर तक पहुंचाने लगे। उन्हें भीख मांगते हुए 30 साल हुए हैं।
अब तक कई सरकारी स्कूलों में कमरा निर्माण, पानी की टंकी बनवाने सहित करीब 10 लाख के विकास कार्य करवा चुके हैं। बच्चों की स्टेशनरी का खर्च भी उठाते हैं। भीख में मिलने वाली राशि में से अपने खाने-पीने का कम से कम राशि का उपयोग कर बाकी का पूरा पैसा स्कूलों में ही दान करते हैं।

राजकीय मावि खरसाण के सबसे बड़े भामाशाह हैं हरिओम।
भीख में मिलने वाली पूरी राशि दान कर देते हैं
क्षेत्र में शिक्षा का अलख जगाने वाले हरिओम मंदिरों के बाहर भीख के रूप में मिलने वाली पूरी राशि दान कर देते हैं। जगदीश मंदिर के हेमेंद्र पुजारी बताते हैं कि मदन गोपाल कई वर्षों से एकादशी के दिन मंदिर के बाहर बैठते हैं। इस दौरान मंदिर में आने वाले दर्शनार्थी श्रद्धा से उन्हें दान दे जाते हैं। वह हर सोमवार को एकलिंगजी मंदिर के बाहर नजर आते हैं।
अपने बचपन के बारे में बताते हुए हरिओम कहते हैं-पिता छगनलाल मेनारिया 20 साल पहले बैंक अकाउंटेट पद से रिटायर्ड हुए, मां परबु बाई गृहिणी थी। भाई राजेंद्र फोटोग्राफर है। हरिओम कहते हैं- मैं भले ही नहीं पढ़ पाया, लेकिन अपने क्षेत्र के किसी बच्चे की पढ़ाई नहीं छूटने दूंगा।
ब्लैक बोर्ड से लेकर कमरे तक बनवाए, स्टेशनरी भी दिलाते हैं
- खरसाण स्थित सीनियर सेकंडरी स्कूल के पूर्व प्रिंसिपल अंबालाल मेनारिया ने बताया कि हरिओम ने स्कूल में कमरा निर्माण कराया, सरस्वती मंदिर, माइक सेट, पानी की टंकी से लेकर जरूरत का हर सामान मुहैया कराया है।
- मावली डांगीयान के स्कूल भवन में गेट और ब्लैक बोर्ड लगवाने का काम किया।
- पीईईओ किशन मेनारिया बताते हैं कि खरसान गांव के चारभुजा मंंदिर के तोरण द्वार निर्माण के लिए भी हरिअेाम ने पांच लाख का योगदान दिया।
5 बार सम्मानित कलेक्टर, राज्यपाल तक से मिला सम्मान
हरिओम काे उनके इन कामों के लिए पांच बार सम्मानित किए जा चुके हैं। 2003-04 में गुजरात के तत्कालीन राज्यपाल नवल किशोर शर्मा ने सम्मानित किया ताे जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर भी सम्मानित कर चुके हैं। उनकी जिंदगी का एक मकसद है- जिंदगी का हर वक्त अच्छे कामों में निकले।