- Hindi News
- Local
- Delhi ncr
- 47% Of Students Doing Mistake In “Motion In One Dimension”, Trend Found In Mock Practice’s “practice” App Data
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
नई दिल्ली8 घंटे पहलेलेखक: अनिरुद्ध शर्मा
- कॉपी लिंक

अगर आपके घर में या परिचितों में कोई बच्चा इंजीनियरिंग या मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा है या ऐसा इरादा रखता है तो यह आपके काम के आंकड़े हैं। JEE या NEET में करीब 47% छात्र फिजिक्स में ‘मोशन इन वन डायमेंशन’ और केमिस्ट्री में ‘साॅल्युशन एंड कॉलिगेटिव क्वालिटी’ पर प्रश्नों के सही उत्तर नहीं दे पाते।
मैथ्स में भी ‘कंटीन्युटी एंड डिफरेंशिएबिलिटी’ चैप्टर से पूछे गए सवालों को 40% छात्र हल नहीं कर पाते। वहीं, 37% छात्र बायोलॉजी में ‘रेस्पिरेशन इन प्लांट’ के सवालों का सही उत्तर नहीं दे पाते। ये निष्कर्ष नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से JEE और NEET की तैयारी कर रहे छात्रों की प्रैक्टिस के लिए बनाए गए मोबाइल ऐप ‘अभ्यास’ के आंकड़ों से सामने आया है।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के महानिदेशक विनीत जोशी कहते हैं कि अभ्यास ऐप के पीछे विचार ही यही था कि छात्र जान सकें कि उनसे गलतियां कहां हो रही हैं। सभी विषयों के जिन चैप्टरों में छात्र गलतियां कर रहे हैं उनमें 10 ऐसे हैं जो इस बार बोर्ड परीक्षा के सिलेबस में नहीं हैं।
जानिए…किन चैप्टर्स में कितने छात्रों को आई मुश्किल
फिजिक्स
- मोशन इन वन डायमेंशन 47%
- रे ऑप्टिक्स 43%
- इलेक्ट्रोस्टैटिक्स 43%
- थर्मोडायनेमिक्स 38%
- करेंट इलेक्ट्रिसिटी 33%
- रे ऑप्टिक्स, थर्मोडायनेमिक्स और करेंट इलेक्ट्रिसिटी इस बार बोर्ड परीक्षा में नहीं हैं।
मैथ्स
- कंटीन्युटी एंड डिफरेंशिएबिलिटी 44%
- ट्रिग्नोमैट्रिकल इक्वेशन एंड इनइक्वेशन 40%
- परम्युटेशन एंड कंबिनेशन 39%
- फंक्शंस 37%
- इन्वर्स ट्रिग्नोमैट्रिक फंक्शंस 36%
- (कंटीन्युटी एंड डिफरेंशिएबिलिटी और इन्वर्स ट्रिग्नोमैट्रिक फंक्शंस बोर्ड परीक्षा में नहीं हैं।)
केमिस्ट्री
- साॅल्युशन एंड कॉलिगेटिव प्रॉपर्टीज 47%
- ब्लॉक एलीमेंट्स एंड हाइड्रोजन 37%
- केमिकल काइनेटिक्स 35%
- एटॉमिक स्ट्रक्चर 34%
- केमिकल थर्मोडायनेमिक्स 32%
- (ब्लॉक एलीमेंट्स, केमिकल काइनेटिक्स व केमिकल थर्मोडायनेमिक्स बोर्ड परीक्षा में नहीं हैं)
बायोलॉजी
- रेस्पिरेशन इन प्लांट 38%
- फोटोसिंथेसिस इन प्लांट 36%
- मिनरल न्यूट्रीशन 33%
- रिप्रोडक्शन इन ऑर्गेनिज्म 31%
- ह्यूमैन हेल्थ एंड डिसीज 30%
- (मिनरल न्यूट्रीशन और रिप्रोडक्शन इन ऑर्गेनिज्म बोर्ड परीक्षा से बाहर है)
- 54 लाख ने ऐप पर नीट, 28 लाख ने जेईई का मॉक टेस्ट दिया, (मई, 2020 से अब तक)
- 180 मिनट है टेस्ट के लिए निर्धारित समय
- 155 मिनट में पूरा हो रहा है नीट मॉक टेस्ट
- 156 मिनट में पूरा हो रहा है जेईई मॉक टेस्ट
- (छात्रों को लगने वाला औसत समय)
जिस पेपर में समय ज्यादा, उसमें अंक कम
नीट में छात्र सबसे ज्यादा समय फिजिक्स को देते हैं लेकिन इसमें सबसे कम अंक पा रहे हैं। जेईई में छात्र मैथ्स में सबसे अधिक समय दे रहे हैं फिर भी इसमें अंक कम हैं। दोनों ही परीक्षाओं में छात्रों ने केमिस्ट्री में सबसे ज्यादा अंक हासिल किए।
JEE और CET के लिए फिजिक्स, केमेस्ट्री मैथ्स अनिवार्य रहेंगे
इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय स्तर पर JEE या राज्यों में होने वाली CET जैसी परीक्षा के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स की अनिवार्यता बनी रहेगी। AICT के चेयरमैन प्रो. अनिल दत्तात्रेय सहस्रबुद्धे ने साफ किया कि नियमों में बदलाव कर उन छात्रों के लिए दाखिले का विंडो खोला गया है जिन्होंने 12वीं में ये विषय नहीं पढ़े। बिना इन विषयों को पढ़े किसी को इंजीनियरिंग में दाखिला देने का फैसला विश्वविद्यालय, तकनीकी संस्थान और राज्यों को करना होगा। हालांकि ऐसे छात्रों को पहले वर्ष में अनिवार्य रूप से तीनों विषयों का ब्रिज कोर्स करना होगा।
प्रो. सहस्रबुद्धे ने तर्क दिया कि 10वीं के बाद पॉलीटेक्निक से मेकेनिकल, सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में तीन साल का डिप्लोमा कर चुके छात्रों को BE या B.Tec में सीधे सेकंड इयर में लेटरल एंट्री दी जाती रही है। एक दशक पहले इंजीनियरिंग में केमिस्ट्री को ऑप्शनल बनाया गया था। इसके तहत किसी ने फिजिक्स, मैथ्स के साथ इंजीनियरिंग ड्राइंग, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, स्टैटिस्टिक्स या वोकेशनल एजुकेशन विषय लिया है तो उसे इंजीनियरिंग में दाखिला मिल सकता है।
कंप्यूटर इंजीनियरिंग के छात्रों का कैरियर में केमिस्ट्री से वास्ता नहीं पड़ता। बायोटेक्नोलॉजी या बायोइंफोर्मेटिक्स ऐसी ब्रांच हैं जिसमें बायोलॉजी होने से ज्यादा फायदा है। सीबीएसई और ओपन स्कूल में 12वीं में एग्रीकल्चरल केमिस्ट्री विषय है, जबकि एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए केमिस्ट्री अनिवार्य है। प्रो. सहस्रबुद्धे ने कहा, नई शिक्षा नीति के मुताबिक ही नियमों में लचीलापन लाया गया है।
