30% reduction in CBSE course, chapters related to nationalism, secularism and citizenship removed | सिलेबस से नेशनलिज्म, सेक्युलरिज्म और सिटीजनशिप ‘कम्प्लीटली डिलीटेड’; बोर्ड ने कहा- मीडिया गलत दिखा रहा

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21 दिन पहले

  • NCERT और CBSE बोर्ड ने 1500 विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा करके कटौती का खाका तैयार किया
  • CBSE बोर्ड ने पहली से 8वीं तक की कक्षाओं के लिए स्कूलों को खुद सिलेबस तैयार करने को कहा है

कोरोना महामारी के कारण देश में पैदा हुए हालात के मद्देनजर CBSE बोर्ड ने मंगलवार को कक्षा 9 से 12 तक के सिलेबस में कटौती की है। कोर कॉन्सेप्ट  को बनाए रखते हुए सिलेबस को करीब 30 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है। इस कटौती के बाद अब धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रवाद जैसे कई अध्यायों को मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के लिए पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है।

इसके लिए NCERT और CBSE बोर्ड की कमेटी ने करीब 1500 विशेषज्ञों की राय से पाठ्यक्रम में कटौती का खाका तैयार किया और उसके बाद कक्षा 9वीं से 12वीं के छात्रों के लिए यह फैसला लिया गया। वहीं, 8वीं तक की कक्षाओं के लिए CBSE ने स्कूलों को खुद सिलेबस तैयार करने को कहा है। 

मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि, जिन टॉपिक्स को पाठ्यक्रम से हटाया गया है, उन्हें भी स्टूडेंट्स को पढ़ाया जाएगा ताकि उनके कॉन्सेप्ट्स क्लियर रहें।

बोर्ड ने कहा- मीडिया गलत दिखा रहा
सिलेबस से इन खास टॉपिक्स को हटाए जाने की खबरों के बाद बुधवार शाम CBSE  के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने एक बयान जारी किया। इस बयान में बोर्ड की ओर से स्पष्ट रूप से यह कहा गया कि अकेडमिक कैलेंडर में जो कटौती की गई है, उसे मीडिया में गलत तरीके से बताया जा रहा है।

बोर्ड ने यह व्यवस्था की है कि पढ़ाई के नुकसान के कारण जो भी टापिक्स हटाए गए हैं उन्हें  CERT के वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर के तहत कवर किया गया है  और यह बोर्ड से संबंधित स्कूलों के लिए पहले से ही लागू है।

कक्षा 11वीं के कोर्स में बड़ा बदलाव

बोर्ड की इस कटौती का असर 11वीं कक्षा में पढ़ाए जाने जाने वाले संघीय ढांचा, राज्य सरकार, नागरिकता, राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता जैसे अध्याय पर दिखेगा। CBSE ने इन सभी अध्यायों को मौजूदा एक वर्ष के लिए सिलेबस से हटा दिया है। 11वीं के अंग्रेजी के स्टूडेंट्स के पाठ्यक्रम में से ”लेटर टू एडिटर, और नौकरी के लिए रिज्यूम के साथ अप्लाई करें,” जैसे टॉपिक्स को हटा दिया गया है। 

कक्षा 11वीं की पॉलिटिकल साइंस की बुक 1 और 2 से कुल पांच यूनिट हटा दी गई हैं और उन्हीं में संघीय ढांचा, राज्य सरकार, नागरिकता, राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता जैसे टॉपिक कवर किए जाते थे।

कक्षा 12वीं के सिलेबस से कई बड़ी यूनिट हटाई

सिलेबस में की गई कटौती के बाद अब 12वीं कक्षा के छात्रों को अब इस मौजूदा वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था का बदलता स्वरूप, नीति आयोग, उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के विशेष संदर्भ के साथ व्यापार, सरकारीकरण, जीएसटी जैसे विषय नहीं पढ़ाए जाएंगे। इसके अलावा सुरक्षा, पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों से जुड़ी यूनिट्स भी हटा दी गई हैं।

भारत से पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार से संबंधों वाले टॉपिक्स भी इस साल सिलेबस में नहीं होंगे। इसके अलावा इतिहास के स्टूडेंट्स ‘विभाजन, जमींदारों या किसानों के बारे में कुछ नहीं पढ़ेंगे। 

कक्षा 12वीं में पॉलिटिकल साइंस में दो बुक्स से 6 यूनिट्स हटा दी गई हैं।

कक्षा 10वीं से लोकतंत्र से जुड़े चैप्टर्स हटाए गए

कक्षा 10 के छात्रों के लिए, ”समकालीन भारत में वनों और वन्य जीवन पर सामाजिक विज्ञान के चैप्टर को हटा दिया गया है, साथ ही लोकतंत्र और विविधता पर अध्याय, लिंग, धर्म और जाति, लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन, और लोकतंत्र के लिए चुनौतियां, आदि” चैप्टर्स को भी पाठ्यक्रम में से हटा दिया गया है। 

इस क्लास विज्ञान के पाठ्यक्रम से ”मानव आंख के अध्याय को, विकास की बुनियादी अवधारणाओं के साथ हटा दिया गया है”। इसके अलावा कई प्रेक्टिकल एक्सपेरिमेंट्स को भी इस वजह से हटा दिया गया है क्योंकि स्टूडेंट्स को इस शैक्षणिक वर्ष में लैब में अधिक वक्त नहीं मिल पाएगा। 

कक्षा 10वीं में पॉलिटिकल साइंस के चैप्टर्स में बड़े बदलाव हुए।

फायदा सिर्फ 9 से 12वीं के CBSE छात्रों को

यह कटौती केवल मौजूदा शैक्षणिक वर्ष तक सीमित रहेगी। फिलहाल सिलेबस में कटौती का फायदा सिर्फ कक्षा 9 से 12 तक के स्कूली छात्रों को ही मिलेगा।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा, “कोरोना के कारण उत्पन्न हुए मौजूदा हालात को देखते हुए सीबीएसई के सिलेबस में कक्षा 9 से 12 तक 30 प्रतिशत कटौती करने का निर्णय लिया गया है। सीबीएसई के सिलेबस में यह कटौती के केवल इसी वर्ष 2020-21 के लिए मान्य होगी।” घटाया गया पाठ्यक्रम बोर्ड परीक्षाओं और आतंरिक मूल्यांकन के लिए निर्धारित विषयों का हिस्सा नहीं होगा।

स्कूल खुलने की घटती संभावना के बीच राहत

दरअसल, कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष स्कूलों के कार्य दिवस काफी कम हो गए हैं। अगस्त माह तक स्कूल खुलने की संभावना बेहद कम है। अधिकांश छात्रों को ऑनलाइन माध्यमों से ही शिक्षा प्रदान की जा रही है। ऐसे में अब स्वयं छात्र, अभिभावक और शिक्षक भी छात्रों के पाठ्यक्रम को कम किए जाने किए जाने के पक्षधर हैं।

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