Success story of 23-year-old Nadia Baig of Kupwara, the first Kashmiri girl to clear the biggest exam from her village | कुपवाड़ा की 23 साल की नादिया बेग की सक्सेस स्टोरी, अपने गांव से सबसे बड़ा एग्जाम क्लियर करने वाली पहली कश्मीरी लड़की

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38 मिनट पहले

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  • नादिया नार्थ कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के पुंजवा गांव से हैं, उनके पिता टीचर हैं और दो बहनें मेडिकल कॉलेज की स्टूडेंट हैं
  • नादिया कहती हैं कि मैं अपने पहली कोशिश में प्रीलिम्स में ही बाहर हो गई थी, लेकिन हौसला रखा और खूब मेहनत की

श्रीनगर से हीरा अजमत की रिपोर्ट. ईद का जश्न अभी खत्म ही नहीं हुआ था कि कश्मीर की 23 साल की नादिया बेग ने घाटी और परिवार को एक और जश्न मनाने लायक मुकाम हासिल किया है।

4 अगस्त को जारी यूपीएससी एग्जाम के रिजल्ट में नादिया ने 350 वी रैंक हासिल की है। नादिया अपने इलाके की पहली ऐसी लड़की हैं जिसने यूपीएससी में सफलता हासिल की है।

अपनी दूसरी कोशिश में सफल रहीं नादिया मानती है कि, अगर सही वक्त पर सही दिशा में कदम बढ़ाएं जाए तो इंसान की कोशिशें जरूर रंग लाती है। गौर करने वाली बात यह है कि इन कोशिशों में सिर्फ टैलेंट ही जीतता है, बाकी सारे फर्क अपनेआप खत्म हो जाते हैं।

अपनी मां (पीले सूट में) और परिवार की बाकी महिलाओं के साथ नोटों का हार पहने नादिया।

जानते हैं नादिया की कहानी उन्हीं की जुबानी

मैं नार्थ कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के पुंजवा गांव से हूं। इल्म की बातें और तालीम की कद्र हमारे परिवार में शुरू से है। मेरे पिता टीचर हैं और दो बहनें श्रीनगर मेडिकल कॉलेज की स्टूडेंट हैं।

मैंने अपनी प्राइमरी एजुकेशन विलगाम के पब्लिक स्कूल और सेकंडरी एजुकेशन सरकारी स्कूल से पूरी की। मुझे और बहनों को घर में इस बात की पूरी आजादी है कि हम जो चाहें वो करें। मेरे पैरेंट्स ने हमेशा कॅरिअर को संवारने में हम बहनों की मदद की है।

इसके बाद दिल्ली आकर जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन किया।पढ़ाई के दौरान मुझे ये लगने लगा कि मेरी रुचि पॉलिसी मेकिंग और एडमिनिस्ट्रेशन में है। मेरे सपनों को जामिया मिलिया में उड़ान मिली। यहां पढ़ाई करते हुए मेरी सोच भी बदली। मैं यहां पूरी दुनिया के लोगों से मिली जिन्होंने मुझे आगे बढ़ने में मदद की।

जब UPSC की तैयारी का मन बनाया तभी से यह सोच लिया था कि परीक्षा में सफल होने के लिए रोज खूब पढ़ना जरूरी है। 2017 के बाद से अब तक मेरा हर एक दिन पढ़ाई करते हुए बीता है मैंने रोज 12 घंटे पढ़ाई की। जब मुझे इस बात का यकीन नहीं हो गया कि अब तो मैं कामयाब हो जाऊंगी, तब तक मैंने पढ़ाई के अलावा कुछ नहीं किया।

जब लोग पूछते हैं कि क्या मुझे यकीन था कि मैं परीक्षा में सफल हो जाऊंगी तो मैं यही कहती हूं कि, यही बात तो यूपीएससी की खासियत है। जिस भी स्टूडेंट को नंबर वन रैंकिंग मिली है, उसे भी यह नहीं मालूम होगा कि वह इस मुकाम को हासिल कर पाएगा। मैं अपने पहले प्रयास में पहला राउंड में ही बाहर हो गई थी, लेकिन फिर मेहनत की और अब सफल होकर दिखा दिया

मेरी जी-जान से की गई मेहनत का असर नतीजों के रूप में निकल कर आया और मैं मानती हूं कि हर एक स्टूडेंट के साथ ऐसा हो सकता है। आज के दौर में टेक्नोलॉजी की नई चीजें हमारे लिए खासतौर पर मददगार हैं और इससे निश्चित रूप से आने वाले दिनों में अच्छी सफलता हासिल की जा सकती है।

जाहिर तौर पर घाटी का माहौल पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करने वाला नहीं है। अगर मैं उसी माहौल में रहती तो मेरे लिए आगे बढ़ पाना मुश्किल होता। इसलिए अच्छी तैयारी के लिए मैंने जामिया मिलिया अकेडमी की रेसीडेंशियल कोचिंग जॉइन की। मेरी सक्सेस का क्रेडिट उन्हें भी जाता है।

मैं अगले साल फिर इस एक बार इस परीक्षा में बैठूंगी और अपनी रैंकिंग इम्प्रूव करूंगी। इस एग्जाम की तैयारी करने वाले सभी साथियों को मेरी सलाह है कि आपके अंदर लगन, यकीन और जज्बा जरूरी है। इन तीनों चीजों को अपनी ताकत बना लिया तो आप यकीनन कामयाबी पा सकते हैं”।

अपनी बहन, अब्बू और अम्मी के साथ नादिया बेग।

आखिर में, नादिया के पैरेंट्स के दिल की बात
नादिया के पैरेंट्स के लिए अपनी बेटी की ये उपलब्धि नई बुलंदियों की तरह है। नादिया के पिता कहते हैं ”मेरा यकीन है कि बच्चों के फैसलों को कभी गलत नहीं मानना चाहिए। हर पढ़ने-लिखने वाला स्टूडेंट अपने आने वाले कल का सही फैसला लेने में सक्षम है। बस, पैरेंट्स को उनका साथ देकर हौसला अफजाई करनी चाहिए”।

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