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सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग ने पहली बार राज्यों को निर्यात सुविधाओं पर आधारित रैंकिंग प्रदान की है। आयोग ने बुधवार को जारी निर्यात तत्परता सूचकांक में तटीय राज्यों की श्रेणी में गुजरात को शीर्ष पर रखा है। भूमि से घिरे राज्यों में राजस्थान और हरियाणा का प्रदर्शन बेहतर है, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली सबसे आगे है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने रिपोर्ट का लोकार्पण किया। रिपोर्ट बताती है कि किस राज्य में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कितनी सुविधाएं उपलब्ध हैं। तटीय राज्यों में गुजरात के बाद महाराष्ट्र और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा निर्यात की संभावनाएं हैं। शीर्ष 10 राज्यों में आठ तटीय राज्यों में से छह ने जगह बनाई है। भूमि से घिरे राज्यों की बात करें तो राजस्थान का प्रदर्शन सबसे बेहतर है, जिसके बाद तेलंगाना और हरियाणा का नंबर आता है।
पहाड़ी राज्यों में उत्तराखंड की रैंकिंग सबसे ज्यादा है। इसके बाद त्रिपुरा और हिमाचल प्रदेश आते हैं। केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली के बाद गोवा और चंडीगढ़ का स्थान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ और झारखंड ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं और दूसरे राज्य भी इनका अनुसरण कर सकते हैं।
भारत का प्रति व्यक्ति निर्यात सिर्फ 17,894 रुपये
नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि भारत का प्रति व्यक्ति निर्यात महज 17,894 रुपये है, जबकि दक्षिण कोरिया में यह आंकड़ा 8.83 लाख रुपये व चीन में 13.36 लाख रुपये है। इससे पता चलता है कि भारत में निर्यात बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं। सरकार ने भी स्पष्ट किया है कि निर्यात बढ़ाने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं सबसे जरूरी हैं। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि लंबी अवधि में आर्थिक विकास के लिए निर्यात में तेज वृद्धि बेहद जरूरी है। अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र किसी भी देश को वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में योगदान करने और एकीकृत उत्पादन तंत्र का लाभ उठाने के लिए सक्षम बनाता है।
निर्यातकों के लिए कारगर होगी चार मानकों पर आधारित रिपोर्ट
नीति आयोग ने प्रतिस्पर्धात्मक संस्थान के साथ मिलकर यह रिपोर्ट तैयार की है, जो चार मानकों पर आधारित है। इसमेें नीतियां, कारोबार पारिस्थितिकी, निर्यात पारिस्थितिकी और निर्यात प्रदर्शन शामिल हैं। भारतीय विदेश व्यापार संस्थान के प्रोफेसर राकेश मोहन जोशी का कहना है कि यह रिपोर्ट निर्यातकों और राज्य सरकारों को सुधार की दिशा दिखाएगी जो उन्हें निर्यात संभावनाएं बढ़ाने में मददगार होगी।
भारत का कृषि निर्यात महज एक फीसदी
संसद की स्थायी समिति ने राज्यसभा अध्यक्ष एम वेंकैया नायडू को सौंपी रिपोर्ट में बताया है कि भारत का कृषि निर्यात महज 1 फीसदी तक सीमित है। इसमें गेहूं, दालें और फल शामिल हैं। समिति ने कृषि बुनियादी ढांचे, उपलब्धता और आपूर्ति शृंखला को मजबूत करने का सुझाव दिया है। साथ ही निर्यात के लिए एजिप्ट, मैक्सिको, मलयेशिया, इंडोेनेशिया और फिलीपींस के बाजारों में संभावनाएं तलाशने की बात कही है। समिति के चेयरमैन विजयसाई रेड्डी ने कहा, गेहूं का निर्यात 0.2 फीसदी, दालों का 1.2 फीसदी और फलों का 1.2 फीसदी है।
निर्यात में राज्यों की मदद कर रहा वाणिज्य विभाग : वधावन
केंद्रीय वाणिज्य सचिव अनूप वधावन ने बुधवार को कहा कि उनका विभाग निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर तत्परता से काम कर रहा है। निर्यात तत्परता सूचकांक की रिपोर्ट जारी करने के मौके पर वधावन ने कहा, हम न सिर्फ इन्फ्रा, लॉजिस्टिक, प्रोत्साहन व अन्य सुविधाओं पर काम कर रहे, बल्कि जिला स्तर पर प्रभावी रणनीति बनाने पर सुझाव देते हैं। वियतनाम सहित अन्य निर्यातक देशों से प्रतिस्पर्धा के लिए हमें गुणवत्तापूर्ण उत्पादन पर जोर देना होगा।
सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग ने पहली बार राज्यों को निर्यात सुविधाओं पर आधारित रैंकिंग प्रदान की है। आयोग ने बुधवार को जारी निर्यात तत्परता सूचकांक में तटीय राज्यों की श्रेणी में गुजरात को शीर्ष पर रखा है। भूमि से घिरे राज्यों में राजस्थान और हरियाणा का प्रदर्शन बेहतर है, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली सबसे आगे है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने रिपोर्ट का लोकार्पण किया। रिपोर्ट बताती है कि किस राज्य में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कितनी सुविधाएं उपलब्ध हैं। तटीय राज्यों में गुजरात के बाद महाराष्ट्र और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा निर्यात की संभावनाएं हैं। शीर्ष 10 राज्यों में आठ तटीय राज्यों में से छह ने जगह बनाई है। भूमि से घिरे राज्यों की बात करें तो राजस्थान का प्रदर्शन सबसे बेहतर है, जिसके बाद तेलंगाना और हरियाणा का नंबर आता है।
पहाड़ी राज्यों में उत्तराखंड की रैंकिंग सबसे ज्यादा है। इसके बाद त्रिपुरा और हिमाचल प्रदेश आते हैं। केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली के बाद गोवा और चंडीगढ़ का स्थान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ और झारखंड ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं और दूसरे राज्य भी इनका अनुसरण कर सकते हैं।
भारत का प्रति व्यक्ति निर्यात सिर्फ 17,894 रुपये
नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि भारत का प्रति व्यक्ति निर्यात महज 17,894 रुपये है, जबकि दक्षिण कोरिया में यह आंकड़ा 8.83 लाख रुपये व चीन में 13.36 लाख रुपये है। इससे पता चलता है कि भारत में निर्यात बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं। सरकार ने भी स्पष्ट किया है कि निर्यात बढ़ाने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं सबसे जरूरी हैं। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि लंबी अवधि में आर्थिक विकास के लिए निर्यात में तेज वृद्धि बेहद जरूरी है। अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र किसी भी देश को वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में योगदान करने और एकीकृत उत्पादन तंत्र का लाभ उठाने के लिए सक्षम बनाता है।
निर्यातकों के लिए कारगर होगी चार मानकों पर आधारित रिपोर्ट
नीति आयोग ने प्रतिस्पर्धात्मक संस्थान के साथ मिलकर यह रिपोर्ट तैयार की है, जो चार मानकों पर आधारित है। इसमेें नीतियां, कारोबार पारिस्थितिकी, निर्यात पारिस्थितिकी और निर्यात प्रदर्शन शामिल हैं। भारतीय विदेश व्यापार संस्थान के प्रोफेसर राकेश मोहन जोशी का कहना है कि यह रिपोर्ट निर्यातकों और राज्य सरकारों को सुधार की दिशा दिखाएगी जो उन्हें निर्यात संभावनाएं बढ़ाने में मददगार होगी।
भारत का कृषि निर्यात महज एक फीसदी
संसद की स्थायी समिति ने राज्यसभा अध्यक्ष एम वेंकैया नायडू को सौंपी रिपोर्ट में बताया है कि भारत का कृषि निर्यात महज 1 फीसदी तक सीमित है। इसमें गेहूं, दालें और फल शामिल हैं। समिति ने कृषि बुनियादी ढांचे, उपलब्धता और आपूर्ति शृंखला को मजबूत करने का सुझाव दिया है। साथ ही निर्यात के लिए एजिप्ट, मैक्सिको, मलयेशिया, इंडोेनेशिया और फिलीपींस के बाजारों में संभावनाएं तलाशने की बात कही है। समिति के चेयरमैन विजयसाई रेड्डी ने कहा, गेहूं का निर्यात 0.2 फीसदी, दालों का 1.2 फीसदी और फलों का 1.2 फीसदी है।
निर्यात में राज्यों की मदद कर रहा वाणिज्य विभाग : वधावन
केंद्रीय वाणिज्य सचिव अनूप वधावन ने बुधवार को कहा कि उनका विभाग निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर तत्परता से काम कर रहा है। निर्यात तत्परता सूचकांक की रिपोर्ट जारी करने के मौके पर वधावन ने कहा, हम न सिर्फ इन्फ्रा, लॉजिस्टिक, प्रोत्साहन व अन्य सुविधाओं पर काम कर रहे, बल्कि जिला स्तर पर प्रभावी रणनीति बनाने पर सुझाव देते हैं। वियतनाम सहित अन्य निर्यातक देशों से प्रतिस्पर्धा के लिए हमें गुणवत्तापूर्ण उत्पादन पर जोर देना होगा।
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