Considered as an Indian spy in Pakistan, it did not comfort him; So I was sent to jail, freed after 14 years | घर पर झगड़ा हुआ; काम की तलाश में गलती से बॉर्डर क्रॉस कर पाकिस्तान पहुंच गया रामचंद्र, 14 साल पाक जेल में रहकर लौटा

नवादाएक घंटा पहले

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अपने घर से 16 साल गायब रहने के बाद वापस आए रामचंद्र का परिवार उनके लौटने से काफी खुश है।

  • रामचंद्र के वापस न आने के बाद उसकी पत्नी ने मरा समझकर सिंदूर लगाना भी छोड़ दिया था
  • गांव के लोग रामचंद्र का श्राद्ध करने के लिए उनके परिवार पर दबाव डाल रहे थे

मामूली सा झगड़ा होने के बाद घर छोड़ना बिहार के एक ‌‌युवक को इतना भारी पड़ गया कि उसे 14 साल पाकिस्तान के जेल में बिताने पड़े। इतना ही नहीं उसे वहां कई तरह की प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी। पाकिस्तान की कैद में 14 साल रहने के बाद अब वह अपने घर लौट आया है।

बिहार के नवादा जिले के भवानीपुर गांव में रहने वाला रामचंद्र यादव 16 साल पहले मामूली विवाद के बाद लापता हो गया था। परिजन उनके लौटने की उम्मीद छोड़ चुके थे, लेकिन गुरुवार को वो अपने गांव लौट आया। परिजन उसे देखकर काफी खुश हैं। पिछले 16 सालों में रामचंद्र के दो साल पंजाब और बाकी समय पाकिस्तान में बीता है।

रोजगार की तलाश में भाग गया था घर से

रामचंद्र ने बताया कि घर में मामूली विवाद के बाद मैं रोजगार की तलाश मे पटना चला गया था। कुछ दिन वहां काम करने के बाद पंजाब चला गया। पंजाब में खेतीबाड़ी का काम करने लगा। करीब दो साल तक काम करने के बाद जब मैंने पैसे मांगे तो मालिक ने देने से इंकार कर दिया और बंदिशें बढ़ा दीं। एक रात मैंने घर से भागने की कोशिश की, लेकिन बॉर्डर पुलिस ने मुझे पकड़ लिया। इसके बाद उन्होंने मुझे बताया कि मैं पकिस्तान में हूं।

रामचंद्र ने बताया पाकिस्तान बॉर्डर पुलिस ने उससे काफी पूछताछ की। उसने सही-सही जानकारी भी दी। पाकिस्तान सुरक्षा बल को संदेह था कि मैं भारतीय जासूस हूं। इसलिए वह भारतीय सुरक्षा को लेकर तरह-तरह के सवाल करते रहे। सवालों का जवाब नहीं देने पर वो मेरे साथ मारपीट करते थे। उन्होंने 15 दिनों तक मेरे साथ ऐसा ही सलूक किया।

पाकिस्तानी अधिकारियों ने कई दिनों तक रखा भूखा

कैद से लौटे रामचंद्र ने बताया कि पाकिस्तान के अधिकारियों ने मुझे कई दिनों तक खाना-पानी नहीं दिया। फिर भी उन्हें तसल्ली नहीं हुई तो मुझे जेल में डाल दिया। करीब 14 साल पाकिस्तान की जेल में रहने के बाद मुझे रिहा कर दिया गया। पाकिस्तान की बॉर्डर पुलिस ने मुझे भारतीय बॉर्डर पुलिस को सौंप दिया। इसके बाद परिजन मुझे घर ले आए।

रामचंद्र के गायब होने के बाद परिजनों ने उसकी काफी तलाश की। खोजबीन के बाद भी जब वह नहीं मिला तो परिजन उसे भूल गए। इतना ही नहीं रामचंद्र की पत्नी ने भी उसे मृत मानकर सिंदूर लगाना भी छोड़ दिया था। गांव के लोग परिवार पर श्राद्ध करने का दबाव भी डाल रहे थे, लेकिन रामचंद्र के भाई श्यामदेव यादव ने मां के जीवित होने की बात कहकर श्राद्ध नहीं किया। रामचंद्र के परिजन उन्हें मानसिक रोगी मानते हैं, हालांकि रामचंद्र का कहना है कि वो रोजी-रोटी कमाने घर छोड़कर गए थे।

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