Pmo Mulling Over Common Voter List For Loksabha Assembly Polls And For All Local Body Election Law Pm Modi – पीएमओ की तैयारी शुरू, अब लोकसभा, विधानसभा सहित हर चुनाव के लिए होगी एक वोटर लिस्ट

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sat, 29 Aug 2020 12:21 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
– फोटो : ANI

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार देश में एक साथ चुनाव कराने की मांग कर चुके हैं। अब इस दिशा में उन्होंने कदम बढ़ाते हुए अपने कार्यालय में इस महीने हुई बैठक में एक आम मतदाता सूची तैयार करने पर चर्चा की। इस सूची का इस्तेमाल लोकसभा, विधानसभाओं सहित सभी स्थानीय निकाय चुनाव के लिए हो सकता है। सरकार ने आम मतदाता सूची और एक साथ चुनावों के खर्च और संसाधन बचाने के तरीके के तौर पर पेश किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में हुई बैठक में इससे जुड़े कानूनी प्रावधानों में बदलाव को लेकर चर्चा हुई।

आम मतदाता सूची लाने के हैं दो तरीके
प्रधानमंत्री मोदी के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा की अध्यक्षता में 13 अगस्त को हुई बैठक में दो विकल्पों पर चर्चा हुई। पहला, संविधान के अनुच्छेद 243के और 243जेडए में बदलाव किया जाए ताकि देश में सभी चुनावों के लिए एक मतदाता सूची अनिवार्य हो जाए। दूसरा, राज्य सरकारों को उनके कानून में बदलाव करने के लिए मनाया जाए ताकि वे नगर निगमों और पंचायत चुनावों के लिए चुनाव आयोग की मतदाता सूची का इस्तेमाल करें। बैठक में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के अलावा, विधान सचिव जी नारायण राजू, पंचायती राज सचिव सुनील कुमार और चुनाव आयोग के तीन प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के कारण बिहार विधानसभा चुनाव रोकने से किया मना, याचिका खारिज

वर्तमान में क्या है कानूनी प्रावधान
संविधान के अनुच्छेद 243के और 243जेडए राज्यों में स्थानीय निकायों के चुनाव से संबंधित हैं। इसके तहत राज्य चुनाव आयोग को मतदाता सूची (मतदाता सूची) तैयार कराने और चुनाव कराने के अधिकार दिए गए हैं। वहीं संविधान के अनुच्छेद 324(1) में केंद्रीय चुनाव आयोग को संसद और विधानसभाओं के सभी चुनावों के लिए मतदाता सूची तैयार करने और नियंत्रित करने के अधिकार दिए गए हैं। इसका मतलब है कि स्थानीय निकाय चुनाव के लिए आयोग राज्य स्तर पर स्वतंत्र हैं और उन्हें केंद्रीय चुनाव आयोग से किसी तरह की इजाजत लेने की आवश्यकता नहीं है। 

एक महीने में सुझाव देंगे कैबिनेट सचिव
बैठक में जी सुनील कुमार राज्यों को मनाने के पक्ष में दिखाई दिए। वहीं मिश्रा ने कैबिनेट सचिव से कहा है कि वे राज्यों से बात करें और एक महीने में अगले कदम को लेकर सुझाव दें। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार देश में एक साथ चुनाव कराने की मांग कर चुके हैं। अब इस दिशा में उन्होंने कदम बढ़ाते हुए अपने कार्यालय में इस महीने हुई बैठक में एक आम मतदाता सूची तैयार करने पर चर्चा की। इस सूची का इस्तेमाल लोकसभा, विधानसभाओं सहित सभी स्थानीय निकाय चुनाव के लिए हो सकता है। सरकार ने आम मतदाता सूची और एक साथ चुनावों के खर्च और संसाधन बचाने के तरीके के तौर पर पेश किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में हुई बैठक में इससे जुड़े कानूनी प्रावधानों में बदलाव को लेकर चर्चा हुई।

आम मतदाता सूची लाने के हैं दो तरीके

प्रधानमंत्री मोदी के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा की अध्यक्षता में 13 अगस्त को हुई बैठक में दो विकल्पों पर चर्चा हुई। पहला, संविधान के अनुच्छेद 243के और 243जेडए में बदलाव किया जाए ताकि देश में सभी चुनावों के लिए एक मतदाता सूची अनिवार्य हो जाए। दूसरा, राज्य सरकारों को उनके कानून में बदलाव करने के लिए मनाया जाए ताकि वे नगर निगमों और पंचायत चुनावों के लिए चुनाव आयोग की मतदाता सूची का इस्तेमाल करें। बैठक में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के अलावा, विधान सचिव जी नारायण राजू, पंचायती राज सचिव सुनील कुमार और चुनाव आयोग के तीन प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

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वर्तमान में क्या है कानूनी प्रावधान
संविधान के अनुच्छेद 243के और 243जेडए राज्यों में स्थानीय निकायों के चुनाव से संबंधित हैं। इसके तहत राज्य चुनाव आयोग को मतदाता सूची (मतदाता सूची) तैयार कराने और चुनाव कराने के अधिकार दिए गए हैं। वहीं संविधान के अनुच्छेद 324(1) में केंद्रीय चुनाव आयोग को संसद और विधानसभाओं के सभी चुनावों के लिए मतदाता सूची तैयार करने और नियंत्रित करने के अधिकार दिए गए हैं। इसका मतलब है कि स्थानीय निकाय चुनाव के लिए आयोग राज्य स्तर पर स्वतंत्र हैं और उन्हें केंद्रीय चुनाव आयोग से किसी तरह की इजाजत लेने की आवश्यकता नहीं है। 

एक महीने में सुझाव देंगे कैबिनेट सचिव
बैठक में जी सुनील कुमार राज्यों को मनाने के पक्ष में दिखाई दिए। वहीं मिश्रा ने कैबिनेट सचिव से कहा है कि वे राज्यों से बात करें और एक महीने में अगले कदम को लेकर सुझाव दें। 

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