न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुजफ्फरपुर
Updated Fri, 04 Sep 2020 11:56 PM IST
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देश में न्यायिक और कानून व्यवस्था को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। किसी भी मामले में देरी और समय से न्याय नहीं मिल पाने की वजह से देश का आम नागरिक टूट जाता है और कई बार हार मान लेता है। देश की न्यायिक व्यवस्था के ऐसे ही ढीले रवैये का एक मामला बिहार में सामने आया है। यहां मुजफ्फरपुर के अखाड़ाघाट रोड इलाके के एक मोहल्ले में 10 साल पहले 17 वर्षीय किशोरी के साथ दुष्कर्म हुआ था। इसके बाद पीड़ित द्वारा विरोध करने पर अपराधी ने उस पर जानलेवा हमला कर दिया था। किराए के मकान में रहने वाले आरोपी को नामजद करते हुए पीड़िता ने कोर्ट में शिकायत भी की थी।
इसके बाद इस मामले में कोर्ट के आदेश पर 22 अगस्त 2010 को दुष्कर्म की धारा 376 और जानलेवा हमले की धारा 307 के तहत नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर के बाद पीड़ित व परिजन कार्रवाई के लिए थाने से लेकर अन्य अधिकारियों के पास चक्कर काटते रहे, लेकिन पुलिस ने उनकी कोई मदद नहीं की और उनके साथ फाइल-फाइल खेलते रहे।
अब इस मामले में दस साल बीत जाने के बाद अब सिटी एसपी नीरज सिंह की समीक्षा में इस केस को दोबारा से खोला गया। इसके बाद पीड़िता का फिर से बयान लेने का निर्देश वर्तमान आईओ दारोगा राजपत कुमार को दिया गया। इस संबंध में बृहस्पतिवार को काफी मशक्कत के बाद दारोगा की पीड़िता के पिता से मुलाकात हुई। इस दौरान जब दारोगा ने पीड़िता के पिता से पूछताछ शुरू की तब पीड़िता के पिता हाथ जोड़कर खड़े हो गए और गुहार लगाते हुए कहा- हुजूर बख्श दीजिए। अब हमें न्याय नहीं चाहिए। बेटी की शादी हो चुकी है। इस केस के चक्कर में उसका बसा-बसाया परिवार उजड़ जाएगा। जो आरोपी था वह कब का मोहल्ला छोड़ कर जा चुका है। किसे गिरफ्तार कीजिएगा। इसलिए छोड़ दिया जाए।
पिता का बयान लेकर दारोगा लौट गए। बताया कि अब यह केस साक्ष्य की कमी के आधार पर फाइनल कर दिया जाएगा। इसके लिए केस डायरी में बयान अंकित कर लिया गया है।
देश में न्यायिक और कानून व्यवस्था को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। किसी भी मामले में देरी और समय से न्याय नहीं मिल पाने की वजह से देश का आम नागरिक टूट जाता है और कई बार हार मान लेता है। देश की न्यायिक व्यवस्था के ऐसे ही ढीले रवैये का एक मामला बिहार में सामने आया है। यहां मुजफ्फरपुर के अखाड़ाघाट रोड इलाके के एक मोहल्ले में 10 साल पहले 17 वर्षीय किशोरी के साथ दुष्कर्म हुआ था। इसके बाद पीड़ित द्वारा विरोध करने पर अपराधी ने उस पर जानलेवा हमला कर दिया था। किराए के मकान में रहने वाले आरोपी को नामजद करते हुए पीड़िता ने कोर्ट में शिकायत भी की थी।
इसके बाद इस मामले में कोर्ट के आदेश पर 22 अगस्त 2010 को दुष्कर्म की धारा 376 और जानलेवा हमले की धारा 307 के तहत नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर के बाद पीड़ित व परिजन कार्रवाई के लिए थाने से लेकर अन्य अधिकारियों के पास चक्कर काटते रहे, लेकिन पुलिस ने उनकी कोई मदद नहीं की और उनके साथ फाइल-फाइल खेलते रहे।
अब इस मामले में दस साल बीत जाने के बाद अब सिटी एसपी नीरज सिंह की समीक्षा में इस केस को दोबारा से खोला गया। इसके बाद पीड़िता का फिर से बयान लेने का निर्देश वर्तमान आईओ दारोगा राजपत कुमार को दिया गया। इस संबंध में बृहस्पतिवार को काफी मशक्कत के बाद दारोगा की पीड़िता के पिता से मुलाकात हुई। इस दौरान जब दारोगा ने पीड़िता के पिता से पूछताछ शुरू की तब पीड़िता के पिता हाथ जोड़कर खड़े हो गए और गुहार लगाते हुए कहा- हुजूर बख्श दीजिए। अब हमें न्याय नहीं चाहिए। बेटी की शादी हो चुकी है। इस केस के चक्कर में उसका बसा-बसाया परिवार उजड़ जाएगा। जो आरोपी था वह कब का मोहल्ला छोड़ कर जा चुका है। किसे गिरफ्तार कीजिएगा। इसलिए छोड़ दिया जाए।
पिता का बयान लेकर दारोगा लौट गए। बताया कि अब यह केस साक्ष्य की कमी के आधार पर फाइनल कर दिया जाएगा। इसके लिए केस डायरी में बयान अंकित कर लिया गया है।
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Sat Sep 5 , 2020
If you aren’t up on the story, Cuties follows 11-year-old Amy, a Senegalese Muslim girl living in France, who joins a dance team called the “cuties,” despite her family’s traditional values. The film tackles themes of hyper-sexualization, but was not made to glorify or promote it in any way. The […]