khaskhabar.com : मंगलवार, 08 सितम्बर 2020 2:04 PM
पटना। बिहार में कोरोना मरीजों की संख्या में भले ही वृद्घि हो रही हो, लेकिन इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल अब अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। इस बीच, सत्ता पक्ष के गठबंधन हो या विपक्षी दलों का महागठबंधन, दोनों में सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है।
इधर, महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) द्वारा छोटे दलों को तरजीह नहीं दिए जाने के कारण सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसता दिख रहा है। महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) की भी परेशानी बढ़ गई है। सियासी हलकों में तो चर्चा यहां तक है कि दोनों दल पूर्व सहयोगी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा की तरह कहीं अलग राह नहीं पकड़ लें।
वैसे, सूत्रों का कहना है कि राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से राजद किसी भी हाल में 150 से कम सीटों पर राजी नहीं है। ऐसे में शेष बची सीटों में से अन्य दलों में बंटवारा होगा, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है।
कांग्रेस इस चुनाव में पहले से ही 80 सीटों पर दावा ठोंककर अपनी स्थिति साफ कर चुकी है। माना जा रहा है कि किसी भी स्थिति में कांग्रेस भी 50 से कम सीटों पर समझौता नहीं करेगी। इधर, वामपंथी दलों के महागठबंधन में आने की संभावना के बाद रालोसपा और वीआईपी के नेताओं की चिंता और बढ़ गई है।
राजद के एक नेता की मानें तो पार्टी नेतृत्व को लगता है कि उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी में इतनी क्षमता नहीं है कि वे अपनी जाति के वोटों को भी अपनी सहयोगी पार्टियों के हिस्से स्थानांतरित करवा सके।
राजद के नेता कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में रालोसपा ने पांच सीटों पर चुनाव लड़ा था। पार्टी प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा ने खुद दो सीटों से चुनाव लड़े थे, लेकिन पार्टी का खाता तक नहीं खुला। यही स्थिति मुकेश सहनी की पार्टी वीआइपी की भी थी। वीआईपी ने तीन सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन एक भी सीट पर सफ लता नहीं मिल सकी।
वैसे, रालोसपा के प्रमुख कुशवाहा इस चुनाव में किसी भी परिस्थिति में सत्ता परिवर्तन करने को लेकर आतुर हैं। कुशवाहा पिछले दिनों यह कह कर कि ‘वे जहर भी पीने को तैयार हैं’ से संकेत दे चुके हैं कि वे किसी भी परिस्थिति में समझौता करने को तैयार हैं। दीगर बात है कि कुशवाहा ने 49 सीटों पर दावेदारी ठोंक दी है।
वैसे, राजद को यह भी डर सता रहा है कि छोटे दलों के विधायकों के जीतने के बाद उनके टूटने का खतरा ज्यादा बना रहता है, ऐसे में वे किसी भी हाल में छोटे दलों को तरजीह देने के मूड में नहीं है।
इस बीच हालांकि कोई भी दल इस मामले को लेकर खुलकर नहीं बोल रहा। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह कहते हैं कि महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर कहीं कोई विवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द सीट बंटवारा हो जाएगा।
इधर, राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी भी कहते हैं कि महागठबंधन में शामिल दल अपना-अपना दावा पेश कर रहे हैं। इसके बाद सीट बंटवारा हो जाएगा। सीट बंटवारे को लेकर कहीं कोई उलझन नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि महागठबंधन से कोई जा नहीं रहा है बल्कि महागठबंधन का आकार बड़ा हो रहा है।
–आईएएनएस
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Web Title-Bihar: Small parties marginalized in grand alliance of opposition parties!