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- The Nurse Ward Is Not Deployed In The Eye Ward At Night, The Main Gate Gets Locked, The Patients With Surgery Remain Like A Prisoner Inside
भागलपुर17 मिनट पहले
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- सदर अस्पताल में देर रात किसी मरीज की तबीयत बिगड़ जाए ताे देखने वाला काेई डॉक्टर या नर्स नहीं रहता
- अस्पताल में अगर कोई हादसा हो जाए तो वहां से बाहर से निकलना भी मुश्किल
सदर अस्पताल के नेत्र वार्ड में मरीजाें काे अाॅपरेशन के बाद रात में खुद के भराेसे पर छाेड़ दिया जाता है। वार्ड में रात में नर्स या किसी अन्य कर्मचारी की ड्यूटी नहीं लगती है। शाम हाेते ही वार्ड के मेन गेट में ताला लगा दिया जाता है। रातभर मरीज कैदी की तरह रहते हैं। सुबह हाेने पर ही ताला खाेला जाता है।
इस तरह अगर किसी मरीज काे काेई मेडिकल सुविधा की जरूरत हाे गई ताे उसे नहीं मिल पाती है। ऐसे में किसी भी दिन मरीज के साथ हादसा हाे सकता है। हालत यह है कि अगर काेई दुर्घटना हाे गयी ताे वे वार्ड से तुरंत बाहर भी नहीं निकल पाएंगे। गुरुवार काे अस्पताल में सात मरीजाें की सर्जरी हुई थी। दाे मरीज अपने घर चले गए। पांच वार्ड में रहे, लेकिन उनके केयर के लिए एक भी कर्मचारी नहीं था।
परिजन शाम में बाहर निकले ताे फिर अंदर जाना हाे जाता है मुश्किल
सदर अस्पताल के ओपीडी बिल्डिंग के ऊपरी फ्लाेर पर नेत्र वार्ड है। उसमें भर्ती सुल्तानगंज के मासूमगंज मिसरपुर की निशा देवी, अमरपुर लक्ष्मीपुर के जनार्दन मंडल, कहलगांव घाेघा पन्नूचक की विद्या देवी, अमरपुर गाेविंदपुर के राजेंद्र सिंह और रजाैन वनगांव की 80 साल की तारा देवी ने शुक्रवार काे बताया कि रातभर वे लाेग इस आशंका से परेशान रहे कि अगर काेई दिक्कत हुई ताे किसे बताएंगे। एक मरीज के पुत्र ने बताया कि अपनी मां के साथ वार्ड में था। शाम पांच बजे दवा लाने बाहर निकले। शाम छह बजे वापस लाैटे ताे गेट बंद था। नेत्र राेग विशेषज्ञ डाॅ. सत्यदीप गुप्ता ने जांच के बाद सबकाे डिस्चार्ज कर दिया।
रात में वार्ड में कर्मचारी की लगेगी ड्यूटी
आंख के ऑपरेशन के बाद अगर मरीज काे रात में वार्ड में रखा जाएगा ताे वहां कर्मचारी की ड्यूटी लगेगी। अस्पताल प्रभारी काे इसके लिए निर्देश दूंगा। -डाॅ. विजय कुमार सिंह, सिविल सर्जन
मेडिकल काॅलेज अस्पताल में ये है व्यवस्था
मेडिकल काॅलेज अस्पताल में नेत्र विभाग में रात्रि पाली में नर्स, वार्ड अटेंडेंट और नाइट गार्ड की ड्यूटी रहती है। पीजी स्टूडेंट रात में भी वार्ड में राउंड लगाते हैं। जरूरत पड़ने पर सीनियर डाॅक्टर काे फाेन कर बुलाया जाता है। सदर अस्पताल में तीन ऑपथेलमिक असिस्टेंट, तीन नर्सिंग स्टाफ और दाे फाेर्थ ग्रेड स्टाफ व एक नेत्र राेग विशेषज्ञ हैं। लेकिन सबकी ड्यूटी दिन में ही रहती है। सदर अस्पताल प्रभारी डाॅ. एके मंडल ने बताया कि नेत्र विभाग में रात में कर्मचारी की ड्यटी लगेगी। इमरजेंसी के इंडाेर में मरीज काे रख सकते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर तत्काल फाॅलाेअप हाे सके।