बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (फाइल फोटो)
– फोटो : ANI
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भाजपा के बागियों की लोजपा की शरण के बाद अब सुशील मोदी निशाने पर आ गए हैं। आखिर भाजपा की जीती हुई सीटें जदयू के कोटे में कैसे चली गईं और राजेंद्र सिंह व रामेश्वर चौरसिया जैसे दिग्गजों को क्यों भाजपा से बगावत करनी पड़ी, यह चर्चा में है।
सासाराम जिले के दो बड़े भाजपा नेताओं राजेंद्र और रामेश्वर को लोजपा का टिकट पकड़ाकर चिराग ने दोनों सीटों पर जदयू का खेल खराब कर दिया है। झाझा में भाजपा के मौजूदा विधायक रवीन्द्र यादव की सीट गठबंधन के बाद जदयू को चली गई। पिछले चुनाव में भाजपा ने जदयू के खिलाफ लड़कर जो सीटें जीती थीं उन्हें फडनवीस फॉर्मूले के हिसाब से ए-ग्रेड की सीटें मानी गई, लेकिन ए ग्रेड की सीट भी समझौते में जदयू के खाते में चली गईं।
भाजपा नेताओं की बगावत की एक बड़ी वजह यह भी है। जो राजेंद्र सिंह पिछले चुनाव में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार बताए जा रहे थे उन्हें अस्तित्व के लिए बागी तेवर अख्तियार करना पड़ा। यही नौबत नोखा से कई बार चुनाव जीते रामेश्वर चौरसिया की है। औरंगाबाद से रामाधार सिंह को भाजपा ने टिकट दिया है जबकि इन्हीं रामाधार सिंह ने हाल ही में औरंगाबाद के भाजपा सांसद सुशील सिंह के खिलाफ अभियान चलाया था।
बेरोजगारों द्वारा थाली पीटने का अभियान उन्होंने चलाया था और छात्रों द्वारा सुशील सिंह के घेराव का वीडियो भी रामाधार सिंह ने अपने अकांउंट से ट्वीट किया था। चार बार के सांसद सुशील सिंह ने केंद्रीय नेतृत्व से इसकी शिकायत भी की थी। हां, बिहार में रामाधार सिंह और सुशील मोदी की दोस्ती की चर्चा आम है।
सीटों के बंटवारे में सुशील मोदी की चली
भाजपा और जदयू के बीच सीटों के बंटवारे में सबसे ज्यादा उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की चली। यही वजह है कि बागी सबसे ज्यादा विरोध भी सुशील मोदी का ही कर रहे हैं। उनका कहना है कि सुशील मोदी को जो व्यक्ति पसंद नहीं उसे चुनाव में किनारे लगा दिया जाता है। रामेश्वर चौरसिया तो खुलकर बोल रहे हैं- सुशील मोदी नीतीश के चमचे हैं। उनकी रीढ़ की हड्डी कभी विकसित ही नहीं हुई।
तीन जिलों में भाजपा साफ
अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे एक भाजपा नेता ने अमर उजाला से कहा कि तीन जिलों में भाजपा के खाते में एक सीट भी नहीं आई है। एक राष्ट्रीय दल के लिए यह हैरानी की बात है। उन जिलों में भाजपा के संगठन को पंगु कर दिया गया है। अगर फडनवीस न होते तो जाने क्या होता।
भाजपा के बागियों की लोजपा की शरण के बाद अब सुशील मोदी निशाने पर आ गए हैं। आखिर भाजपा की जीती हुई सीटें जदयू के कोटे में कैसे चली गईं और राजेंद्र सिंह व रामेश्वर चौरसिया जैसे दिग्गजों को क्यों भाजपा से बगावत करनी पड़ी, यह चर्चा में है।
सासाराम जिले के दो बड़े भाजपा नेताओं राजेंद्र और रामेश्वर को लोजपा का टिकट पकड़ाकर चिराग ने दोनों सीटों पर जदयू का खेल खराब कर दिया है। झाझा में भाजपा के मौजूदा विधायक रवीन्द्र यादव की सीट गठबंधन के बाद जदयू को चली गई। पिछले चुनाव में भाजपा ने जदयू के खिलाफ लड़कर जो सीटें जीती थीं उन्हें फडनवीस फॉर्मूले के हिसाब से ए-ग्रेड की सीटें मानी गई, लेकिन ए ग्रेड की सीट भी समझौते में जदयू के खाते में चली गईं।
भाजपा नेताओं की बगावत की एक बड़ी वजह यह भी है। जो राजेंद्र सिंह पिछले चुनाव में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार बताए जा रहे थे उन्हें अस्तित्व के लिए बागी तेवर अख्तियार करना पड़ा। यही नौबत नोखा से कई बार चुनाव जीते रामेश्वर चौरसिया की है। औरंगाबाद से रामाधार सिंह को भाजपा ने टिकट दिया है जबकि इन्हीं रामाधार सिंह ने हाल ही में औरंगाबाद के भाजपा सांसद सुशील सिंह के खिलाफ अभियान चलाया था।
बेरोजगारों द्वारा थाली पीटने का अभियान उन्होंने चलाया था और छात्रों द्वारा सुशील सिंह के घेराव का वीडियो भी रामाधार सिंह ने अपने अकांउंट से ट्वीट किया था। चार बार के सांसद सुशील सिंह ने केंद्रीय नेतृत्व से इसकी शिकायत भी की थी। हां, बिहार में रामाधार सिंह और सुशील मोदी की दोस्ती की चर्चा आम है।
सीटों के बंटवारे में सुशील मोदी की चली
भाजपा और जदयू के बीच सीटों के बंटवारे में सबसे ज्यादा उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की चली। यही वजह है कि बागी सबसे ज्यादा विरोध भी सुशील मोदी का ही कर रहे हैं। उनका कहना है कि सुशील मोदी को जो व्यक्ति पसंद नहीं उसे चुनाव में किनारे लगा दिया जाता है। रामेश्वर चौरसिया तो खुलकर बोल रहे हैं- सुशील मोदी नीतीश के चमचे हैं। उनकी रीढ़ की हड्डी कभी विकसित ही नहीं हुई।
तीन जिलों में भाजपा साफ
अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे एक भाजपा नेता ने अमर उजाला से कहा कि तीन जिलों में भाजपा के खाते में एक सीट भी नहीं आई है। एक राष्ट्रीय दल के लिए यह हैरानी की बात है। उन जिलों में भाजपा के संगठन को पंगु कर दिया गया है। अगर फडनवीस न होते तो जाने क्या होता।
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Sun Oct 18 , 2020
Crawl (2019) You could apply the “adult bedtime story” term to this recent favorite about a young woman (Kaya Scodelario) struggling to protect her father (Barry Pepper), her home, and herself from a slew of monstrous beasts. Well, in reality, Crawl is just a B-grade creature feature set during a […]