Bihar Assembly Election Nitish Kumar Win Will Not Be Easy Bjp Claim To Become Biggest Party Ljp Hum Rlsp Lalu – बिहार विधानसभा में बहुत आसान नहीं रहेगी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राह

शशिधर पाठक, उमर उजाला, नई दिल्ली

Updated Sun, 13 Sep 2020 08:58 AM IST

नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
– फोटो : Facebook

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भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, महासचिव भूपेंद्र यादव की निगाह बिहार विधानसभा के चुनाव में बड़ी सफलता पर टिकी हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सुशासन बाबू वाली छवि को कोविड-19 और बाढ़ ने काफी बदल दिया है। हालांकि नीतीश कुमार ने इसे जातिगत समीकरणों से काफी संतुलित करने का प्रयास किया है।  इसी क्रम में नीतीश शरद यादव को चुनाव से पहले जहां मनाने के प्रयास में हैं, वहीं हम के जीतन राम मांझी को साथ ले आए हैं।

रांची एम्स से ही सही लालू प्रसाद खेल रहे हैं दांव

राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव रांची के एम्स अस्पताल से राजनीतिक दांव खेल रहे हैं। झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार के सत्ता में आने के बाद स्थितियां तेजी से लालू के अनुकूल हुई हैं। खबर है कि शनिवार को हेमंत सोरेन ने लालू प्रसाद से भेंट की और बिहार में मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है। लालू प्रसाद ने अपने दोनों बेटों (तेजस्वी और तेज प्रताप) को ज्यादा उत्साह न दिखाने की नसीहत दे दी है।

राजद के सूत्र बताते हैं कि लालू ने यह कदम भोला राय, पंछी लाल राय के जद(यू) में जाने तथा पुराने वफादार रघुवंश प्रसाद सिंह के पत्र के बाद उठाया है। रघुवंश प्रसाद की नाराजगी के चलते रामा सिंह की राजद में इंट्री भले ही प्रभावित हुई है लेकिन इससे रघुवंश की नीतीश कुमार को लिखी चिट्ठी के बाद राजद को कोई फायदा होता नहीं नजर आ रहा है। टीम लालू एक बार फिर पुराने नेताओं को मनाने में जुट गई है। लंबे समय से राष्ट्रीय जनता दल सत्ता से दूर है।

पिछले विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार से हाथ मिलाया, लेकिन यह प्रयोग भी बस कुछ ही महीने रह सका। लालू की निगाह उत्तर प्रदेश के राजनीतिक दलों पर भी टिकी है। राजद समाजवादी पार्टी से तालमेल बनाकर बिहार में अपनी ताकत को बढ़ाने पर भी काम कर रही है। देखना है कि उसका यह अभियान कहां तक सफल हो पाता है।

यह भी पढ़ें- बिहार चुनाव: नीतीश पर चिराग का कटाक्ष, कहा- किसी भी टॉम, डिक या हैरी से नहीं है परेशानी

कांग्रेस भी चाहती है बिहार में दमखम दिखाना

हालांकि बिहार में कांग्रेस की स्थिति काफी खराब हो चुकी है। प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में किसी महागठबंधन जैसी कोई बड़ी उम्मीद नहीं रह गई है, लेकिन पार्टी ने सक्रियता तेजी से बढ़ाई है। कांग्रेस में शामिल हुए तारिक अनवर को पार्टी ने महासचिव का पद देकर इसका संकेत दिया है। अपने नेता शकील अहमद की भी सक्रिय राजनीति में वापसी कराई है। स्थानीय स्तर पर जातिगत और सामाजिक समीकरणों को अंतिम रूप देना शुरू किया है। कुल मिलाकर पार्टी बिहार में सत्तारूढ़ दल को चुनौती देने की तैयारी कर रही है।

भारी पड़ रहे नीतीश कुमार की फिर भी आसान नहीं है राह

नीतीश कुमार को राजनीतिक गोटियां खेलनी आती हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा से जोर अजमाइश में अतत: वह टिकटों के बंटवारे में अपनी पार्टी का हित साधने में सफल रहे थे। इस बार भी भाजपा ने पहले ही नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार विधानसभा का आगामी चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। ठोस विकल्प न होने के अभाव में जद(यू) के नेता बिहार में चुनाव बाद नीतीश कुमार की सरकार बनने की ही उम्मीद जता रहे हैं।

हालांकि भाजपा के एक विधायक ने फोन पर कहा कि चुनाव में सबसे बड़ा दल भाजपा ही बनने वाली है। सूत्र का कहना है कि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के आने से भाजपा-लोजपा-जद(यू) गठबंधन के वोटों का आधार बढ़ गया है। खास बात यह है कि इस बार हम के आने से लोजपा के नखरे भी पहले की तुलना में कम हो गए हैं। इसलिए मुख्यमंत्री का चेहरा भले ही नीतीश कुमार रहें, लेकिन राज्य में वर्चस्व भाजपा का ही रहेगा।

सार

  • भाजपा की जाग रही है महत्वाकांक्षा
  • अंगुली टेढ़ी करके घी निकालने के प्रयास में लोजपा
  • कांग्रेस, राजद, झामुमो समेत अन्य ने तेज की तैयारी

विस्तार

भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, महासचिव भूपेंद्र यादव की निगाह बिहार विधानसभा के चुनाव में बड़ी सफलता पर टिकी हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सुशासन बाबू वाली छवि को कोविड-19 और बाढ़ ने काफी बदल दिया है। हालांकि नीतीश कुमार ने इसे जातिगत समीकरणों से काफी संतुलित करने का प्रयास किया है।  इसी क्रम में नीतीश शरद यादव को चुनाव से पहले जहां मनाने के प्रयास में हैं, वहीं हम के जीतन राम मांझी को साथ ले आए हैं।

रांची एम्स से ही सही लालू प्रसाद खेल रहे हैं दांव

राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव रांची के एम्स अस्पताल से राजनीतिक दांव खेल रहे हैं। झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार के सत्ता में आने के बाद स्थितियां तेजी से लालू के अनुकूल हुई हैं। खबर है कि शनिवार को हेमंत सोरेन ने लालू प्रसाद से भेंट की और बिहार में मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है। लालू प्रसाद ने अपने दोनों बेटों (तेजस्वी और तेज प्रताप) को ज्यादा उत्साह न दिखाने की नसीहत दे दी है।

राजद के सूत्र बताते हैं कि लालू ने यह कदम भोला राय, पंछी लाल राय के जद(यू) में जाने तथा पुराने वफादार रघुवंश प्रसाद सिंह के पत्र के बाद उठाया है। रघुवंश प्रसाद की नाराजगी के चलते रामा सिंह की राजद में इंट्री भले ही प्रभावित हुई है लेकिन इससे रघुवंश की नीतीश कुमार को लिखी चिट्ठी के बाद राजद को कोई फायदा होता नहीं नजर आ रहा है। टीम लालू एक बार फिर पुराने नेताओं को मनाने में जुट गई है। लंबे समय से राष्ट्रीय जनता दल सत्ता से दूर है।

पिछले विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार से हाथ मिलाया, लेकिन यह प्रयोग भी बस कुछ ही महीने रह सका। लालू की निगाह उत्तर प्रदेश के राजनीतिक दलों पर भी टिकी है। राजद समाजवादी पार्टी से तालमेल बनाकर बिहार में अपनी ताकत को बढ़ाने पर भी काम कर रही है। देखना है कि उसका यह अभियान कहां तक सफल हो पाता है।

यह भी पढ़ें- बिहार चुनाव: नीतीश पर चिराग का कटाक्ष, कहा- किसी भी टॉम, डिक या हैरी से नहीं है परेशानी

कांग्रेस भी चाहती है बिहार में दमखम दिखाना

हालांकि बिहार में कांग्रेस की स्थिति काफी खराब हो चुकी है। प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में किसी महागठबंधन जैसी कोई बड़ी उम्मीद नहीं रह गई है, लेकिन पार्टी ने सक्रियता तेजी से बढ़ाई है। कांग्रेस में शामिल हुए तारिक अनवर को पार्टी ने महासचिव का पद देकर इसका संकेत दिया है। अपने नेता शकील अहमद की भी सक्रिय राजनीति में वापसी कराई है। स्थानीय स्तर पर जातिगत और सामाजिक समीकरणों को अंतिम रूप देना शुरू किया है। कुल मिलाकर पार्टी बिहार में सत्तारूढ़ दल को चुनौती देने की तैयारी कर रही है।

भारी पड़ रहे नीतीश कुमार की फिर भी आसान नहीं है राह

नीतीश कुमार को राजनीतिक गोटियां खेलनी आती हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा से जोर अजमाइश में अतत: वह टिकटों के बंटवारे में अपनी पार्टी का हित साधने में सफल रहे थे। इस बार भी भाजपा ने पहले ही नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार विधानसभा का आगामी चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। ठोस विकल्प न होने के अभाव में जद(यू) के नेता बिहार में चुनाव बाद नीतीश कुमार की सरकार बनने की ही उम्मीद जता रहे हैं।

हालांकि भाजपा के एक विधायक ने फोन पर कहा कि चुनाव में सबसे बड़ा दल भाजपा ही बनने वाली है। सूत्र का कहना है कि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के आने से भाजपा-लोजपा-जद(यू) गठबंधन के वोटों का आधार बढ़ गया है। खास बात यह है कि इस बार हम के आने से लोजपा के नखरे भी पहले की तुलना में कम हो गए हैं। इसलिए मुख्यमंत्री का चेहरा भले ही नीतीश कुमार रहें, लेकिन राज्य में वर्चस्व भाजपा का ही रहेगा।

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