Kashmiri Pandits Demanded Return To Home And Appeal To Pm Narendra Modi For To End Deportation – कश्मीरी पंडितों ने की घर वापसी की मांग, पीएम मोदी से की निर्वासन खत्म कराने की अपील

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली

Updated Mon, 14 Sep 2020 12:54 AM IST

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कश्मीरी पंडितों ने अपना निर्वासन (बलपूर्वक निकाल देना) खत्म कराकर उनकी घर वापसी कराने की अपील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से की है। उन्होंने पीएम और गृह मंत्री से कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधियों के साथ तत्काल बैठक करने का भी आग्रह किया है।

बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर वेबिनार के जरिये आयोजित कश्मीरी पंडितों की महापंचायत में शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। पंडित समुदाय को कश्मीर से निकाले जाने के दौरान शहादत देने वाली समुदाय के कई प्रमुख शहीदों के परिजन भी उपस्थित थे। वेबिनार में जम्मू, दिल्ली, बंगलूरू, पुणे, कनाडा, केपटाउन और इंग्लैंड में रह रहे कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों ने शिरकत की।

वेबिनार के बाद जारी बयान में आयोजकों ने कहा कि निर्वासित  कश्मीरी पंडितों की सात लाख की जनसंख्या पूरे विश्व में फैल गई और अपनी शर्तों पर अपनी मातृभूमि लौटने का इंतजार कर रही है। बयान में कहा गया कि हमारी जड़ें घाटी की मिट्टी में पांच हजार साल से भी ज्यादा पुरानी हैं और कश्मीर में हमारे अस्तित्व की हिस्सेदारी है।

कश्मीरी पंडितों ने अपना निर्वासन (बलपूर्वक निकाल देना) खत्म कराकर उनकी घर वापसी कराने की अपील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से की है। उन्होंने पीएम और गृह मंत्री से कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधियों के साथ तत्काल बैठक करने का भी आग्रह किया है।

बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर वेबिनार के जरिये आयोजित कश्मीरी पंडितों की महापंचायत में शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। पंडित समुदाय को कश्मीर से निकाले जाने के दौरान शहादत देने वाली समुदाय के कई प्रमुख शहीदों के परिजन भी उपस्थित थे। वेबिनार में जम्मू, दिल्ली, बंगलूरू, पुणे, कनाडा, केपटाउन और इंग्लैंड में रह रहे कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों ने शिरकत की।

वेबिनार के बाद जारी बयान में आयोजकों ने कहा कि निर्वासित  कश्मीरी पंडितों की सात लाख की जनसंख्या पूरे विश्व में फैल गई और अपनी शर्तों पर अपनी मातृभूमि लौटने का इंतजार कर रही है। बयान में कहा गया कि हमारी जड़ें घाटी की मिट्टी में पांच हजार साल से भी ज्यादा पुरानी हैं और कश्मीर में हमारे अस्तित्व की हिस्सेदारी है।

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