US Taiwan Defence Deal; Donald Trump News Update | Defence Deal Between Taiwan And Us May Be Approved By Us Parliament | अमेरिका की जेट मिसाइलों से चीन को निशाना बनाएगा ताइवान, यूएस और ताइवान के बीच अरबों डॉलर की डील जल्द

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वॉशिंगटन12 मिनट पहलेलेखक: एडवर्ड वॉन्ग

फोटो जनवरी की है। तब ताइवान आर्मी ने मिलिट्री ड्रिल की थी। इस दौरान ताइवान एयरफोर्स ने अमेरिका से खरीदे गए एफ-16वी फाइटर जेट्स का इस्तेमाल किया था।

  • न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, ताइवान और अमेरिका के बीच डिफेंस डील को अमेरिकी संसद से कुछ हफ्तों में मंजूरी मिल सकती है
  • अमेरिकी जेट मिसाइलें चीन के किसी भी हिस्से को मिनटों में तबाह कर सकेंगी, डील में कुल सात पैकेज होंगे

डोनाल्ड ट्रम्प चीन पर बेहद सख्त रवैया अपना रहे हैं। दक्षिण चीन सागर में तो चीन को घेरने का अमेरिका कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता। अमेरिका और ताइवान जल्द एक डील फाइनल करने जा रहे हैं। अरबों डॉलर के इस रक्षा समझौते के तहत ताइवान को ऐसी मिसाइलें भी मिलेंगी जो चीन के किसी भी हिस्से को मिनटों में तबाह कर देंगी। चीन कई बार ताइवान को हथियार बिक्री का सख्त विरोध कर चुका है। लेकिन, अमेरिका ने उसके हर विरोध को अनसुना और अनदेखा कर दिया।

ट्रम्प सरकार डील का मसौदा संसद के सामने रखेगी। माना जा रहा है कि इसे कुछ ही हफ्तों में मंजूरी मिल जाएगी।

कानून में बदलाव करना होगा
अमेरिकी कानून के मुताबिक, अभी तक ताइवान को सिर्फ बचाव करने वाले हथियार ही बेचे जाते थे। ताइवान में राष्ट्रपति सेई इंग वेन की सरकार है, जो चीन की कट्टर विरोधी मानी जाती हैं। चुनावी दौर में ट्रम्प ये साबित करना चाहते हैं कि चीन को लेकर उनका रवैया काफी सख्त है क्योंकि वो अमेरिका और उसके मित्र देशों को चुनौती दे रहा है। ट्रम्प कई बार कह चुके हैं कि शी जिनपिंग की सरकार लोगों का दमन कर रही है। वे शिनजियांग और हॉन्गकॉन्ग का उदाहरण देते हैं।

संसद आसानी से डील को मंजूरी दे देगी
ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी संसद में ताइवान का सपोर्ट बढ़ा है। डेमोक्रेट्स भी ताइवान का समर्थन करते हैं। लिहाजा, यह बात तय है कि डील को मंजूरी देने में अमेरिकी संसद पीछे नहीं हटेगी। कई दशकों बाद अमेरिका और चीन के रिश्ते इतने खराब हुए हैं। ट्रेड, टेक्नोलॉजी, डिप्लोमैसी, मिलिट्री और जासूसी पर दोनों देशों में गंभीर टकराव चल रहा है।

इस डील में सबसे अहम बात क्या
डील के तहत अमेरिका ताइवान को AGM-84H/K SLAM-ER मिसाइल देगा। हवा से जमीन पर मार करने वाली इस मिसाइल को बोइंग कंपनी ने बनाया है। यह चीन के किसी भी हिस्से पर सटीक निशाना साध सकती है। ताइवान की समुद्री सीमा में चीन दबाव बढ़ा रहा है। यह मिसाइल हासिल करने के बाद ताइवान चीन के किसी भी वॉरशिप को पलक झपकते ही तबाह कर सकेगा। अमेरिका ने पिछले साल ताइवान को 66 एफ-16 बेचने की डील की थी।

ताइवान को ये हथियार भी मिलेंगे
हाईक्वॉलिटी सर्विलांस ड्रोन, रॉकेट आर्टिलरी सिस्टम, हार्पून एंटी शिप मिसाइल और समुद्र में बिछाई जाने वाली बारूदी सुरंग। एशियाई मामलों की विशेषज्ञ बोनी ग्लेसर कहती हैं- अमेरिका ने ताइवान से कहा है कि वो अपनी आर्मी को बेहतर ट्रेनिंग सिस्टम मुहैया कराए। ताकि, वक्त पर हथियारों का सही इस्तेमाल तय किया जा सके। अमेरिका के इस कदम से चीन बौखला गया है। साउथ चाइना सी में चीनी नौसेना दो महीने से एक्सरसाइज कर रही है। गुरुवार को उसके दो फाइटर जेट्स ताइवान के एयरस्पेस में पहुंच गए थे।

चीन क्या करेगा
शी जिनपिंग के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं। डील में शामिल लॉकहीड मार्टिन कंपनी पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। लेकिन, इसका चीन से कोई कारोबार नहीं है। बोइंग के जेट्स चीन खरीदता है। इन पर जिनपिंग बैन लगा सकते हैं। लेकिन, बोइंग जैसे एयरक्राफ्ट कोई और कंपनी नहीं बनाती। फिर जिनपिंग के पास विकल्प कहां है। कुल मिलाकर अमेरिका और ताइवान की डिफेंस डील का विरोध करने के अलावा चीन के पास ज्यादा रास्ते नहीं हैं।

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