If you hide under the tree to avoid the rain, the celestial lightning took your life, keep this caution when the electricity is bitter | जून-जुलाई में धान रोपा जाता है; ज्यादातर मृतक भी किसान; बारिश से बचने के लिए पेड़ों की तरफ भागे और यही गलती जानलेवा हो गई

  • बिहार में गुरुवार को 23 जिलों के 83 लोग बिजली गिरने से मारे गए, पिछले साल 27 जून को भी 30 लोगों की जान गई थी
  • नेपाल के पठारी इलाकों में लो प्रेशर एरिया बना, नमी बढ़ी और लोकल थंडरस्टॉर्म बना; इसी वजह से लगातार बिजली गिरी

दैनिक भास्कर

Jun 25, 2020, 11:21 PM IST

पटना. बिहार में गुरुवार को 23 जिलों के 83 लोग बिजली गिरने से मारे गए। इनमें ज्यादातर किसान हैं, जो खेतों में काम कर रहे थे। पटना के मौसम विभाग के उप-निदेशक आनंद शंकर ने बताया कि बिजली गिरने के दौरान ये लोग पेड़ों के नीचे भागे और यही गलती जानलेवा हो गई। बिजली हमेशा उस चीज पर गिरती है, जो आसपास की चीजों से ऊंची हो जैसे पेड़।

बिहार में मानसून आने के साथ ही बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। पिछले साल 27 जून को भी यहां बिजली गिरने से 30 लोगों की जान गई थी।

बिहार में इतनी मौतें क्यों हुईं?

किसान इन दिनों खरीफ की फसल की बुआई या फिर मक्का और मूंग की कटाई के लिए खेतों में काम कर रहे हैं। जून-जुलाई के महीने में धान रोपनी भी होती है। उत्तरी बिहार में हर साल नेपाल की वजह से बाढ़ आती है। इन क्षेत्रों में झोपड़ी में भी बिजली गिरने से कई लोगों की जान चली जाती है।

नेपाल के तराई से सटे क्षेत्र और उत्तर और मध्य बिहार के जिलों पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, शिवहर, सीतामढ़ी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, सारण, मधुबनी, सुपौल, अररिया, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, किशनगंज और कटिहार में बारिश हो रही है। मानसून मजबूत है। इसी वजह से ज्यादा बारिश हो रही है और बिजली गिर रही है और खेतों में काम करने वाले किसानों की जान जा रही है।

इतनी ज्यादा बिजली क्यों गिरी?

आनंद शंकर के बताया कि मानसून आने के बाद पठारी क्षेत्रों में कम दबाव का क्षेत्र जल्दी बनता है। इसी वजह से नेपाल के पठारी क्षेत्रों में लो प्रेशर एरिया बना और नदियों की वजह से नमी बढ़ गई। इसके बाद लोकल थंडरस्टॉर्म बनता है, जो तूफान में तब्दील हो जाता है। इसी वजह से लगातार बिजली गिरती है।

क्या बिहार में बिजली गिरने की घटना सामान्य है?
हां। उत्तर प्रदेश मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता का कहना है कि मानसून में बिजली चमकना बड़ी बात नहीं है। बिजली तीन तरह की होती है। बादल के भीतर कड़कने वाली। बादल से बादल में कड़कने वाली और तीसरी बादल से जमीन पर गिरने वाली। यही सबसे ज्यादा नुकसान करती है।
बिहार से लेकर असम तक बरसात हो रही है इसलिए बिजली का असर भी ज्यादा है। यह एक नार्मल प्रक्रिया ही है। 

ऐसा मौसम कब तक बना रहेगा?
मौसम विभाग ने बताया कि बिहार के उत्तर और मध्य जिलों में अगले 72 घंटे के दौरान भारी बारिश और बिजली गिरने की आशंका है। नदियों के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है। तटों की आबादी को अलर्ट किया गया है। 

ऐसे मौसम में जान कैसे बचाएं?
बिजली गिरने से उन्हीं लोगों को ज्यादा नुकसान पहुंचता है, जो खुले में हों। घर और कार जैसी बंद जगह इंसान को बिजली से बचाती है। कार पर जब बिजली गिरती है, तब वह टायर से होते हुए जमीन में चली जाती है। घर पर बिजली गिरने से वह नींव के रास्ते जमीन में जाती है। बिजली गिरते समय अगर कोई नल से निकल रहे पानी के संपर्क में हो या फिर लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल कर रहा हो तो उसे झटका लग सकता है।

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