पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर Free में
कहीं भी, कभी भी।
70 वर्षों से करोड़ों पाठकों की पसंद
अमेरिका ने चीन की तानाशाही पर रोक लगाने की तैयारी कर ली है। दुनिया के सबसे ताकतवर देश ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का मुकाबला करने के लिए अपने सेना को यूरोप से हटाना शुरू कर दिया है।
दरअसल मौजूदा समय में चीन अपने पड़ोसी देशों पर लगातार दबाव बना रहा है। एक तरफ भारत के पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीन ने अपनी सेना तैनात कर दी है, तो वहीं दूसरी ओर उसने साउथ चाइना सी में अपनी आक्रामक रणनीति को और भी बढ़ा दिया है। ऐसे में चीन की इस हरकत को अमेरिका ने बड़ा खतरा बताया है। अमेरिका ने यूरोप में मौजूद अपनी सेना को हटाकर एशिया में तैनात करना शुरू कर दिया है।
इस मामले पर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा, “मैंने इस महीने यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों के साथ बातचीत की, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी शांतिपूर्ण पड़ोसियों को लगातार धमका रही है, वहीं भारत के साथ यह टकराव की स्थिती में है। ऐसे में इसके उत्तेजक सैन्य कार्रवाइयों की लंबी चैन को देखते हुए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को लेकर मुझे लगातार लोगों से प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं।”
अमेरिका के विदेशमंत्री माइक पोम्पियो ने चीन को खतरा बताते हुए कहा, “कुछ जगहों पर अमेरिकी संसाधन कम होंगे, क्योंकि उनकी तैनाती उन जगहों पर होगी जहां चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी आक्रामक सैन्य कार्रवाई को बढ़ा दिया है। हम अपनी सेना को भारत, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण चीन सागर के उन जगहों पर तैनात करने जा रहे हैं, जहां चीन की सेना से सबसे ज्यादा खतरा है। हम यह तय करेंगे कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का मुकाबला करने के हम सेना को सही जगह पूरी ताकत के साथ तैनात करें।”
सैटेलाइट तस्वीरों ने खोली चीन के खतरनाक इरादों की पोल
हाल ही में एक सैटेलाइट तस्वीरों में देखा गया है कि चीनी सेना ने गलवां घाटी में एलएसी पर पक्के निर्माण कर रखे हैं। इसी तरह कोंका दर्रे में भी चीन की लाल सेना का अड्डा नजर आ रहा है। दोनों देशों के बीच पीछे हटने पर सहमति के बावजूद चीन धोखेबाजी से बाज नहीं आ रहा है। चीन ने उल्टे भारत पर गलवां में झड़प का आरोप लगा शांति का उपदेश दिया।
अमेरिका ने चीन की तानाशाही पर रोक लगाने की तैयारी कर ली है। दुनिया के सबसे ताकतवर देश ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का मुकाबला करने के लिए अपने सेना को यूरोप से हटाना शुरू कर दिया है।
दरअसल मौजूदा समय में चीन अपने पड़ोसी देशों पर लगातार दबाव बना रहा है। एक तरफ भारत के पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीन ने अपनी सेना तैनात कर दी है, तो वहीं दूसरी ओर उसने साउथ चाइना सी में अपनी आक्रामक रणनीति को और भी बढ़ा दिया है। ऐसे में चीन की इस हरकत को अमेरिका ने बड़ा खतरा बताया है। अमेरिका ने यूरोप में मौजूद अपनी सेना को हटाकर एशिया में तैनात करना शुरू कर दिया है।
इस मामले पर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा, “मैंने इस महीने यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों के साथ बातचीत की, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी शांतिपूर्ण पड़ोसियों को लगातार धमका रही है, वहीं भारत के साथ यह टकराव की स्थिती में है। ऐसे में इसके उत्तेजक सैन्य कार्रवाइयों की लंबी चैन को देखते हुए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को लेकर मुझे लगातार लोगों से प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं।”
अमेरिका के विदेशमंत्री माइक पोम्पियो ने चीन को खतरा बताते हुए कहा, “कुछ जगहों पर अमेरिकी संसाधन कम होंगे, क्योंकि उनकी तैनाती उन जगहों पर होगी जहां चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी आक्रामक सैन्य कार्रवाई को बढ़ा दिया है। हम अपनी सेना को भारत, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण चीन सागर के उन जगहों पर तैनात करने जा रहे हैं, जहां चीन की सेना से सबसे ज्यादा खतरा है। हम यह तय करेंगे कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का मुकाबला करने के हम सेना को सही जगह पूरी ताकत के साथ तैनात करें।”
सैटेलाइट तस्वीरों ने खोली चीन के खतरनाक इरादों की पोल
हाल ही में एक सैटेलाइट तस्वीरों में देखा गया है कि चीनी सेना ने गलवां घाटी में एलएसी पर पक्के निर्माण कर रखे हैं। इसी तरह कोंका दर्रे में भी चीन की लाल सेना का अड्डा नजर आ रहा है। दोनों देशों के बीच पीछे हटने पर सहमति के बावजूद चीन धोखेबाजी से बाज नहीं आ रहा है। चीन ने उल्टे भारत पर गलवां में झड़प का आरोप लगा शांति का उपदेश दिया।
Source link