Bihar Mahagathbandhan Lack of co-ordination is the reason for the break-up in the grand alliance, parties angry with Tejashwi’s attitude | कॉर्डिनेशन ना होना महागठबंधन में टूट का कारण, तेजस्वी के रवैये से नाराज चल रही पार्टियां

  • Hindi News
  • Bihar election
  • Bihar Mahagathbandhan Lack Of Co ordination Is The Reason For The Break up In The Grand Alliance, Parties Angry With Tejashwi’s Attitude

7 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

तेजस्वी के रवैये के चलते महागठबंधन में शामिल दूसरी पार्टियां नाराज चल रही है।

  • राजद और कांग्रेस अब इस मूड में है कि महागठबंधन में कोई और पार्टी न बचे
  • सूत्रों के मुताबिक राजद और कांग्रेस ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती हैं

भाजपा के विरोध में 2015 में महागठबंधन की नींव बिहार में रखी गई थी। इस महागठबंधन में नीतीश कुमार, लालू यादव, मुलायम सिंह जैसे बड़े नेता शामिल हुए। लेकिन, धीरे-धीरे महागठबंधन से नेताओं का मोह भंग होने लगा। सबसे पहले 2017 में नीतीश महागठबंधन से निकलकर एनडीए में शामिल हो गए। नीतीश के पाला बदलने के कुछ महीने बाद जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए छोड़ महागठबंधन का दामन थाम लिया। लेकिन दोनों नेताओं का भी महागठबंधन से मोह भंग हो चुका है। मांझी तो महागठबंधन छोड़ एनडीए में शामिल हो गए। कुशवाहा सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, वे एनडीए में नहीं आएंगे इसकी पूरी संभावना है। लेकिन, इतना जरूर तय है कि वे अगले एक-दो दिनों में महागठबंधन छोड़ने का ऐलान कर सकते हैं।

कोऑर्डिनेशन कमिटी नहीं होने से चलते हो रहा मोह भंग
महागठबंधन में नेताओं का हो रहा मोह भंग और पार्टियों की टूट इस बात का सबूत है कि गठबंधन में कोई कोऑर्डिनेशन कमिटी नहीं है। मांझी लगातार इसकी मांग करते रहे और जब उनकी बात नहीं सुनी गई तब उन्होंने किनारा कर लिया। महागठबंधन में शामिल दूसरे दल भी यह चाहते हैं। कुशवाहा ने तेजस्वी और कांग्रेस के बड़े नेताओं से मुलाकात की लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला। 24 सितंबर को पटना में कार्यकारिणी बैठक के बाद कुशवाहा बड़ा ऐलान कर सकते हैं।

कांग्रेस और राजद के कुछ नेताओं से जब हमने बात की तब उन्होंने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि दोनों पार्टियां विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है। गठबंधन में जो लोग हैं उन्हीं पर विचार किया जाएगा। जो सिर्फ नाम के नेता हैं और जिनका कोई राजनीतिक जमीन नहीं है उन्हें यहां बेवजह नहीं ढोया जाएगा। राजद और कांग्रेस ने इतना तो साफ कर दिया है कि बिना वजूद वाले नेताओं को महागठबंध में रखने को लेकर उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। ऐसे नेता जितनी जल्दी बाहर चले जाएं उतना अच्छा है।

तेजस्वी के व्यवहार से लेफ्ट पार्टियां भी नाराज
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय बताते हैं कि तेजस्वी और कांग्रेस के व्यवहार से लेफ्ट पार्टियां भी नाराज हैं। महागठबंधन में शामिल मुकेश सहनी भी बेचैन हैं। वह भी महागठबंधन छोड़ सकते हैं। जब मुकेश सहनी ने अपना रथ निकाला तो उसमें महागठबंधन के किसी नेता की तस्वीर नहीं लगाई। इस बात की संभावना है कि महागठबंधन निकले दल अलग फ्रंट बना सकते हैं। इसमें पप्पू यादव, ओवैसी, कुशवाहा और मुकेश सहनी जैसे नेता शामिल हो सकते हैं।

लालू जेल से बाहर होते नहीं होती महागठबंध की दुर्दशा
रवि उपाध्याय कहते हैं अगर लालू यादव जेल से बाहर होते तो महागठबंधन की यह दुर्दशा नहीं होती। इसमें और भी कई दल शामिल होते। उनकी गैर मौजूदगी ही महागठबंधन की टूट की बड़ी वजह है। तेजस्वी इस मामले में पूरी तरह से अपरिपक्व हैं। कभी लालू की पार्टी एमवाय समीकरण को लेकर चलती थी। लेकिन, अब तेजस्वी ए टू जेड की पार्टी कहने लगे हैं। तेजस्वी अपने स्तर पर राजद को अलग पहचान देना चाहते हैं।

0

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

A Totally Underrated Family Movie Is Coming To Netflix This Month And I Am Pumped

Thu Sep 24 , 2020
I mean, you’d be forgiven if you have. Despite earning an Academy Award nomination (it lost to Brave), ParaNorman only made a little over $107 million on a $60 million budget—and that’s before factoring in shared revenue with theaters and the money the movie spent on advertising. In short, it’s […]

You May Like