सांकेतिक तस्वीर…
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एक निवेशक हैं राम सनेही शर्मा। यूपी के रहने वाले हैं और पश्चिम बंगाल में कारोबार है। फरवरी-2018 के इन्वेस्टर समिट में शर्मा ने अवध के पिछड़े क्षेत्र बलरामपुर में 970 करोड़ रुपये की यार्न मैन्युफैक्चरिंग इकाई लगाने के लिए एमओयू किया था। इस प्रोजेक्ट से 2200 लोगों को रोजगार मिल सकता है। शर्मा समिट की चकाचौंध से इतने उत्साहित हुए कि 35 एकड़ निजी भूमि भी खरीद ली। जमीन की बाउंड्री करवा दी और मशीन का आर्डर भी दे दिया। लेकिन जब विभागों से सब्सिडी आदि के लिए लिखापढ़ी शुरू की तो मामला अटक गया।
बिजली विभाग से सब्सिडी की मांग पूरी न होने की वजह से निवेशक का जमीन व बाउंड्री पर किया गया निवेश भी फंस गया। अब ऊर्जा व औद्योगिक विकास विभाग के अफसर फोन तक नहीं उठाते। निवेशक का यहां काम देखने वाले बताते हैं कि एमओयू के लंबित प्रोजेक्ट की मॉनीटरिंग का दावा खोखला है। पिछले नौ महीने से किसी ने एक फोन तक नहीं किया है। पता नहीं कब प्रोजेक्ट आगे बढ़ पाएगा?
इस तरह की समस्या का सामना करने वाले राम सनेही अकेले नहीं हैं। विभागों की लटकाऊ व उलझाऊ कार्यप्रणाली से तमाम निवेशक भटक रहे हैं। किसी इकाई का एफएआर वृद्धि का प्रस्ताव अटका है तो कहीं नक्शा स्वीकृति का मामला लंबित है। अथारिटी द्वारा विवादित जमीन आवंटित किए जाने से भी निवेशक के परेशान होने के कई मामले हैं। जमीन न मिलने, बैंक से ऋण मिलने में मुश्किलों से बड़ी संख्या में निवेश के मामले लंबित हैं। निवेशकों की इस तरह की मुश्किलों का खुलासा हाल में एमओयू क्रियान्वयन के लिए नामित नोडल अधिकारियों की समीक्षा में हुआ है।
नोएडा टेक्सटाइल पार्क अधर में, बरेली निरस्त
नोएडा अपैरल एक्सपोर्ट कलस्टर, यमुना एक्सप्रेस-वे गौतमबुद्धनगर में विकसित करने का एलान किया गया था। इस प्रोजेक्ट की स्थापना पर करीब 5000 करोड़ रुपये निवेश और 5 लाख लोगों को रोजगार की उम्मीद लगाई गई थी। निवेशक ने जमीन खरीदने के लिए सब्सिडी की 30 प्रतिशत राशि सरकार से एडवांस दिए जाने की मांग की थी। शासन ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया। इससे यह प्रोजेक्ट अधर में लटक गया है। इसी तरह बरेली में एक टेक्सटाइल प्रस्तावित था। 250 करोड़ रुपये निवेश और 5000 लोगों को रोजगार की उम्मीद लगाई गई थी। केंद्र सरकार ने इस पार्क को ही निरस्त कर दिया। इससे इन क्षेत्रों के लोगों को झटका लगा है।
जमीन की मुश्किलें कई प्रोजेक्ट में बाधा
नोएडा में जय श्री जनरल ट्रेडिंग ने एक गारमेंट इकाई की स्थापना के लिए प्रस्ताव दिया था। इस पर 25 करोड़ रुपये निवेश और 300 लोगों को रोजगार मिल सकता है। निवेशक की ओर से नोएडा अथारिटी को जमीन के लिए आवश्यक धनराशि जमा कर आवेदन भी किया। मगर, 20 जुलाई को अथॉरिटी द्वारा आयोजित साक्षात्कार में भूमि एलाट नहीं हो सकी। इसी तरह मेरठ में गौरव टेक्सटाइल ने एक टेक्सटाइल इकाई व नोएडा में शोभा इंटर प्राइजेज ने गारमेंट इकाई की स्थापना के लिए आवेदन किया था। जमीन उपलब्ध न हो पाने से प्रोजेक्ट अटका है। इस संबंध में यूपीसीडा से लिखापढ़ी चल रही है।
गलत जमीन आवंटित कर दी
नोएडा में एशमॉन क्रियेशन ने रेडीमेड गारमेंट इकाई की स्थापना के लिए एमओयू किया था। नोएडा अथारिटी ने निवेशक को विवादित जमीन आवंटित कर दी। प्रोजेक्ट फंस गया। अब अथारिटी को दूसरी जमीन आवंटित करने के लिए कहा गया है।
कहीं संपर्क मार्ग अटका, कहीं अतिक्रमण से जमीन का कब्जा फंसा
मेरठ में पवन सूत भंडार की ओर से एक धागा इकाई की स्थापना का प्रस्ताव दिया गया था। निवेशक ने जमीन की व्यवस्था कर ली है। इस प्रोजेक्ट पर 20करोड़ रुपये निवेश प्रस्तावित है और 200 लोगों को रोजगार मिल सकता है। इस इकाई से संपर्क मार्ग का निर्माण लंबित है। एनओसी भी प्रक्रिया में है। नोएडा में बसंत इंडिया ने रेडीमेड गारमेंट की इकाई स्थापना के लिए कदम बढ़ाया। इस प्रोजेक्ट से 600 लोगों को रोजगार मिल सकता है। अतिक्रमण की वजह से निवेशक को जमीन पर कब्जा नहीं मिल पा रहा है।
सार
- विभागीय अफसरों की लालफीताशाही से बड़ी संख्या में भटक रहे निवेशक
- कोई जमीन के लिए परेशान, कोई सब्सिडी के लिए काट रहा विभागों के चक्कर
- नक्शा मंजूरी से लेकर बैंक ऋण मिलने में मुश्किलों का सामाना कर रहे निवेशक
विस्तार
एक निवेशक हैं राम सनेही शर्मा। यूपी के रहने वाले हैं और पश्चिम बंगाल में कारोबार है। फरवरी-2018 के इन्वेस्टर समिट में शर्मा ने अवध के पिछड़े क्षेत्र बलरामपुर में 970 करोड़ रुपये की यार्न मैन्युफैक्चरिंग इकाई लगाने के लिए एमओयू किया था। इस प्रोजेक्ट से 2200 लोगों को रोजगार मिल सकता है। शर्मा समिट की चकाचौंध से इतने उत्साहित हुए कि 35 एकड़ निजी भूमि भी खरीद ली। जमीन की बाउंड्री करवा दी और मशीन का आर्डर भी दे दिया। लेकिन जब विभागों से सब्सिडी आदि के लिए लिखापढ़ी शुरू की तो मामला अटक गया।
बिजली विभाग से सब्सिडी की मांग पूरी न होने की वजह से निवेशक का जमीन व बाउंड्री पर किया गया निवेश भी फंस गया। अब ऊर्जा व औद्योगिक विकास विभाग के अफसर फोन तक नहीं उठाते। निवेशक का यहां काम देखने वाले बताते हैं कि एमओयू के लंबित प्रोजेक्ट की मॉनीटरिंग का दावा खोखला है। पिछले नौ महीने से किसी ने एक फोन तक नहीं किया है। पता नहीं कब प्रोजेक्ट आगे बढ़ पाएगा?
इस तरह की समस्या का सामना करने वाले राम सनेही अकेले नहीं हैं। विभागों की लटकाऊ व उलझाऊ कार्यप्रणाली से तमाम निवेशक भटक रहे हैं। किसी इकाई का एफएआर वृद्धि का प्रस्ताव अटका है तो कहीं नक्शा स्वीकृति का मामला लंबित है। अथारिटी द्वारा विवादित जमीन आवंटित किए जाने से भी निवेशक के परेशान होने के कई मामले हैं। जमीन न मिलने, बैंक से ऋण मिलने में मुश्किलों से बड़ी संख्या में निवेश के मामले लंबित हैं। निवेशकों की इस तरह की मुश्किलों का खुलासा हाल में एमओयू क्रियान्वयन के लिए नामित नोडल अधिकारियों की समीक्षा में हुआ है।
नोएडा टेक्सटाइल पार्क अधर में, बरेली निरस्त
नोएडा अपैरल एक्सपोर्ट कलस्टर, यमुना एक्सप्रेस-वे गौतमबुद्धनगर में विकसित करने का एलान किया गया था। इस प्रोजेक्ट की स्थापना पर करीब 5000 करोड़ रुपये निवेश और 5 लाख लोगों को रोजगार की उम्मीद लगाई गई थी। निवेशक ने जमीन खरीदने के लिए सब्सिडी की 30 प्रतिशत राशि सरकार से एडवांस दिए जाने की मांग की थी। शासन ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया। इससे यह प्रोजेक्ट अधर में लटक गया है। इसी तरह बरेली में एक टेक्सटाइल प्रस्तावित था। 250 करोड़ रुपये निवेश और 5000 लोगों को रोजगार की उम्मीद लगाई गई थी। केंद्र सरकार ने इस पार्क को ही निरस्त कर दिया। इससे इन क्षेत्रों के लोगों को झटका लगा है।
जमीन की मुश्किलें कई प्रोजेक्ट में बाधा
नोएडा में जय श्री जनरल ट्रेडिंग ने एक गारमेंट इकाई की स्थापना के लिए प्रस्ताव दिया था। इस पर 25 करोड़ रुपये निवेश और 300 लोगों को रोजगार मिल सकता है। निवेशक की ओर से नोएडा अथारिटी को जमीन के लिए आवश्यक धनराशि जमा कर आवेदन भी किया। मगर, 20 जुलाई को अथॉरिटी द्वारा आयोजित साक्षात्कार में भूमि एलाट नहीं हो सकी। इसी तरह मेरठ में गौरव टेक्सटाइल ने एक टेक्सटाइल इकाई व नोएडा में शोभा इंटर प्राइजेज ने गारमेंट इकाई की स्थापना के लिए आवेदन किया था। जमीन उपलब्ध न हो पाने से प्रोजेक्ट अटका है। इस संबंध में यूपीसीडा से लिखापढ़ी चल रही है।
गलत जमीन आवंटित कर दी
नोएडा में एशमॉन क्रियेशन ने रेडीमेड गारमेंट इकाई की स्थापना के लिए एमओयू किया था। नोएडा अथारिटी ने निवेशक को विवादित जमीन आवंटित कर दी। प्रोजेक्ट फंस गया। अब अथारिटी को दूसरी जमीन आवंटित करने के लिए कहा गया है।
कहीं संपर्क मार्ग अटका, कहीं अतिक्रमण से जमीन का कब्जा फंसा
मेरठ में पवन सूत भंडार की ओर से एक धागा इकाई की स्थापना का प्रस्ताव दिया गया था। निवेशक ने जमीन की व्यवस्था कर ली है। इस प्रोजेक्ट पर 20करोड़ रुपये निवेश प्रस्तावित है और 200 लोगों को रोजगार मिल सकता है। इस इकाई से संपर्क मार्ग का निर्माण लंबित है। एनओसी भी प्रक्रिया में है। नोएडा में बसंत इंडिया ने रेडीमेड गारमेंट की इकाई स्थापना के लिए कदम बढ़ाया। इस प्रोजेक्ट से 600 लोगों को रोजगार मिल सकता है। अतिक्रमण की वजह से निवेशक को जमीन पर कब्जा नहीं मिल पा रहा है।
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Sun Sep 27 , 2020
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Sun, 27 Sep 2020 07:16 AM IST नरेंद्र मोदी-नीतीश कुमार (फाइल फोटो) – फोटो : PTI
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