वहीं रालोसपा और वाम दल राजद को आंख दिखा रही है। इन दोनों पार्टियों का कहना है कि महागठबंधन में हमें भी सम्मानजनक सीटें मिले नहीं तो कुछ अलग रास्ता खोजेंगे।
रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा आर-पार के मूड में दिख रहे हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने अपने बयान में कह दिया था कि राजद नेतृत्व के पीछे चलकर बिहार का विकास संभव नहीं है। उनके बयान से ऐेसा लग रहा है कि वे कभी भी अपना रास्ता अलग कर सकते हैं।
उधर, वाम दलों ने बड़ा पेच फंसा दिया है। माले को 12 सीट देने पर राजद तैयार है, लेकिन माले ने 20 से कम पर बात करने से ही मना कर दिया है। सीपीएम के लिए राजद ने दो सीट छोड़ी है। उसकी मांग पांच की है। लेकिन उसका कहना है कि पांच में जो सीट मिलेगी, वहां समझौता करेंगे।
वहीं इससे पहले कांग्रेस ने भी आरजेडी को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर हमें सम्मानजनक सीटें नहीं मिलेंगी तो हम सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार हैं।
बिहार चुनाव के लिए कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अविनाश पांडे ने कहा कि हम राष्ट्रीय जनता दल के साथ सम्मानजनक सीटों के लिए लगातार बैठकें कर रहे हैं, अगर बात बन गई तो हम उनके साथ मिलकर चुनाव लड़ने को तैयार हैं। वहीं अगर सीट शेयरिंग पर बात नहीं बनी तो हम सभी सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार हैं।
गौरतलब है कि राजद के लिए लालू प्रसाद के बिना सामंजस्य बिठाना मुश्किल हो रहा है। हांलांकि तेजस्वी लालू यादव के बिना सलाह के कोई फैसला नहीं करते हैं। बता दें कि चारा घोटाले ंमें लालू रांची जेल में सजा काट रहे हैं।
कुछ दिनों पहले सीट पर बात नहीं बनने के कारण जीतनराम मांझी भी महागठबंधन से अलग हो गए थे और एनडीए में शामिल हो गए। मांझी ने तेजस्वी पर गंभीर आरोप भी लगाए।
2015 में महागठबंधन में राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और 81 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को 70 सीटें मिली थी, जबकि कांग्रेस को 27 सीटें मिली थी। वहीं भाजपा को मात्र 53 सीट पर संतोष करना पड़ा था।