हिमांशु मिश्र, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Thu, 01 Oct 2020 04:52 AM IST
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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले हाथरस सामूहिक दुष्कर्म मामले ने भाजपा की बेचैनी बढ़ा दी है। पार्टी को डर है कि यह मामला कहीं चार साल पहले हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या मामले की तरह तूल न पकड़ ले। लिहाजा पीड़िता की मौत के बाद अब पीएम नरेंद्र मोदी ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
रोहित वेमुला की आत्महत्या के मामले को संभालने में मोदी सरकार और भाजपा के हाथ पांव फूल गए थे। उत्तर प्रदेश में पीएम मोदी के कार्यक्रम के दौरान एक युवक ने नारेबाजी की थी। उसके बाद पीएम ने वेमुला को देश का बेटा बताया और बेहद भावुक हो गए। कालांतर में जब मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को कपड़ा मंत्रालय भेजा गया तब यही माना गया कि इसका मुख्य कारण वेमुला प्रकरण है।
दरअसल हाथरस मामले में पुलिस की अमानवीयता और घोर लापरवाही नजर आ रही है। पीड़िता के परिजनों से दुर्व्यवहार, आधी रात को शव का दाह संस्कार, दस दिन बाद आरोपियों के खिलाफ दुष्कर्म की धाराएं जोड़ने का मामला मीडिया और सोशल मीडिया में तूल पकड़ रहा है। नाराजगी की आग धीरे-धीरे बिहार तक पहुंच रही है, जहां अनुसूचित जाति की आबादी करीब 16 फीसदी है। भाजपा को चिंता है कि राज्य की अनुसूचित जाति आबादी लोकसभा और विधानसभा के कई चुनावों में एनडीए के साथ खड़ी रही है। हालांकि अगर इस मामले ने तूल पकड़ा तो इस वर्ग में फैली नाराजगी भाजपा पर भारी पड़ सकती है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक अनुसूचित जाति संगठनों में राष्ट्रीय स्तर पर एकता रही है। यही कारण है कि वेमुला मामले में पार्टी को बेहद मशक्कत करनी पड़ी।
अब आगे क्या?
हालांकि दुष्कर्म का मामला करीब दो सप्ताह पुराना है, मगर मामले ने मंगलवार से तूल पकड़ा है। राज्य सरकार को किसी भी तरह से मामले को शांत करने का निर्देश दिया गया है। डैमेज कंट्रोल की रणनीति बनाने को कहा गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि योगी सरकार जल्द ही इस मामले में स्थानीय प्रशासन के खिलाफ ठोस कार्रवाई करेगी। इसके अलावा अनुसूचित जाति परिवार को कई दूसरी तरह की राहत दिए जाने की घोषणा करेगी।
यूपी की भी चिंता
दरअसल कानून व्यवस्था के सवाल पर केंद्र सरकार यूपी को लेकर चिंतित रही है। खासतौर से विधायक कुलदीप सेंगर और पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद के कारण राज्य सरकार विरोधियों के निशाने पर रही है। राज्य में 2022 में विधानसभा चुनाव है, मगर एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, महिलाओं और अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ यूपी देश में सबसे आगे है। एनसीआरबी की साल 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में महिलाओं के खिलाफ हुए कुल अपराधों में अकेले यूपी की हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी थी। देश में कुल 405861 अपराध हुए इनमें अकेले यूपी में 59853 अपराध हुए। देश में एक साल में महिलाओं के खिलाफ जहां 7.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, वहीं यूपी में 14.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले हाथरस सामूहिक दुष्कर्म मामले ने भाजपा की बेचैनी बढ़ा दी है। पार्टी को डर है कि यह मामला कहीं चार साल पहले हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या मामले की तरह तूल न पकड़ ले। लिहाजा पीड़िता की मौत के बाद अब पीएम नरेंद्र मोदी ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
रोहित वेमुला की आत्महत्या के मामले को संभालने में मोदी सरकार और भाजपा के हाथ पांव फूल गए थे। उत्तर प्रदेश में पीएम मोदी के कार्यक्रम के दौरान एक युवक ने नारेबाजी की थी। उसके बाद पीएम ने वेमुला को देश का बेटा बताया और बेहद भावुक हो गए। कालांतर में जब मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को कपड़ा मंत्रालय भेजा गया तब यही माना गया कि इसका मुख्य कारण वेमुला प्रकरण है।
दरअसल हाथरस मामले में पुलिस की अमानवीयता और घोर लापरवाही नजर आ रही है। पीड़िता के परिजनों से दुर्व्यवहार, आधी रात को शव का दाह संस्कार, दस दिन बाद आरोपियों के खिलाफ दुष्कर्म की धाराएं जोड़ने का मामला मीडिया और सोशल मीडिया में तूल पकड़ रहा है। नाराजगी की आग धीरे-धीरे बिहार तक पहुंच रही है, जहां अनुसूचित जाति की आबादी करीब 16 फीसदी है। भाजपा को चिंता है कि राज्य की अनुसूचित जाति आबादी लोकसभा और विधानसभा के कई चुनावों में एनडीए के साथ खड़ी रही है। हालांकि अगर इस मामले ने तूल पकड़ा तो इस वर्ग में फैली नाराजगी भाजपा पर भारी पड़ सकती है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक अनुसूचित जाति संगठनों में राष्ट्रीय स्तर पर एकता रही है। यही कारण है कि वेमुला मामले में पार्टी को बेहद मशक्कत करनी पड़ी।
अब आगे क्या?
हालांकि दुष्कर्म का मामला करीब दो सप्ताह पुराना है, मगर मामले ने मंगलवार से तूल पकड़ा है। राज्य सरकार को किसी भी तरह से मामले को शांत करने का निर्देश दिया गया है। डैमेज कंट्रोल की रणनीति बनाने को कहा गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि योगी सरकार जल्द ही इस मामले में स्थानीय प्रशासन के खिलाफ ठोस कार्रवाई करेगी। इसके अलावा अनुसूचित जाति परिवार को कई दूसरी तरह की राहत दिए जाने की घोषणा करेगी।
यूपी की भी चिंता
दरअसल कानून व्यवस्था के सवाल पर केंद्र सरकार यूपी को लेकर चिंतित रही है। खासतौर से विधायक कुलदीप सेंगर और पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद के कारण राज्य सरकार विरोधियों के निशाने पर रही है। राज्य में 2022 में विधानसभा चुनाव है, मगर एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, महिलाओं और अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ यूपी देश में सबसे आगे है। एनसीआरबी की साल 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में महिलाओं के खिलाफ हुए कुल अपराधों में अकेले यूपी की हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी थी। देश में कुल 405861 अपराध हुए इनमें अकेले यूपी में 59853 अपराध हुए। देश में एक साल में महिलाओं के खिलाफ जहां 7.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, वहीं यूपी में 14.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
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Thu Oct 1 , 2020
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