चिराग पर अपनी ही पार्टी में दबाव
दरअसल जदयू के खिलाफ हमलावर चिराग अपनी ही पार्टी में भारी दबाव में हैं। सीटों के लिए चिराग विरोध की जिस सीमा तक गए हैं, उसके बाद उन्हें अपना रुख नरम करने में परेशानी हो रही है।
पार्टी नेताओं का भी उन पर भारी दबाव है, जबकि भाजपा ने लोजपा को दो टूक कह दिया है कि वह इस मामले में अब बहुत कुछ करने की स्थिति में नहीं है। सूत्रों के मुताबिक अमित शाह और जेपी नड्डा के साथ हुई बैठक में चिराग को 23 से 27 सीटें देने का अंतिम प्रस्ताव दिया गया है।
चिराग ने बुलाई पार्टी की बैठक
नए प्रस्ताव पर अब चिराग ने शनिवार को पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई है। इस बैठक में पार्टी भाजपा के प्रस्ताव पर अंतिम फैसला करेगी।
लोजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी का एक धड़ा राज्य की 143 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने के पक्ष में है, जबकि भाजपा ने चिराग को कह दिया है कि वह लोजपा के जदयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारे जाने का समर्थन नहीं करेगी। जाहिर तौर पर नई परिस्थितियों में चिराग असमंजस में हैं।
सूची जारी करने में देरी नहीं करना चाहती पार्टी
नामांकन के दो दिन बीत जाने के बावजूद उम्मीदवार चयन प्रक्रिया न शुरू होने से भाजपा चिंतित है। पहले शुक्रवार को ही सीईसी की बैठक होनी थी। अब पार्टी ने रविवार को बैठक बुलाने का फैसला किया है।
भाजपा ने इस संबंध में लोजपा से साफ कह दिया है कि अब वह ज्यादा इंतजार करने की स्थिति में नहीं है। उम्मीद की जा रही है कि भाजपा रविवार को ही पहले और दूसरे चरण के उम्मीदवारों के नाम पर फैसला ले लेगी।
तेजस्वी-राहुल में बातचीत से निकलेगा रास्ता
कांग्रेस और राजद में स्थानीय स्तर की बातचीत में लाख कोशिशों के बावूजद सीटों की गुत्थी नहीं सुलझी है। आरएलएसपी की विदाई के बाद अब कांग्रेस ने 75 सीटों पर दावेदारी की है, जबकि राजद ने कांग्रेस के समक्ष 60 से 65 सीटों का प्रस्ताव रखा है।
राजद सूत्रों का कहना है कि अब आज-कल में तेजस्वी यादव सीधे राहुल गांधी से बातचीत करेंगे और इसी बातचीत में अंतिम सहमति बना कर शनिवार या रविवार को सीट फार्मूले की घोषणा कर दी जाएगी।
कांग्रेस-लोजपा दोनों के लिए गठबंधन छोड़ना मुश्किल
अधिक सीट हासिल करने के लिए कांग्रेस राजद तो लोजपा भाजपा-जदयू को अकेले लड़ने की धमकी जरूर दे रही है, मगर ऐसा करना इनके लिए इतना भी आसान नहीं है। कांग्रेस का राज्य में जमीनी स्तर पर न तो ठोस आधार है और न ही ठोस संगठन।
राजद दरअसल कांग्रेस को साथ रख कर राज्य के अगड़े मतदाताओं को लुभाना चाहती है। राज्य में लोजपा की स्थिति भी कमोबेश कांग्रेस की तरह है। अकेले दम पर उसे चुनाव में कुछ खास हसिल नहीं होने वाला।
वैसे भी बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी भाजपा को दलित वोट नहीं दिला पाई थी। खुद पार्टी महज दो सीटों पर सिमट गई। हालांकि भाजपा लोजपा के जरिए दलित वोटों में बिखराव रोकना चाहती है।