भाजपा-जदयू में भी सीटों का पेच
2015 के चुनाव में राज्य की 51 सीटों पर भाजपा और जदयू के बीट सीधी टक्कर हुई थी। इनमें 28 सीटों पर जदयू की जीत हुई थी और 23 पर भाजपा की। इन सभी सीटों पर जीत और हार का अतंर काफी कम था। जाहिर इन सभी सीटों पर दोनों दल अपना-अपना दावा ठोकेंगे। ऐसी स्थिति में सीट बंटवारे पर पेच फंसना तय है। भाजपा पहले ही कह चुकी है कि वह अपनी पारपंरिक सीट किसी भी सूरत में नहीं छोड़ेगी।
यही हाल महागठबंधन में भी है। महागठबंधन में सीटों का बंटवारा राजद, कांग्रेस, तीन वाम दलों के बीच होना है। खबर आ रही है कि 10 सीटों पर कांग्रेस और राजद की अपनी-अपनी दावेदारी है। न तो इन सीटों को राजद छोड़ना चाहता है और ना ही कांग्रेस। राजद का कहना है कि कांग्रेस 2015 वाले फॉर्मूले को मान ले। वाम दलों भाकपा माले, भाकपा और माकपा के लिए 20 सीटें छोड़ने का प्रस्ताव राजद दे रहा है।
2015 में हुए विधानसभा चुनाव में राजद ने 80, कांग्रेस ने 27, और वामदलों में सीपीआई एमएल ने तीन सीटें जीती थीं। भाकपा और माकपा का तो खाता भी नहीं खुल पाया था। जाहिर है गठबंधन बचा रहने के बाद भी सीटों का बंटवारा दोनों गठबंधनों के लिए आसान नहीं होगा। सबसे अधिक मुश्किल राजग में आएगी। यदि लोजपा गठबंधन से बाहर होता है तो उसके दावे वाली सीटों का बंटवारा नई मुश्किल पैदा करेगा।
सीट बंटवारे के बीच कांग्रेस ने बिहार इकाई के नेताओं को दिल्ली बुलाया
ज्यादा सीटें झटकने को राजद और कांग्रेस एक दूसरे पर बना रहे दबाव कांग्रेस ने बिहार चुनाव में राजद के साथ सीट बंटवारे के बीच प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा और विधायक दल के नेता सदानंद सिंह को बुधवार को दिल्ली बुला लिया। इन नेताओं के साथ एआईसीसी की स्क्रीनिंग कमेटी की भी बैठक हुई।
इस वक्त कांग्रेस, राजद और वामपंथी दलों के बीच विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर अंतिम दौर की बातचीत चल रही है, जिसकी घोषणा इस हफ्ते के अंत तक की जाएगी। दरअसल अंतिम घोषणा से पहले अपने लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें लेने के लिए राजद और कांग्रेस एक दूसरे पर दबाव बना रहे हैं।
सूत्रों का कहना है 10 सीटों पर अब भी पेंच फंसा हुआ है। उनका कहना है कि 243 सदस्यीय विधानसभा में राजद करीब 150 सीट और कांग्रेस 70 सीट पर लड़ेंगे, जबकि वाम दलों को 20 सीटें दी जाएंगी। उल्लेखनीय है कि पहले चरण के मतदान के लिए 1 अक्तूबर से नामांकन पत्र दाखिल किया जाएगा।
सूत्रों कहना है कि यह पहले ही तय हो गया था कि सीटों का बंटवारा 2015 के फॉर्मूले के आधार पर होगा, जिसमें राजद को 101, कांग्रेस को 41 सीटें दी गई थीं। शेष 101 सीटें, जिन पर तब जनता दल यू ने चुनाव लड़ा था, उनमें से 50 राजद को, 30 कांग्रेस और 20 सीटें वाम दलों के हिस्से में जाएगी।