Bihar elections – LJP leadership is not worried about tomorrow, Patna News in Hindi

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Bihar elections - LJP leadership is not worried about tomorrow - Patna News in Hindi




पटना । बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) बाहर हो गई है। लोजपा जहां एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तारीफ में कसीदे गढ़ रही है, वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर आलोचना कर रही है।

भाजपा ने पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है, जबकि लोजपा को नीतीश का नेतृत्व स्वीकार नहीं हुआ है। लोजपा के इस निर्णय से साफ है कि लोजपा न केवल नीतीश की नाराजगी वाले वोट बैंक को साधने की रणनीति बना रही है, बल्कि भाजपा के साथ रहकर उसका फायदा भी उठाने की कोशिश में है।

इधर, भाजपा अब तक लोजपा के खिलाफ खुलकर नहीं बोल रही है और ना ही लोजपा अब तक भाजपा के खिलाफ मुखर हुई है।

राजनीतिक समीक्षक संतोष सिंह कहते हैं कि लोजपा नेतृतव को आज नहीं कल की चिंता है। उन्होंने कहा कि लोजपा जैसा कह रही है कि 143 सीटों पर चुनाव लड़ेगी तब वह अपने संगठन को न केवल मजूबत बना लेगी बल्कि कुछ सीटें तो लेकर आ ही जाएगी। उन्होंने कहा कि लोजपा पांच साल बाद होने वाले चुनाव में भाजपा के मुख्य सहयोगी बनने की ओर नजर रखे हुए है।

इधर, वरिष्ठ पत्रकार और बिहार की राजनीति पर पैनी निगाह रखने वाले कन्हैया भेल्लारी की राय अलग हैं। उन्होंने कहा कि लोजपा के पास अपना कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रारंभ से ही लोजपा एक खास जाति की राजनीति करती आ रही है, इसलिए वह वैसाखी के सहारे ही सत्ता तक पहुंचती रही है।

आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में 243 सीट में महज दो सीटें जीतने वाली और लोजपा को 4.83 प्रतिशत वोट मिले थे, 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने खाते की सभी छह सीटों पर उसे जीत मिली थी। उस समय हालांकि इसके लिए नरेंद्र मोदी के कारण जीत की बात कही गई थी।

लोजपा के एक नेता ने कहा कि पार्टी भाजपा को परिदृश्य में रखकर 10-15 सीटें जरूर जीत जाएगी। उन्होंने कहा कि पार्टी भाजपा के साथ मिलकर खुद को भाजपा की मुख्य सहयोगी के रूप में पेश करना चाहती है।

वैसे, कुछ लोगों का मामना है कि चुनाव के बाद लोजपा सत्ता के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। भाजपा हमेशा गठबंधन में दूसरी पार्टी रही है। पिछले चुनाव में जदयू 71 सीटों पर विजयी हुई थी तो भाजपा को 53 सीटें मिली थी।

गौरतलब है कि लोजपा की योजना 143 सीटों पर चुनाव लड़ने की है, लेकिन अब तक यह नहीं बताया गया है कि वह भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ अपने प्रत्याशी देगा या नहीं।

लोजपा के प्रवक्ता अशरफ अंसारी ने कहा, कई सीटें ऐसी हैं जहां जीत का अंतर 5,000 से 10,000 के बीच है। ऐसे क्षेत्रों में लड़ाई त्रिकोणात्मक होने के बाद लोजपा को लाभ मिल सकता है।

इधर, जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक कुमार चौधरी ने कहा कि लोजपा के राजग छोड़ने से राजग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, मैं जानना चाहता हूं कि लोजपा के साथ जदयू के बीच क्या वैचारिक मतभेद हैं। हमने दलित कल्याण के लिए कई गुना बजट बढ़ाया है। लोजपा पिछले लोकसभा चुनाव में तो साथ में थी।

उल्लेखनीय है कि लोजपा फरवरी, 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में 178 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 29 सीटें जीती थीं जबकि अक्टूबर 2005 में हुए चुनाव में लोजपा 203 सीटों पर चुनाव लड़ी और 10 सीटें जीती थी। इसके बाद 2010 के विधानसभा चुनाव में लोजपा 75 सीटों पर चुनाव लड़ी और मात्र तीन सीटें मिलीं।

लोजपा नेता मानते हैं कि यह चुनाव नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, सुशील मोदी, रामविलास पासवान पीढ़ी का आखिरी राज्य में चुनाव हो सकता है। कहा जा रहा है कि यही कारण है कि चिराग को आज नहीं कल की चिंता है।

–आईएएनएस

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