Patna Collectorate An Unmatched Specimen Of Dutch And British Architecture, It Is Necessary To Preserve These Buildings For Generations To Come. – पटना कलक्ट्रेट डच व ब्रिटिश वास्तुकला का बेजोड़ नमूना, आने वाली पीढ़ी के लिए संरक्षित करना जरूरी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली/पटना

Updated Tue, 06 Oct 2020 06:17 AM IST

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बिहार की राजधानी स्थित पटना कलक्ट्रेट डच व ब्रिटिश वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। विशेषज्ञों के मुताबिक कलक्ट्रेट परिसर की ऊंची छत, रोशनदान और खंभों वाली इमारतें ऐसे दुर्लभ नमूने हैं जिन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने की जरूरत है।

विशेषज्ञों ने सोमवार को इन भव्य इमारतों के अधर में लटके भविष्य को लेकर चिंता जताई। विश्व वास्तुकला दिवस के अवसर पर शहरी संरक्षणकर्ताओं और वास्तुकारों ने कहा, यह ऐतिहासिक शहर पहले ही बहुत सी इमारतें और धरोहर खो चुका है और सब समाज इतिहास के इस प्रतीक को खोना नहीं चाहता। कलक्ट्रेट की डच कालीन इमारतों में ‘रिकॉर्ड रूम’ और पुराना जिला इंजीनियर कार्यालय शामिल है। जिलाधिकारी कार्यालय और पटना जिला बोर्ड की इमारतें ब्रिटिश काल में बनी थीं। 12 एकड़ में फैले इस परिसर का कुछ हिस्सा 250 साल से अधिक पुराना है। ऑस्कर प्राप्त फिल्म गांधी के कुछ प्रमुख दृश्य यहां फिल्माए गए थे।

मुंबई की संरक्षणकर्ता कमलिका बोस ने कहा, पटना का इतिहास ढाई हजार साल से अधिक पुराना है जिस पर विभिन्न कालखंडों की वास्तुकला की छाप देखने को मिलती है। यह एक टाइम मशीन की तरह है जिसमें युवा और अन्य लोग जा सकते हैं। पटना में अन्य ऐतिहासिक इमारतों को ध्वस्त किए जाने के बाद अब यही अमूल्य धरोहर बची है। बिहार सरकार ने 2016 में पटना कलक्ट्रेट को ध्वस्त कर नया परिसर बनाने का प्रस्ताव दिया था। इसका बडे़ स्तर पर विरोध हुआ और इसे बचाने के लिए देश विदेश से आवाज बुलंद हुई। धरोहरों के संरक्षण से जुड़ी संस्था ‘इंटैक’, 2019 में मामले को पटना हाईकोर्ट ले गई।

बिहार सरकार द्वारा स्थापित धरोहर आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, वास्तुकला, संस्कृति और सौंदर्य के लिहाज से कलक्ट्रेट का कोई विशेष महत्व नहीं है और इसका इस्तेमाल अफीम और शोरा रखने के लिए किया जा रहा है। धरोहर विशेषज्ञों और इतिहासकारों ने इस मत को नकारा है। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट गया। इंटैक की याचिका पर कोर्ट ने पटना कलक्ट्रेट को ध्वस्त करने पर 18 सितंबर को रोक लगा दी। इससे दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने नई इमारत की आधारशिला रखी थी। गंगा किनारे खड़ी इस इमारत का इस्तेमाल 1857 से जिला प्रशासन के कार्यालय के रूप में किया जा रहा है।

गत 10 वर्षों में ढहाई गईं ये इमारतें

गत दस वर्ष में पटना की कई ऐतिहासिक इमारतों को ध्वस्त किया गया है जिनमें 110 वर्ष पुराना गोल मार्केट, 1885 का अंजुमन इस्लामिया हॉल, सिटी एसपी का बंगला, जिला एवं सत्र न्यायाधीश का बंगला और सिविल सर्जन का बंगला शामिल है।

बिहार की राजधानी स्थित पटना कलक्ट्रेट डच व ब्रिटिश वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। विशेषज्ञों के मुताबिक कलक्ट्रेट परिसर की ऊंची छत, रोशनदान और खंभों वाली इमारतें ऐसे दुर्लभ नमूने हैं जिन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने की जरूरत है।

विशेषज्ञों ने सोमवार को इन भव्य इमारतों के अधर में लटके भविष्य को लेकर चिंता जताई। विश्व वास्तुकला दिवस के अवसर पर शहरी संरक्षणकर्ताओं और वास्तुकारों ने कहा, यह ऐतिहासिक शहर पहले ही बहुत सी इमारतें और धरोहर खो चुका है और सब समाज इतिहास के इस प्रतीक को खोना नहीं चाहता। कलक्ट्रेट की डच कालीन इमारतों में ‘रिकॉर्ड रूम’ और पुराना जिला इंजीनियर कार्यालय शामिल है। जिलाधिकारी कार्यालय और पटना जिला बोर्ड की इमारतें ब्रिटिश काल में बनी थीं। 12 एकड़ में फैले इस परिसर का कुछ हिस्सा 250 साल से अधिक पुराना है। ऑस्कर प्राप्त फिल्म गांधी के कुछ प्रमुख दृश्य यहां फिल्माए गए थे।

मुंबई की संरक्षणकर्ता कमलिका बोस ने कहा, पटना का इतिहास ढाई हजार साल से अधिक पुराना है जिस पर विभिन्न कालखंडों की वास्तुकला की छाप देखने को मिलती है। यह एक टाइम मशीन की तरह है जिसमें युवा और अन्य लोग जा सकते हैं। पटना में अन्य ऐतिहासिक इमारतों को ध्वस्त किए जाने के बाद अब यही अमूल्य धरोहर बची है। बिहार सरकार ने 2016 में पटना कलक्ट्रेट को ध्वस्त कर नया परिसर बनाने का प्रस्ताव दिया था। इसका बडे़ स्तर पर विरोध हुआ और इसे बचाने के लिए देश विदेश से आवाज बुलंद हुई। धरोहरों के संरक्षण से जुड़ी संस्था ‘इंटैक’, 2019 में मामले को पटना हाईकोर्ट ले गई।

बिहार सरकार द्वारा स्थापित धरोहर आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, वास्तुकला, संस्कृति और सौंदर्य के लिहाज से कलक्ट्रेट का कोई विशेष महत्व नहीं है और इसका इस्तेमाल अफीम और शोरा रखने के लिए किया जा रहा है। धरोहर विशेषज्ञों और इतिहासकारों ने इस मत को नकारा है। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट गया। इंटैक की याचिका पर कोर्ट ने पटना कलक्ट्रेट को ध्वस्त करने पर 18 सितंबर को रोक लगा दी। इससे दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने नई इमारत की आधारशिला रखी थी। गंगा किनारे खड़ी इस इमारत का इस्तेमाल 1857 से जिला प्रशासन के कार्यालय के रूप में किया जा रहा है।

गत 10 वर्षों में ढहाई गईं ये इमारतें

गत दस वर्ष में पटना की कई ऐतिहासिक इमारतों को ध्वस्त किया गया है जिनमें 110 वर्ष पुराना गोल मार्केट, 1885 का अंजुमन इस्लामिया हॉल, सिटी एसपी का बंगला, जिला एवं सत्र न्यायाधीश का बंगला और सिविल सर्जन का बंगला शामिल है।

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