Economics is becoming the choice of students due to 4-5 times more packages in abroad than in country; Companies like Facebook and Google are offering upto 1.5 crore package | देश की तुलना में विदेशों में 4-5 गुना ज्यादा पैकेज के चलते स्टूडेंट्स की पसंद बन रहा इकोनॉमिक्स; फेसबुक-गुगल जैसी कंपनियां दे रही 1.5 करोड़ तक का पैकेज

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एक घंटा पहले

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बी-टेक प्रोग्राम और इंजीनियरिंग के लिए मशहूर आईआईटी में एडमिशन के लिए अब स्टूडेंट्स की पसंद धीरे-धीरे बदल रही है। इकोनॉमिक्स के नए कोर्स छात्रों की पसंद में शामिल हो रहे हैं। अच्छी रैंक वाले छात्र भी इन कोर्स को चुनने लगे हैं। साल 2019 की ओपनिंग और क्लोजिंग रैंक के आंकड़े बताते हैं कि कई स्टूडेंट्स ने आईआईटी बॉम्बे, कानपुर और खड़गपुर में इकोनॉमिक्स को चुना। इनमें अच्छी रैंक वाले कैंडिडेट भी शामिल हैं। आईआईटी बॉम्बे में इकोनॉमिक्स विषय की ओपनिंग और क्लोजिंग रैंक 1312-1885वीं रही।

पूरे देश में लोकप्रिय हो रहा इकोनाॅमिक्स

आईआईटी कानपुर में 1681-2347 और खड़गपुर आईआईटी में यह रैंक 2959-4780 रही। एक्सपर्ट बताते हैं कि यह बेहद चौंकाने वाला है। इकोनाॅमिक्स पूरे देश में लोकप्रिय विषय है, क्योंकि स्टूडेंट्स स्कूलिंग के समय में इसे सामाजिक विज्ञान के तौर पर पढ़ते रहे हैं। आईआईटी में भी इकोनाॅमिक्स छात्रों की पसंद बनता जा रहा है। बड़ी वजह यह भी है कि इकोनॉमिक्स स्टूडेंट्स की कम्प्यूटिंग स्किल बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। आईआईटी बॉम्बे में बीएस इकोनॉमिक्स में एडमिशन जेईई एडवांस्ड के जरिए दिया जाता है। जबकि आईआईटी मद्रास में इकोनॉमिक्स में एडमिशन के लिए कोई क्राइटेरिया नहीं है।

कम्प्यूटर साइंस छोड़ मैथ्स एंड कम्प्यूटिंग चुन रहे

आईआईटी में मैथ्स/मैथ्स एंड कम्प्यूटिंग विषय अच्छी रैंक वालों को मिल रहे हैं। आईआईटी बॉम्बे का उदाहरण लीजिए। पिछले साल ऑल इंडिया 98वीं रैंक लाने वाले स्टूडेंट को बीएस मैथेमेटिक्स सीट अलॉट की गई। इस कोर्स के लिए एडमिशन के पहले राउंड में ओपन कैटेगरी 1041वीं रैंक पर बंद हुई। आईआईटी दिल्ली में बीटेक मैथेमेटिक्स एंड कम्प्यूटिंग की ओपनिंग रैंक 95वें से शुरू हुई।

कई स्टूडेंट्स जो अच्छी रैंक लाते हैं, उन्हें कम्प्यूटर साइंस और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग जैसे कोर्स आसानी से मिल सकते हैं, लेकिन वे मैथेमेटिक्स एंड इकोनॉमिक्स जैसे विषय ले रहे हैं। इनमें ज्यादातर कोर्स दो से चार साल के हैं। आईआईटी बॉम्बे के एक प्रोफेसर ने कहा कि बीएस मैथ्स में एडमिशन अच्छी रैंक लाने वाले स्टूडेंट्स को ही मिल रही है।

एक्सपर्ट से जानें क्यों बदल रहा आईआईटी में इकोनॉमिक्स का ट्रेंड

एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं टेक्नोलॉजी और इकोनॉमिक्स विषय

आईआईटी में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर का कहना है कि इकोनॉमिक्स हर स्थिति में बेहतरीन विषय है। टेक्नोलॉजी और इकोनॉमिक्स विषय एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। बैंकिंग में निवेश, परामर्श और डेटा विश्लेषण करने वाली फर्मों में नौकरी पाने के लिए इकोनॉमिक्स में डिग्री काफी मदद करती है। अगर यह डिग्री किसी आईआईटी से हासिल की गई हो तो यह और ताकतवर हो जाती है। इसी वजह से कुछ स्टूडेंट आईआईटी बॉम्बे में इकोनॉमिक्स को अतिरिक्त विषय के तौर पर भी चुन रहे हैं।

अब मैथ्स एंड कम्प्यूटिंग जितना पैकेज मिल रहा इकोनॉमिक्स से

आईआईटी दिल्ली से मैथ्स कम्प्यूटिंग कर चुके गौरव गोयल का कहना है कि मैथ्स एंड कम्प्यूटिंग विषय पसंद किए जा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि विदेशी बैंक, फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियों में इन छात्रों को 1 से 1.5 करोड़ रुपए तक का पैकेज आसानी से मिल जाता है। इस कोर्स में भी इन्हीं कंपनियों में 1 करोड़ रुपए से ज्यादा का पैकेज मिलने लगा है। बैंक निवेश, कंसलटिंग जैसी कंपनियों में इकोनॉमिक्स से डिग्री लेने वाले छात्रों की मांग बढ़ने लगी है।

कोरोना में कंपनियां डूबने से अब इकोनॉमिक्स की डिमांड बढ़ेगी

जयपुर के शिशिर गोयल आईआईटी खड़गपुर से इकोनॉमिक्स से ही डिग्री कर रहे हैं। वे कहते हैं-हर कंपनी को अब फाइनेंस पर फोकस करना है। इसलिए यह कोर्स पसंद बन रहा है। खड़गपुर से आईआईटी कर चुके सांवरमल प्रजापत कहते हैं-इस साल गेट एग्जाम में भी इकोनॉमिक्स को शामिल किया गया है। कोरोना काल में कई कंपनियां डूब गई, क्योंकि-उनके पास फाइनेंस को संभालने की प्लानिंग करने वाले लोगों की संख्या कम है। इन कंपनियों को ऐसे लाेगों को अब ज्यादा जरूरत होगी।

मैथ्स एंड कम्प्यूटिंग और इकोनाॅमिक्स में देश-विदेश के पैकेज में क्या फर्क है?

मैथ्स एंड कम्प्यूटिंग: दिल्ली में 5 और कानपुर आईआईटी में 4 साल का कोर्स है। आईआईटीएन गौरव कहते हैं कि कम्प्यूटर साइंस की सभी डिटेल मैथ्स एंड कम्प्यूटिंग में भी कवर हो जाती है। इस कोर्स के बाद यूएस के जेपी मॉर्गन बैंक, जर्मनी का ड्यूएस बैंक, यहां छात्रों को बड़े ऑफर मिल जाते हैं। फेसबुक और गुगल जैसी सॉफ्टवेयर कंपनी में विदेशों में 1 से 1.5 करोड़ रुपए तक का पैकेज मिल जाता है। जबकि भारत में इनके ऑफिस में 25 से 30 लाख रुपए का पैकेज होता है।

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