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पटना23 मिनट पहले
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थोरेकोस्कोपी तकनीक की मदद से नाक के रास्ते फेफड़े तक पहुंचा जाता है और बीमारी की पहचान की जाती है।
- अब मरीजों को जांच कराने के लिए नहीं जाना पड़ेगा दिल्ली या अन्य महानगर, खर्च भी होगा कम
आईजीआईएमएस में थोरेकोस्कोपी विधि (दूरबीन द्वारा फेफड़े के झिल्लियों की जांच) से फेफड़े की बीमारियों की जांच की सुविधा मिलने लगी है। मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि इसमें महज दो हजार रुपए खर्च होते हैं। प्राइवेट अस्पतालों में इसके लिए 25-30 हजार रुपए खर्च होते हैं। फेफड़े में पानी भर जाने, फेफड़े की झिल्ली में टीबी, कैंसर आदि की सही पहचान जरूरी है।
इसके बाद इन बीमारियों का सही इलाज संभव हो पाता है। थोरेकोस्कोपी तकनीक की मदद से नाक के रास्ते फेफड़े तक पहुंचा जाता है और बीमारी की पहचान की जाती है। कन्फर्म होने के लिए फेफड़े से बायोप्सी के लिए सैंपल भी लिया जाता है। बायोप्सी की रिपोर्ट आने पर बीमारी की सही पहचान हो जाती है।
इस तकनीक से जांच कराने के लिए पहले मरीजों को दिल्ली या अन्य महानगरों में जाना पड़ता था। अब यह सुविधा आईजीआईएमएस में मिलने लगी है। डॉ. अरसद एजाजी ने बताया कि इस विधि से मरीज की बीमारी की तुरंत पहचान की जा सकती है और इलाज भी जल्द शुरू हो जाता है।
गुरुवार को विभाग के हेड डॉ. मनीष शंकर के नेतृत्व में डॉ. सत्यदेव चौबे, डॉ. अरसद एजाजी और डॉ. दिनेश कुमार ने इस तकनीक से मरीज की जांच के लिए सैंपल लिया। इसके लिए मरीज को भर्ती होने की जरूरत नहीं होती है।
एनएमसीएच में ओपीडी व इंडोर सेवा शुरू
एनएमसीएच में सामान्य चिकित्सा सेवाएं गुरुवार से बहाल हाे गईं। सभी विभागों में आउटडोर सेवा शुरू हो गई। हालांकि जानकारी के अभाव में 118 मरीज ही पहुंचे। अस्पताल में अलग से कोरोना मरीजों के लिए 100 बेड रिजर्व रखे गए हैं। फिलहाल कोरोना के 14 मरीज भर्ती हैं। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर राज्य सरकार ने एनएमसीएच को कोविड डेडिकेटेड अस्पताल घोषित किया था।
सात महीनों से यहां सिर्फ कोरोना मरीजों का इलाज चल रहा था। अब कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार कमी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सामान्य मरीजाें के लिए ओपीडी सेवा शुरू करने का निर्देश दिया। इससे नॉन कोविड मरीज और उनके परिजनों ने राहत की सांस ली है। अब सामान्य मरीजों को इलाज के लिए पीएमसीएच समेत अन्य अस्पतालों की ओर रुख नहीं करना होगा।