Farmer Bill News; Petition Filed In Supreme Court In Case Of Agriculture Bill | किसानों के बिल के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई पिटीशन, आरोप- यह राज्यों का मामला है और इसमें संसद कोई कानून पास नहीं कर सकती

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मुंबई24 मिनट पहले

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बता दें कि केंद्र सरकार के किसानों से संबंधित तीनों बिल्स को लेकर उत्तर भारत में जबरदस्त आंदोलन चल रहा है। इसे किसानों के खिलाफ बताया जा रहा है

  • पिटीशन में कहा गया है कि फॉर्मर प्रोड्यूस एग्रीकल्चर से अलग नहीं है। किसान या प्रोडक्ट कृषि के विषय से बाहर नहीं किए जा सकते हैं
  • राज्यों से संबंधित मामलों में संसद के पास यह अधिकार नहीं है कि वह उन पर अपनी शक्ति लागू कर सके

केंद्र सरकार द्वारा किसानों से संबंधित तीन बिल्स के खिलाफ मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। इस मामले में सोमवार को सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट के वकील मनोहर लाल शर्मा ने एक पिटीशन फाइल कर इस मामले में सुनवाई करने की मांग की थी।

कानून एवं न्याय मंत्रालय को बनाया गया पार्टी

मनोहर लाल शर्मा ने इस मामले में कानून एवं न्याय मंत्रालय को पार्टी बनाया है। इसमें केंद्र सरकार के तीनों बिल द फार्मर्स (एंपावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस अश्योरेंस, द फॉर्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) और द एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) को चुनौती दी गई है। इस पिटीशन में कहा गया है कि यह सभी बिल्स किसानों के अधिकारों के खिलाफ हैं।

चार सवाल उठाए गए हैं पिटीशन में

मनोहर लाल शर्मा ने इसमें जो प्रमुख सवाल उठाए हैं उसमें एक तो यह कि राज्य से संबंधित मामलों में संसद के पास कोई कानून बनाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। दूसरा, क्या किसी शब्द के प्राकृतिक अर्थ को कानून द्वारा मनगढ़ंत शब्द से बदला जा सकता है?, तीसरा सवाल यह कि क्या किसान की आजादी कॉरपोरेट घरानों के पक्ष में खरीदी जा सकती है और चौथा सवाल यह है कि जिस नोटिफिकेशन पर बहस हो रही है, क्या वह फ्रीडम, लाइफ और लिबर्टी की संवैधानिक गारंटी के विपरीत “ईस्ट इंडिया कंपनी सिस्टम्स” की वापसी नहीं है?

आर्टिकल 21 और 246 का उल्लंघन

उन्होंने कहा कि इन बिल्स में देश के संविधान के आर्टिकल 21 एवं 246 का गंभीर उल्लंघन है। साथ ही यह किसानों के जीवन और लिबर्टी के खिलाफ है। शर्मा के मुताबिक आर्टिकल 246 के अनुसार, राज्यों से संबंधित मामलों में संसद के पास यह अधिकार नहीं है कि वह उन पर अपनी शक्ति लागू कर सके। साथ ही संसद इस मामले में कोई नोटिफिकेशन भी जारी नहीं कर सकती है।

मूलभूत अधिकार का सीधा-सीधा उल्लंघन

वह कहते हैं कि देश के नागरिकों के मूलभूत अधिकार का यह सीधा-सीधा उल्लंघन है। यह नागरिकों का अधिकार है कि वह अपनी पसंद के आधार पर खाने का प्रबंधन करें। पिटीशन में कहा गया है कि फॉर्मर प्रोड्यूस एग्रीकल्चर से अलग नहीं है। किसान या प्रोडक्ट कृषि के विषय से बाहर नहीं किए जा सकते हैं। कृषि से संबंधित जो भी उत्पाद हैं वे किसानों से संबंधित हैं।

कॉर्पोरेट के नियंत्रण में आ जाएगी खेती

पिटीशन में कहा गया है कि आगे चलकर यह सभी किसानी और खेती कॉर्पोरेट के नियंत्रण में आ जाएगी। किसानों से जबरदस्त अंगूठे या साइन कराए जाएंगे और दबाव में उनकी जगह, फसल और आजादी को कॉर्पोरेट हाउस के नियंत्रण में ला दिया जाएगा। बता दें कि केंद्र सरकार के किसानों से संबंधित तीनों बिल्स को लेकर उत्तर भारत में जबरदस्त आंदोलन चल रहा है। इसे किसानों के खिलाफ बताया जा रहा है। हालांकि केंद्र सरकार ने बार-बार इसे किसानों के हित में बताया है।

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