नई दिल्ली2 घंटे पहले
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अयाज मेमन
ईपीएल मिड सीजन ट्रांसफर नियम 13 अक्टूबर से लागू होने जा रहा है। इससे लीग दिलचस्प होगी और परिणाम भी प्रभावित होगा। कल्पना कीजिए रहाणे जो दिल्ली की टीम में जगह पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, चेन्नई या राजस्थान में चले जाते हैं। दोनों टीमों का मध्यक्रम अच्छा नहीं कर पा रहा है। रहाणे के आने से चेन्नई या राजस्थान का खेल बदल सकता है। कई और अनुभवी और युवा खिलाड़ी ट्रांसफर के लिए पात्र होंगे। यह पहली बार नहीं है कि जब मिड ट्रांसफर विंडो अस्तित्व में आ रहा है। 2019 में भी यह नियम था। लेकिन फ्रेंचाइजी ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। लेकिन इस बार अच्छी खासी रकम खर्च करने को तैयार हैं। कई टीमों ने इसके हिसाब से तैयारी भी की है। सिर्फ चोट के कारण खिलाड़ियों काे टीम रख या छोड़ नहीं सकतीं। फाॅर्म भी महत्वपूर्ण होगी और टीम का सही कांबिनेशन भी। एक कारण यह भी है कि सभी टीमों ने भारतीय कंडीशन को देखकर खिलाड़ियों को खरीदा था। मिड ट्रांसफर नियम को ऐसे समझा जा सकता है- 1. यह नियम तभी लागू होगा जब आधी लीग खत्म हो गई हो और सभी टीमों ने 7-7 मैच खेल लिए हों। सभी टीमें 12 अक्टूबर को 7-7 मैच खेल लेंगी। 2. इस बार कैप्ड और अनकैप्ड, घरेलू और विदेशी खिलाड़ी ट्रांसफर के लिए पात्र होंगे। 3. वे ही खिलाड़ी पात्र होंगे, जिन्होंने दो से अधिक मैच नहीं खेले होंगे। 4. फ्रेंचाइजी की आपसी सहमति से ट्रांसफर होगा और यह खिलाड़ी के लिए बाध्यकारी होगा। 5. खिलाड़ी की वैल्यू जो प्री-सीजन में थी, उसमें कमी नहीं की जा सकती है। इस बार मिड ट्रांसफर विंडो को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। फ्रेंचाइजी मैनेजमेंट के साथ पूछताछ चल रही है। कई बड़े खिलाड़ियों का ट्रांसफर तय है। क्योंकि मौजूदा सीजन उतार-चढ़ाव भरा रहा है। दिल्ली और मुंबई अभी टूर्नामेंट में सबसे आगे चल रहे हैं। लेकिन वे इतने आगे नहीं हैं कि प्लेऑफ में जगह पक्की हो जाए। अन्य छह टीमें भी वापसी कर सकती हैं। टूर्नामेंट अभी पूरी तरह से खुला हुआ है। कुछ महत्वपूर्ण ट्रांसफर टूर्नामेंट की दिशा को बदल सकते हैं। रहाणे के अलावा मिचेल सेंटनर, लाॅकी फर्ग्यूसन जैसे खिलाड़ी इस रेस में हैं। इससे उन्हें मौजूदा सीजन में खेलने का मौका मिलेगा। हो सकता है कि ये कुछ अनोखा कर दें।