न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Thu, 15 Oct 2020 05:22 AM IST
सुभाषिनी यादव कांग्रेस में हुई शामिल
– फोटो : twitter
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कांग्रेस मुख्यालय में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच वरिष्ठ नेता शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव और बिहार के बाहुबली पूर्व सांसद और विधायक काली पाण्डेय ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। बिहार से आए आधा दर्जन पंडितों ने पटका, फूल मालाओं के बीच मंत्र बोलकर माहौल को धार्मिक बना दिया। एनडीए के संयोजक रहे और कभी जदयू के अध्यक्ष शरद यादव की बेटी पिता की राजनीतिक विरासत के साथ कांग्रेस में शामिल हुई हैं। उम्मीद है देर शाम मधेपुरा की बिहारीगंज विधानसभा सीट से कांग्रेस उन्हें उम्मीदवार घोषित करे।
सुभाषिनी ने पिता के कहने पर उनके लोकतांत्रिक दल के बजाय कांग्रेस के साथ सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने का फैसला किया है। सुभाषिनी ने कहा उनके पिता अस्वस्थ हैं और इस बार विधानसभा चुनाव में सक्रिय नहीं हैं। वे बिहार में हमेशा से महागठबंधन के साथ रहे इसलिए बेटी के नाते मेरी नैतिक जिम्मेदारी है कि उनकी सामाजिक न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ाएं और बिहार को अच्छा प्रदेश बनाएं। बिहार की राजनीति में बाहुबली काली पाण्डेय का नाम पुराना है। इंदिरा गांधी के निधन के बाद 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की भारी जीत के बावजूद अपने दमखम पर निर्दलीय जीतकर आए थे।
काली पाण्डेय का कहना है कि जिस समय वीपी सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस के तमाम बड़े नेता सांसद राजीव गांधी का साथ छोड़कर चले गए थे उस दौरान उन्होंने अकेले उनका साथ दिया। कांग्रेस उनका पुराना घर है और यह घर वापसी है। उन्होंने बताया कि 1980 में पहली बार विधायक बने और तबसे कई चुनाव जीतते रहे। उन्होंने विधानसभा चुनाव की तुलना महाभारत युद्ध से की और कृष्ण की सेना की बजाय कृष्ण के साथ होने का भरोसा जताया। उन्होंने भाजपा की हिंदू मुसलमान में बंटवारे की राजनीति की आलोचना की। इस मौके पर कांग्रेस नेताओं में पवन खेड़ा, देवेंद्र यादव, अजय कपूर, मदन मोहन झा आदि
मौजूद थे।
कांग्रेस मुख्यालय में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच वरिष्ठ नेता शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव और बिहार के बाहुबली पूर्व सांसद और विधायक काली पाण्डेय ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। बिहार से आए आधा दर्जन पंडितों ने पटका, फूल मालाओं के बीच मंत्र बोलकर माहौल को धार्मिक बना दिया। एनडीए के संयोजक रहे और कभी जदयू के अध्यक्ष शरद यादव की बेटी पिता की राजनीतिक विरासत के साथ कांग्रेस में शामिल हुई हैं। उम्मीद है देर शाम मधेपुरा की बिहारीगंज विधानसभा सीट से कांग्रेस उन्हें उम्मीदवार घोषित करे।
सुभाषिनी ने पिता के कहने पर उनके लोकतांत्रिक दल के बजाय कांग्रेस के साथ सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने का फैसला किया है। सुभाषिनी ने कहा उनके पिता अस्वस्थ हैं और इस बार विधानसभा चुनाव में सक्रिय नहीं हैं। वे बिहार में हमेशा से महागठबंधन के साथ रहे इसलिए बेटी के नाते मेरी नैतिक जिम्मेदारी है कि उनकी सामाजिक न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ाएं और बिहार को अच्छा प्रदेश बनाएं। बिहार की राजनीति में बाहुबली काली पाण्डेय का नाम पुराना है। इंदिरा गांधी के निधन के बाद 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की भारी जीत के बावजूद अपने दमखम पर निर्दलीय जीतकर आए थे।
काली पाण्डेय का कहना है कि जिस समय वीपी सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस के तमाम बड़े नेता सांसद राजीव गांधी का साथ छोड़कर चले गए थे उस दौरान उन्होंने अकेले उनका साथ दिया। कांग्रेस उनका पुराना घर है और यह घर वापसी है। उन्होंने बताया कि 1980 में पहली बार विधायक बने और तबसे कई चुनाव जीतते रहे। उन्होंने विधानसभा चुनाव की तुलना महाभारत युद्ध से की और कृष्ण की सेना की बजाय कृष्ण के साथ होने का भरोसा जताया। उन्होंने भाजपा की हिंदू मुसलमान में बंटवारे की राजनीति की आलोचना की। इस मौके पर कांग्रेस नेताओं में पवन खेड़ा, देवेंद्र यादव, अजय कपूर, मदन मोहन झा आदि
मौजूद थे।
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