न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Fri, 16 Oct 2020 09:19 AM IST
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चुनाव आयोग ने गुरुवार को कहा कि एक्जिट पोल पर प्रतिबंध लागू रहने की अवधि के दौरान मीडिया में ज्योतिषियों, टैरो कार्ड पढ़ने वालों और विश्लेषकों द्वारा नतीजों के बारे में भविष्यवाणी करना चुनाव कानूनों का उल्लंघन है।
बिहार में इस महीने के अंत से शुरू हो रहे तीन चरणों के विधानसभा चुनावों से पहले आयोग ने यह परामर्श फिर से जारी किया है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया से कहा गया है कि प्रतिबंधित अवधि के दौरान इस तरह के कार्यक्रमों के प्रसारण और प्रकाशन से बचें ताकि स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित कराए जा सकें। यह परामर्श सबसे पहले 30 मार्च 2017 को जारी किया गया था, जिसमें चुनाव आयोग ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 126ए का हवाला दिया था।
प्रावधान में कहा गया है कि ‘कोई भी व्यक्ति एक्जिट पोल नहीं कराएगा और उसके नतीजे चाहे जो हों, उसे चुनाव आयोग की तरफ से अधिसूचित अवधि के दौरान प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रकाशित या प्रसारित नहीं करेगा।’
आयोग ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनावों के अनुभव को ध्यान में रखते हुए मार्च 2017 में यह परामर्श जारी किया था। गुरुवार को जारी परामर्श में कहा गया है कि आयोग का मानना है कि ज्योतिषियों, टैरो कार्ड पढ़ने वालों, राजनीतिक विश्लेषकों या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी भी तरीके से प्रतिबंधित अवधि के दौरान चुनाव परिणामों के बारे में भविष्यवाणी करना जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126 ए की भावनाओं का उल्लंघन है।
आयोग ने कहा कि मीडिया (इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट दोनों) को सलाह दी जाती है कि बिहार चुनावों के दौरान परिणामों से जुड़े हुए किसी भी लेख के प्रकाशन या कार्यक्रम के प्रसारण पर 28 अक्तूबर 2020 (बुधवार) की सुबह सात बजे से सात नवंबर 2020 (शनिवार) की शाम साढ़े छह बजे तक प्रतिबंधित है, ताकि ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित’ किए जा सकें। गौरतलब है कि बिहार में चुनाव 28 अक्तूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर को है, जबकि मतगणना 10 नवंबर को होगी।
चुनाव आयोग ने गुरुवार को कहा कि एक्जिट पोल पर प्रतिबंध लागू रहने की अवधि के दौरान मीडिया में ज्योतिषियों, टैरो कार्ड पढ़ने वालों और विश्लेषकों द्वारा नतीजों के बारे में भविष्यवाणी करना चुनाव कानूनों का उल्लंघन है।
बिहार में इस महीने के अंत से शुरू हो रहे तीन चरणों के विधानसभा चुनावों से पहले आयोग ने यह परामर्श फिर से जारी किया है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया से कहा गया है कि प्रतिबंधित अवधि के दौरान इस तरह के कार्यक्रमों के प्रसारण और प्रकाशन से बचें ताकि स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित कराए जा सकें। यह परामर्श सबसे पहले 30 मार्च 2017 को जारी किया गया था, जिसमें चुनाव आयोग ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 126ए का हवाला दिया था।
प्रावधान में कहा गया है कि ‘कोई भी व्यक्ति एक्जिट पोल नहीं कराएगा और उसके नतीजे चाहे जो हों, उसे चुनाव आयोग की तरफ से अधिसूचित अवधि के दौरान प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रकाशित या प्रसारित नहीं करेगा।’
आयोग ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनावों के अनुभव को ध्यान में रखते हुए मार्च 2017 में यह परामर्श जारी किया था। गुरुवार को जारी परामर्श में कहा गया है कि आयोग का मानना है कि ज्योतिषियों, टैरो कार्ड पढ़ने वालों, राजनीतिक विश्लेषकों या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी भी तरीके से प्रतिबंधित अवधि के दौरान चुनाव परिणामों के बारे में भविष्यवाणी करना जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126 ए की भावनाओं का उल्लंघन है।
आयोग ने कहा कि मीडिया (इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट दोनों) को सलाह दी जाती है कि बिहार चुनावों के दौरान परिणामों से जुड़े हुए किसी भी लेख के प्रकाशन या कार्यक्रम के प्रसारण पर 28 अक्तूबर 2020 (बुधवार) की सुबह सात बजे से सात नवंबर 2020 (शनिवार) की शाम साढ़े छह बजे तक प्रतिबंधित है, ताकि ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित’ किए जा सकें। गौरतलब है कि बिहार में चुनाव 28 अक्तूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर को है, जबकि मतगणना 10 नवंबर को होगी।
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Fri Oct 16 , 2020
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