Bollywood News In Hindi : Sushant wanted to listen to the script on a zoom call 3 days ago, close friend Sanjay Puran Singh told how the last meeting was | 3 दिन पहले जूम कॉल पर स्क्रिप्ट सुनना चाहते थे सुशांत, करीबी दोस्त संजय पूरन सिंह ने बताया कैसी थी आखिरी मुलाकात

दैनिक भास्कर

Jun 15, 2020, 12:49 AM IST

अमित कर्ण.

सुशांत सिंह राजपूत के फिल्म इंडस्ट्री से सबसे करीबी दोस्त संजय पूरन सिंह चौहान थे। उनके साथ वह इंडिया की पहली स्पेस फिल्म ‘चंदा मामा दूर के’ बनाने वाले थे। सुशांत उस कैरेक्टर की तैयारी के लिए नासा भी गए थे। पर बजट की वजह से वह फिल्म रुकती रही। बाद में रॉनी स्क्रूवाला ने अपने बैनर से स्पेस फिल्म ‘सारे जहां से अच्छा’ अनाउंस की थी। वह पहले शाहरुख खान और फिर बाद में विकी कौशल के साथ होनी तय थी। संजय पूरन रविवार शाम को सुशांत सिंह राजपूत के घर गए थे। संजय ने सुशांत से अपनी आखिरी मुलाकात को दैनिक भास्कर से शेयर किया है।

कैसी थी आखिरी मुलाकात?

मैं उनके घर पर ही गया था रविवार की शाम को। असल में क्या हुआ यह कहना तो बहुत मुश्किल है। कहीं से ऐसा लगा नहीं था। दो-तीन दिन पहले मेरी उनसे मैसेज पर बात हो रही थी। हम लोग बात कर रहे थे और हमेशा ही बात किया करते थे। बीच में गैप आ जाता था, लेकिन फिर 15 से 20 दिन के अंतराल पर बात कर लिया करते थे। फिल्मों को लेकर किताबों को लेकर इन सब को लेकर हमेशा बात हुआ करती थी। 

आखिरी बार की बातचीत क्या हुई थी? 

वह तो मुझे बहुत एक्साइटेड लग रहे थे। इनफैक्ट उन्होंने तो बोला कि आप मुझे जूम कॉल पर नरेट कर देना स्टोरी। वैसे कि मुझे स्क्रिप्ट पढ़ने से ज्यादा सुनना अच्छा लगता है। रेगुलरली हम लोग मिलते रहते थे, मगर यार यह तो शॉकिंग है। इंडस्ट्री में इतना ड्रास्ट्रिक्ट स्टेप उठा लेना, यह तो शॉकिंग है।

सुसाइड है या मर्डर? 

अभी जब तक पुलिस इन्वेस्टिगेशन होगी, एक्चुअल वजहों का पता चल पाएगा, तब तक तो कुछ कह पाना बहुत मुश्किल है। पुलिस को और क्या सबूत मिलते हैं उसके बाद ही कुछ कह पाना उचित होगा। 

उनकी कौन सी खूबी हमेशा आपके जहन में रहेगी? 

वह मेरे लिए दोस्त से भी बढ़कर भाई की तरह थे। उनमें जितनी गर्मजोशी, जमीन से जुड़े रहने की कैपेसिटी, मेहनत करने का जज्बा और कमाल की अदाकारी थी। उनके जाने से उन फिल्मकारों का नुकसान हुआ है जो प्रयोगवादी फिल्में और जोखिम उठाने वाली कहानियां तैयार करते थे। अगर उन्हें स्क्रिप्ट समझ में आ जाए तो वह इससे फर्क नहीं करते थे कि आप थर्ड जनरेशन वाले फिल्मकार हैं या गांव से झोला उठाकर अभी मुंबई आए ही हैं। वह आपको बैक करते थे पूरी तरह से, जो स्टार किड कभी नहीं करते। मैं पूरी जिंदगी नहीं भूल सकता उस बंदे को। उनके साथ जितना टाइम स्पेंड किया हमने, बहुत कमाल का इंसान था। जो भूख थी अपने कैरेक्टर को लेकर, वैसे भूख कहां होती है लोगों के अंदर।

डिप्रेशन और आर्थिक तंगी है सुसाइड की वजह? 

मुझे नहीं लगता है कि ऐसा कुछ था। क्योंकि जब प्रोजेक्ट की बात की तो ऐसा कहीं से नहीं लग रहा था। पूरी तरह फुल ऑफ लाइफ थे। अपने डेस्क पर बैठ चीजें डिस्कस कर रहे थे। बहुत खुश नजर आ रहे थे। हालांकि हम लोग चैट पर बातें कर रहे थे। अलबत्ता यह बात भी है कि अगर इंसान चाहे तो वह बहुत सारी चीजों पर पर्दा डाल कर बातें करता है। वह सामने नहीं आने देता है कि आप अकेले में क्या हो और मिल रहे हो तो क्या? पर मुझे नहीं लगा कि वह किसी तरह के डिप्रेशन में हो।

ऐसा नहीं है कि वो जिंदगी में कभी परेशान नहीं हुआ, लेकिन वह तो पार्ट एंड पार्सल है ना हमारी जिंदगी का। चीजें आपके मुताबिक होती हैं तो आप खुश रहते हैं नहीं होती हैं तो परेशान होते हैं।

 घर पर अकेले रहते थे या उनकी फैमिली से कोई थे साथ में? 

मॉम तो थी नहीं सुशांत की, जिनके साथ वो काफी क्लोज थे। उनकी डेथ के बाद ही वह मुंबई आया था। उनकी सिस्टर और दोस्त भी आया जाया करते थे। रविवार की शाम तक तो उनके परिवार से भी कोई नहीं पहुंच पाए थे। सब तैयारियों में होंगे। मैं तो खुद उस हालात के अंदर पहुंचा था कि शायद यह सारी चीजें झूठ हो और सब कुछ ठीक हो जाए। यकीन नहीं होता। मुझे तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा है।

पहली मुलाकात कब कैसे और कहां हुई थी? 

साल 2016 में हंगरी में वह राब्ता शूट कर रहे थे। मेरे प्रोड्यूसर ने उनसे कहा था कि मैं उनसे मिलना चाहता हूं उन्होंने 15 मिनट का वक्त दिया था मिलने का। जिम के कपड़ों में वह आए थे लेकिन जब हमारी बातचीत शुरू हुई तो 8 घंटे तक फिल्म को लेकर और दूसरी चीजों को लेकर बातें होती रहीं। उन्हें स्क्रिप्ट पसंद आई थी और वह उसे करना चाहते थे पूरी शिद्दत से।

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