Now Lokesh Rahul has made his own identity | अब लोकेश राहुल ने अपनी अलग पहचान बना ली है

दुबई13 घंटे पहले

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लोकेश राहुल को इसी सीजन में किंग्स इलेवन पंजाब की कप्तानी मिली है। इस सीजन के 9 मैचों में 75 की औसत से 525 रन बनाए हैं।

लोकेश राहुल को पिछले कुछ सालों में काफी रोल दिए गए। वे सभी पर खरे उतरे। राहुल जिम्मेदारियों में दब सकते थे, लेकिन उनके मजबूत दिमाग ने सभी को पार कर लिया। थोड़ा पीछे चलते हैं। ढाई साल पहले टेस्ट में राहुल के स्थान पर लगातार सवाल उठ रहे थे। कोहली को उनपर भरोसा था और उन्हें मौके मिल रहे थे। फिर भी वे कुछ नहीं कर पाए। अंतत: राहुल को टीम से बाहर करना पड़ा। करिअर के शुरुआती कुछ साल राहुल टेस्ट टीम के प्रमुख खिलाड़ी बनकर उभरे थे। 2014 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सिडनी में उनका शतक कौन भूल सकता है। टेस्ट टीम से बाहर होने के बाद से सीमित ओवरों की क्रिकेट में उन्होंने अपनी खास छाप छोड़ी है। व्हाइट बॉल क्रिकेट में उनके प्रदर्शन का काफी योगदान बेंगलुरू टीम का भी है। 2016 सीजन में वे कोहली और डिविलियर्स जैसे खिलाड़ियों के साथ इस टीम का हिस्सा थे। पंजाब में जाने के बाद उनकी सोच बदल गई। वे टीम के प्रमुख बल्लेबाज बन गए। चुनौतियां लेने लगे। लेकिन पंजाब के साथ एक और परेशानी थी विकेटकीपर की। फिर राहुल ने इसे अपने कंधे लिया। जिम्मेदारियों ने उन्हें काफी बदल दिया। 2018 में वे टीम के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज भी थे। 2019 में भी रहे। इन दोनों सीजन के बीच उनके लिए समय आसान नहीं था। ऐसा अपनी वजह से नहीं बल्कि हार्दिक की वजह से था। दोनों दोस्त कॉफी विद करण शो में पहुंचे थे। पंड्या के कुछ बयान ने बीसीसीआई को नाराज कर दिया। बोर्ड ने दोनों खिलाड़ियों को सस्पेंड कर दिया। यह किसी के लिए भी परेशान करने वाला था। लेकिन राहुल के साथ ऐसा नहीं हुआ। वे उससे मजबूत होकर निकले। अपनी फिटनेस पर काम किया। फिटनेस बेहतर होने की वजह से वे मैदान पर ज्यादा समय बिताने लगे। उन्हें वर्ल्ड कप 2019 में प्रमुख बल्लेबाज के रूप में टीम में जगह मिली। पिछले साल राहुल ने व्हाइट बॉल क्रिकेट में अपना कद और बड़ा किया है। खेल में कुछ बदलाव भी किए। भारत के बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर ने कहा- वह काफी मेहनत करते हैं। टेक्निक में कुछ बदलाव ने उनका माइंडसेट बदल दिया, जिसका नतीजा भी दिख रहा है।पंत की जगह राहुल वनडे और टी20 में भारतीय टीम के प्रमुख विकेटकीपर भी बन गए। वनडे में वे नंबर-5 पर बल्लेबाजी भी कर रहे हैं। पंजाब के लिए 2018 सीजन में कीपिंग करने की वजह से उनकी छवि विकेटकीपर बल्लेबाज की बन गई। हालांकि, इस बात पर अभी भी सवाल बना हुआ है कि क्या राहुल लंबे समय तक भारतीय टीम के लिए विकेटकीपर बल्लेबाजी की भूमिका निभा पाएंगे? अभी तक इसकी वजह से टीम का बैलेंस बेहतर हुआ है। इस सीजन के शुरू होने से पहले राहुल को खुद पर संदेह था। लेकिन अभी तक के उनसे प्रदर्शन से साफ है कि उनका संदेह पूरी तरह गलत था। वे पंजाब के लिए तीन रोल निभा रहे हैं। स्लो स्ट्राइक रेट की वजह से उनकी आलोचना भी हो रही है, लेकिन समझना होगा कि टीम की पूरी जिम्मेदारी उनके ऊपर है। सिर्फ राहुल-मयंक का बल्ला ही चला है। राहुल अपने ही नाम वाले राहुल द्रविड़ की तरह हर रोल में फिट हो रहे हैं। राहुल द्रविड़ की तरह ओपनिंग, विकेटकीपिंग करने के साथ ही निचले क्रम में खेल रहे हैं। भारतीय टीम और पंजाब के लिए पिछले दो सालों में उन्होंने दिखा दिया है कि वे टीम मैन हैं। राहुल ने कभी भी मौका नहीं छोड़ा है। अब अपनी छाप छोड़ने का समय है।

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