The same day of public in democracy, the rest of the leaders; There is a competition among the leaders in Bihar to give certificates to each other, who is so bad | लोकतंत्र में जनता का एक ही दिन, बाकी नेताओं के; बिहार के नेताओं में एक-दूसरे को खराब बताने की होड़

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बिहारएक घंटा पहले

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आज कल बिहार में चुनाव का मौसम चल रहा है और नेता जमकर प्रचार कर रहे हैं। हमारे सुशासन बाबू यानी कि नीतीश कुमार भी इसमें पीछे नहीं हैं। खूब प्रचार कर रहे हैं। अपने मुंह मियां मिट्ठू बने हुए हैं। मगर नीतीश बाबू ज्यादातर अपने पंद्रह वर्षों के कर्मों के हिसाब देने की बजाय वो लालू यादव द्वारा अपने कार्यकाल में किये गए दुष्कर्मों का हिसाब दे रहे हैं।

वैसे तो लालू जी जेल में हैं लेकिन उनके दोनों लड़के बाहर हैं और नीतीश बाबू की ये बात तेजस्वी यादव को खटक गई। उनका कहना है की पलटूचाचा गड़े मुर्दे उखाड़ रहे हैं। वैसे तो गड़े मुर्दों से वो डरते नहीं हैं लेकिन उसके साथ खोदते वक़्त जो घोटाला बाहर आ जाता है उससे जरूर तेजस्वी यादव थोड़ा घबराते हैं।

वैसे घबराई हुई तो कांग्रेस भी है। इतनी घबराई हुई है कि बात राहुल गांधी तक पहुंच गई है और राहुल गांधी ने अपने विशिष्ट सहयोगी रणदीप सिंह सुरजेवाला को सारा मामला संभालने के लिए भेज दिया है। अब उनका ट्रैक रिकॉर्ड किसी से छिपा नहीं है। उनके आने के बाद मामला संभालता कम और बिगड़ता ज्यादा है। देखते हैं यहां क्या होता है।

असल में मामला ये है कि कांग्रेस इन दिनों राष्ट्रीय जनता दल से नाराज चल रही है। उनका मानना है कि लालू के सुपुत्रों ने जान बूझ कर उन्हें कुछ ऐसी सीट दे दी है जिस पर उनके जीतने की सम्भावना कम है। उन्हीं कुछ सीटों को ले कर पेंच फंसा है। क्योंकि बाकी की सीटों पर कांग्रेस आश्वस्त है कि वहां उनके जीतने कि कोई सम्भावना नहीं है इसलिए नाराजगी का सवाल ही नहीं उठता।

कहीं कोई चिंता नहीं है। वैसे सुनने में ये भी आ रहा हैं कि कई जिलों में जहां कांग्रेस लड़ रही है वहां कांग्रेस नाम कि कोई पार्टी हुआ करती थी ये बताने के लिए जनता के बीच इतिहास की पुरानी किताबें तक बंटवाई जा रही हैं। इससे लोगों को पता चले कि कांग्रेस कोई नई पार्टी नहीं है। चुनाव में सभी एड़ी चोटी का जोर लगाये हुए हैं और भाजपा भी इसमें पीछे नहीं है।

वो पूरे जोर शोर से प्रचार कर रही है। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भी प्रचार में कूद पड़े हैं। वैसे अंदर के जानकार बताते हैं कि आगे चल कर वो बिहार की राजनीति में भी काफी उछल कूद करने वाले हैं। फ़िलहाल उन्होंने ये कह दिया है कि यदि चुनाव के बाद तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनते हैं तो कश्मीर के बचे खुचे आतंकवादी बिहार में आ कर छिप जायेंगे।

बात बड़ी जबरदस्त थी। राष्ट्रीय जनता दल वैसे इस बयान को लपकने की सोच रही है और दो चार समर्थकों ने तो ये तक कहना शुरू कर दिया है कि अब तो भाजपा भी मानने लगी है कि तेजस्वी रोजगार के इतने मौके बना देंगे कि दूसरे राज्यों के बेरोजगार भी बिहार में आ कर बस जायेंगे। ये तो कमाल हो जायेगा। खैर चुनाव तक ऐसे दावे और ऐसी बातें चलती रहेंगी।

नेता की जुबां पर…जो तुमको हो पसंद, वही बात करेंगे
चुनाव लोकतंत्र का वो दिन होता है जब जनता फैसले लेती है और उनके बाद नेता जनता के लिए फैसले लेते हैं और ये बात भी सच है कि नेताओं द्वारा लिए गए फैसलों का लाभ उठाने के लिए जनता को पता नहीं सरकारी दफ्तरों में कौन कौन से प्रमाण पत्र दिखाने पड़ते हैं।

चुनाव में हर नेता को यही गाना गुनगुनाना पड़ता है “जो तुमको हो पसंद वही बात करेंगे तुम दिन को अगर रात कहो रात कहेंगे”। ये और बात है कि बड़े विश्वास से वोट देने के बाद यही नेता जनता को ना रात को दिखते हैं ना दिन में। बस इनके कर्मों से जनता को दिन में तारे जरूर देखने पड़ जाते है।

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