Bihar Assembly Elections 2020 Massive Crowd In Tejashwi Yadav Rallies Vs Nitish Kumar Nda Sabha – ग्राउंड रिपोर्ट: तेजस्वी की सभा में भीड़ बिहार चुनाव में बढ़ा सकती है एनडीए की चिंता

अगियांव विधानसभा में महागठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में जनसभा करते तेजस्वी यादव
– फोटो : AMAR UJALA

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बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार एनडीए बनाम महागठबंधन का मुकाबला दिलचस्प होता दिख रहा है। महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार तेजस्वी यादव की सभा में भीड़ की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। राजद नेताओं के लिए ये तस्वीरें बदलाव की बयार है तो दूसरी ओर एनडीए के नेताओं के लिए यह बुलाई गई भीड़ मात्र है।  

तेजस्वी मंगलवार को भोजपुर जिले की अगिआंव विधानसभा में एक जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे, जहां उन्होंने महागठबंधन (भाकपा माले) के प्रत्याशी मनोज मंजिल के लिए वोट मांगे। सुबह के 11 बजे हैं और चारों तरफ नारों की गूंज- इस बार तेज रफ्तार, तेजस्वी सरकार। सभा में कोरोना का कोई डर नहीं, न ही निर्धारित दिशानिर्देश का ध्यान। सभा में भीड़ देख तेजस्वी यादव गदगद नजर आए। लोगों से खचाखच भरा पूरा मैदान पार्टी के झंडों से रंगा नजर आ रहा था। सभा में आए लोगों का उत्साह भी देखते ही बन रहा था। मंच के सामने से हर युवा तेजस्वी को अपने मोबाइल में कैद करना चाहता था।

भीड़ से उत्साहित तेजस्वी मंगलवार की शाम ट्वीट करते हैं- महागठबंधन की सभाओं में उमड़ रहा जनसैलाब लोगों के लिए भीड़ हो सकती है, लेकिन मेरे लिए यह करोड़ों बिहारवासियों की आकांक्षाएं, सपने और उम्मीदें हैं, जिन्हें हमें पूरा करना है।

तो क्या ये भीड़ सचमुच बदलाव चाहती है? सभा में मौजूद 35 साल के युवा शैलेंद्र से जब पूछा तो जवाब मिला- इस बार तेजस्वी तय है। क्यों और कैसे पूछने पर बोले- चिराग पासवान और भाकपा माले की वजह से। शैलेंद्र बोलना जारी रखते हैं- चिराग पासवान के कारण भाजपा के वोटर कंफ्यूज है। वे नीतीश कुमार को वोट नहीं करना चाहते। भाजपा भी नीतीश कुमार को इस बार मजा चखाना चाहती है। …और भाकपा माले से गठबंधन हो जाने के कारण शहाबाद और मगध प्रमंडल में महागठबंधन की जीत तय है। क्योंकि यहां भाकपा माले का गढ़ रहा है। शैलेंद्र बताते हैं कि अगर भाजपा चिराग को शांत कर दे तो महागठबंधन की जीत पर खतरा मंडरा सकता है। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा। महागठबंधन के लिए यह अच्छे संकेत हैं।

एक मौका मांगते हैं तेजस्वी, कहते हैं- हम ठेठ बिहारी हैं
तेजस्वी अपने संबोधन में 10 नवंबर को आनेवाले चुनाव परिणाम में नीतीश कुमार की विदाई तय होने की बात कहते हैं। नारों की गूंज के बीच कहते हैं- “हम ठेठ बिहारी हैं। हम पकाऊ और बिकाऊ भाषण नहीं देंगे। बिहार में न कारखाना लगा, न गरीबी मिटा न पलायन रुका। 15 साल में ये सब नहीं हुआ तो पांच साल में ये क्या करेंगे। हम सिर्फ एक मौका मांग रहे हैं।”

लड़े के बा, करे के बा और जीते के बा

पूरे भाषण में तेजस्वी ने एक बार भी लोजपा और चिराग का जिक्र नहीं किया। अंत में कहा, “10 नवबंर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विदाई कर देनी है। क्योंकि अब तीर का जमाना नहीं, मिसाइल का जमाना है। अरे लड़े के बा, करे के बा और जीते के बा। चाचा को आराम कराइए और भाजपा को भगाइए।” इसके बाद मंच पर मौजूद महागठबंधन प्रत्याशी को माला पहनाते हैं और सभा समाप्त हो जाती है।

सभा स्थल से थोड़ी दूरी पर एक छोटा सा बाजार है। चाय-समोसे की दुकान पर भीड़ इकट्ठा होती है, जहां चुनावी चर्चा जारी है। भीड़ में मौजूद एक शख्स महागठबंधन का कार्यकर्ता मालूम पड़ता है। कहने लगा, “भाई, भीड़ का वोट में बदलना मायने रखता है। खाली भीड़ से उत्साहित होने से काम नहीं बनेगा। असली भीड़ 28 अक्तूबर को मतदान केंद्र पर होना चाहिए। क्योंकि ऐसी भीड़ तो लालू की सभा में हर बार नजर आती है लेकिन परिणाम क्या आता है। सबको पता है। इस बार जो उम्मीद है वो चिराग पासवान से ही है। अगर मतदान के दिन तक भाजपा कहीं चिराग को चुप करा दे तो मामला हाथ से निकल जाएगा।”

ऐसी बातें राजद के कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि एक आम वोटर भी गांव की गलियों और नुक्कड़-चरवाहों पर कहते हुए नजर आ रहा है। सचमुच इस बार राज्य में वोटर कंफ्यूज है। भाजपा का कैडर मतदाता चिराग के अलग-अलग बयानों से ऊहापोह में हैं। क्योंकि जदयू उम्मीदवार के खिलाफ लोजपा ने कई सीटों पर सवर्ण प्रत्याशी को टिकट देकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। वहीं, भाजपा के साथ दोस्ताना रवैया दिखा रही है।

भोजपुर जिले की तरारी विधानसभा सीट पर भाजपा का उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। लोजपा ने दबंग छवि के माने जाने वाले पूर्व विधायक सुनील पांडे का टिकट काट दिया। ताकि भाजपा के वोटरों में बिखराव न हो। वहीं, रोहतास जिले की दिनारा विधानसभा सीट से नीतीश के करीबी मंत्री जयकुमार सिंह को टक्कर देने के लिए चिराग पासवान ने राजेंद्र सिंह को मैदान में उतार दिया। राजेंद्र सिंह 37 सालों से संघ परिवार में थे और बिहार में पार्टी के उपाध्यक्ष रहे थे। यहां तक कि पिछले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक थे। इस बार यह सीट जदयू के खाते में चली गई है। कहा तो यह भी जा रहा है कि भाजपा का स्थानीय संगठन राजेंद्र सिंह का चुनाव प्रचार कर रहा है।

49 वर्षीय राजेंद्र सिंह संघ के प्रचारक रह चुके हैं। करीब एक दशक पहले वह भारतीय जनता पार्टी में आए। पार्टी ने उन्हें 2015 के विधानसभा चुनाव में दिनारा सीट से उम्मीदवार बनाया था। राजेंद्र सिंह बिहार विधानसभा चुनाव के लिए साल 2015 में गठित अमित शाह की चार सदस्यीय टीम के सदस्य भी रह चुके हैं। इसी बात से उनकी अहमियत का पता चलता है। बहरहाल, एनडीए बनाम महागठबंधन की लड़ाई के बीच लोजपा के बंगले पर ऊंट का करवट लेना भी परिणाम तय करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। इस बार बिहार विधानसभा चुनाव का वर्तमान स्थिति से मूल्यांकन कर लेना थोड़ी जल्दबाजी हो सकती है।  

बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार एनडीए बनाम महागठबंधन का मुकाबला दिलचस्प होता दिख रहा है। महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार तेजस्वी यादव की सभा में भीड़ की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। राजद नेताओं के लिए ये तस्वीरें बदलाव की बयार है तो दूसरी ओर एनडीए के नेताओं के लिए यह बुलाई गई भीड़ मात्र है।  

तेजस्वी मंगलवार को भोजपुर जिले की अगिआंव विधानसभा में एक जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे, जहां उन्होंने महागठबंधन (भाकपा माले) के प्रत्याशी मनोज मंजिल के लिए वोट मांगे। सुबह के 11 बजे हैं और चारों तरफ नारों की गूंज- इस बार तेज रफ्तार, तेजस्वी सरकार। सभा में कोरोना का कोई डर नहीं, न ही निर्धारित दिशानिर्देश का ध्यान। सभा में भीड़ देख तेजस्वी यादव गदगद नजर आए। लोगों से खचाखच भरा पूरा मैदान पार्टी के झंडों से रंगा नजर आ रहा था। सभा में आए लोगों का उत्साह भी देखते ही बन रहा था। मंच के सामने से हर युवा तेजस्वी को अपने मोबाइल में कैद करना चाहता था।

भीड़ से उत्साहित तेजस्वी मंगलवार की शाम ट्वीट करते हैं- महागठबंधन की सभाओं में उमड़ रहा जनसैलाब लोगों के लिए भीड़ हो सकती है, लेकिन मेरे लिए यह करोड़ों बिहारवासियों की आकांक्षाएं, सपने और उम्मीदें हैं, जिन्हें हमें पूरा करना है।

तो क्या ये भीड़ सचमुच बदलाव चाहती है? सभा में मौजूद 35 साल के युवा शैलेंद्र से जब पूछा तो जवाब मिला- इस बार तेजस्वी तय है। क्यों और कैसे पूछने पर बोले- चिराग पासवान और भाकपा माले की वजह से। शैलेंद्र बोलना जारी रखते हैं- चिराग पासवान के कारण भाजपा के वोटर कंफ्यूज है। वे नीतीश कुमार को वोट नहीं करना चाहते। भाजपा भी नीतीश कुमार को इस बार मजा चखाना चाहती है। …और भाकपा माले से गठबंधन हो जाने के कारण शहाबाद और मगध प्रमंडल में महागठबंधन की जीत तय है। क्योंकि यहां भाकपा माले का गढ़ रहा है। शैलेंद्र बताते हैं कि अगर भाजपा चिराग को शांत कर दे तो महागठबंधन की जीत पर खतरा मंडरा सकता है। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा। महागठबंधन के लिए यह अच्छे संकेत हैं।


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