RBI COVID-19 Loan Relief who is eligible for due credit loan relief loan moratorium covid restrictions – क्या Covid-19 लोन रिलीफ से आपको होगा फायदा? क्या क्रेडिट कार्ड बकाए पर मिलेगी राहत? यहां जानिए

सरकार ने बताया है कि यह रकम उधारकर्ताओं के लोन अकाउंट में दीवाली से पहले भेज दी जाएगी. सरकार ने कहा है कि कर्जदारों के खातों में यह रकम जमा करने के बाद ऋणदाता केंद्र सरकार से इस राशि के भुगतान का दावा कर सकेंगे.

लेकिन असली सवाल है कि इस योजना से किसको फायदा होगा?

यह लोन रिलीफ पर्सनल, हाउसिंग, एजुकेशन, ऑटो और कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन, MSME और कुछ शर्तों के तहत आने वाले क्रेडिट कार्ड के बकाए पर मिलेगा. उधारकर्ता भले ही पूरे या आंशिक राहत क विकल्प चुने, ऋणदाता यह रकम उनके अकाउंट में भेज देंगे. लोन अकाउंट 29 फरवरी तक सक्रिय और इसका लिमिट 2 करोड़ के भीतर होना अनिवार्य है.

इस योजना में यह भी कहा गया है कि पात्र उधारकर्ताओं को भी स्वैच्छिक राहत मिलेगी, चाहे भले ही उन्होंने छह महीने की अवधि के भीतर के भुगतान पर राहत चुना न हो या नही. दूसरे शब्दों में अगर आपने अपने बैंक या फाइनेंसर से कोरोनावायरस लॉकडाउन के चलते राहत मांगा हो या नहीं, आपके लोन अकाउंट में यह रकम आ जाएगी.

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यह राहत की रकम क्या है, और आपके अकाउंट में कितना पैसा आएगा?

RBI के इस नॉटिफिकेशन में कहा गया है कि योजना के तहत सभी कर्ज देने वाली संस्थाएं एक मार्च, 2020 से 31 अगस्त, 2020 के बीच की अवधि के लिए सभी पात्र कजदारों के खातों में चक्रवृद्धि और सामान्य ब्याज के अंतर की रकम जमा करेंगे.

चक्रवृद्धि ब्याज या कंपाउंड इंटरेस्ट, जिसे ब्याज पर ब्याज भी कहा जाता है, मूल धन के भुगतान में हुई देरी पर बना हुआ ब्याज होता है. यानी कि लोन चुकाने में देरी हुई तो बैंकिंग के सामान्य नियमों के तहत इस अवधि में ब्याज पर अलग से ब्याज चढ़ने लगता है. सुप्रीम कोर्ट में लोन मोरेटोरियम अवधि में ब्याज पर ब्याज में राहत को लेकर एक याचिका पर सुनवाई चल रही है. 

इस महीने सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा था कि सरकार जल्द से जल्द पात्र उधारकर्ताओं को लोन रिलीफ पहुंचाए क्योंकि इस योजना में देरी किया जाना सामान्य जनता के हित में नहीं है. दरअसल, आरबीआई ने लोन मोरेटोरियम अवधि की घोषणा करते हुए कहा था कि मार्च और अगस्त के बीच उधारकर्ताओं के पास लोन की किश्तें न चुकाने की छूट है. केंद्रीय बैंक ने इसके साथ ही ऋणदाताओं को इस दौरान बन रहे कंपाउंड इंटरेस्ट लेने की अनुमति भी दे दी थी. यानी कि बैंक और ऋणदाता संस्थाएं अपने ग्राहकों को यह छूट दे रही थीं कि वो मार्च से अगस्त के बीच अपने लोन की किश्त न चुकाएं, लेकिन उधारकर्ताओं को फिर अपने इस अवधि में जमा हुआ कंपाउंड इंटरेस्ट भरना था.

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